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    The Premier Agri & Food Technology Fair, 4 to 7 November, Parade Ground, Chandigarh

    Publish Date: नवम्बर 4, 2022

    भारत के माननीय उप-राष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ जी,
    डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ जी, धर्मपत्नी माननीय उप-राष्ट्रपति जी,
    श्री बनवारी लाल पुरोहित जी, पंजाब के माननीय राज्यपाल और प्रशासक, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़
    श्री कुलदीप सिंह धालीवाल जी, कृषि मंत्री, पंजाब सरकार
    श्री विक्रमजीत सिंह साहनी जी, सांसद (राज्य सभा) अध्यक्ष, ब्रिक्स कृषि व्यापार मंच
    श्री संजीव पुरी जी, अध्यक्ष, सीआईआई एग्रो टेक इंडिया 2022
    श्री दीपक जैन जी, उपाध्यक्ष, सीआईआई उत्तरी क्षेत्र
    श्री तरुण साहनी जी, सह-अध्यक्ष, सीआईआई एग्रो टेक इंडिया 2022
    सभी वरिष्ठ अधिकारीगण, महानुभाव, किसान भाईयों-बहनों तथा मीडिया के बंधुओं!
    सबसे पहले मैं भारत के उपराष्ट्रपति माननीय श्री जगदीप धनखड़ जी, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुदेश धनखड़ जी व सभी अतिथिगण का हरियाणा की राजधानी चण्डीगढ़ में पहुंचने पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं।
    आज सीआईआई द्वारा आयोजित एग्रो टेक इंडिया 2022 के उद्घाटन समारोह का माननीय उपराष्ट्रपति महोदय के साथ प्रतिभागी बनना मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य व गर्व की बात है। कृषि क्षेत्र के इस प्रतिष्ठित सम्मेलन व प्रदर्शनी कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए मैं आयोजकों का आभार व्यक्त करता हूं।
    भाईयों-बहनों!
    कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह रीढ़ किसानों की वजह से मजबूत है। इसमें विशेषकर हरियाणा और पंजाब के किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है। हालांकि हरियाणा भौगोलिक दृष्टि से देश के लगभग डेढ़ प्रतिशत भाग को ही कवर करता है, लेकिन कृषि, खेल व सामरिक क्षेत्र सहित भारत के विकास में राज्य का योगदान बहुत बड़ा है। कृषि क्षेत्र राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने वाले सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ताओं में से एक है।

    हमें गर्व है कि हरियाणा खाद्यान्न उत्पादन में आज देश में दूसरे स्थान पर है। धान की उत्पादकता के लिए राज्य को कृषि कर्मण व कई अन्य अवार्ड मिले हैं। देश के बासमती चावल का 60 प्रतिशत निर्यात तो हरियाणा से होता है। वर्ष 2021-2022 मे प्रदेश मे 83 लाख टन धान का रिकार्ड उत्पादन हुआ। इसके साथ-साथ हरियाणा आज गेहूं की औसत पैदावार में भी देश में सबसे अग्रणी है। केवल खाद्यान्न उत्पादन ही नहीं दूध उत्पादन में भी प्रदेश ने नई उंचाइयाँ छूई हैं। इस समय प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 1060 ग्राम दुध की उपलब्धता है। राज्य में तीन हजार से भी अधिक खाद्य संस्करण ईकाईयां हैं। इस समय हरियाणा में 14 फसलों को एम.एस.पी. पर खरीदा जा रहा है, जो देश में सबसे अधिक है।
    यह सब केन्द्र व प्रदेश सरकार की कृषि व किसान कल्याण नीतियों व योजनाओं के कारण संभव हो पाया है। प्रदेश में कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल संचालित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ-2020 से बदलाव करते हुए योजना को खरीफ-2020 से रबी 2022-23 तक लागू करने का निर्णय लिया गया है।
    प्रदेश में फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2019 से खरीफ 2021 तक किसानों की फसल खराब होने पर 3207.79 करोड़ रुपये क्लेम दिया गया। प्रदेश में एक लाख एकड़ बाजरा क्षेत्र के स्थान पर दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए नई योजना को मंजूरी दी गई। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए गए है।
    वर्ष 2019-20 में साॅयल हैल्थ कार्ड योजना पायलट परियोजना के अन्तर्गत प्रदेश के 22 जिलों के 122 ब्लाॅकों से 122 गावों के सभी किसानों के खेतों से 25,605 मृदा नमूनों का विश्लेषण करते हुए सभी 25,605 किसानों को साॅयल हैल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। इससे उत्पादन में वृद्धि हुई है।
    किसानों को कृषि फसलों की उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के साथ-साथ नई तकनीकी जैसे पानी की बचत, फसल अवशेष प्रबन्धन, जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणालियों, टिकाऊ कृषि आदि को अपनाने के लिए किसानों को राज्य स्तर व जिला स्तर 5 लाख रुपये से पचास हजार (50,000) रुपए तक के पुरस्कार दिए जा रहे हैं। प्रदेश में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए प्राकृतिक खेती पोर्टल, प्राकृतिक खेती योजना को लागू कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
    राज्य का ‘‘बागवानी विजन‘‘ 2030 तक क्षेत्र को दोगुना करने और उत्पादन को तिगुना करने की योजना बना रहा है। अद्वितीय फसल समूह विकास कार्यक्रम ताजे फल और सब्जियों के लिए एक पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा।
    भाईयों-बहनों!
    वर्ष 2021-22 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादों का देश में निर्यात करीब चार लाख करोड़ रुपये था। जिसमें किसानों का योगदान सराहनीय है। कोरोना काल में जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी तब भी हमारे किसानों ने कठिन मेहनत कर अनाज पैदा कर देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती दी इसके लिए मै किसानों को विशेष रूप से बधाई देता हूं।
    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्रीय बजट में दृष्टि के अनुरूप, कृषि में नई और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे नैनो यूरिया उर्वरक का उपयोग, डिजिटल कृषि, ड्रोन का उपयोग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सटीक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण की योजनाओं के लिए केन्द्र सरकार चालु वित्त के बजट में एक लाख बत्तीस हजार पांच सौ चैदह करोड़ रूपए का प्रावधान किया है, जो पिछले वर्ष से 6 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा है।
    मैं कृषि वैज्ञानिकों से अपील करता हूं कि समय के साथ नए अनुसंधान व खोज करें। किसानों को भी नई किस्म के बीजों का उपयोग करने, अपनी मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण करने, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में शामिल होने और ड्रोन सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
    आज देश में कृषि योग्य जल की कमी भी मुख्य समस्या बन रही है। गेहूं-धान फसल चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण जल स्तर गिरता जा रहा है। अतः हमें कृषि पद्धतियों में बदलाव लाना होगा और आधुनिक तकनीकों का बड़े पैमाने पर प्रयोग करना होगा। मुझे उम्मीद है कि कृषि वैज्ञानिक इस दिशा में किसानों को और जागरूक करेंगे।
    अन्त में, कृषि क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं और इस आयोजन में मुझे आमंत्रित करने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं।
    जय हिन्द!