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    ‘GIEO Gita’ (Global Inspiration and Enlightenment Organization) व गुरूग्राम विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जरनल के प्रथम अंक का लोकार्पण कार्यक्रम

    Publish Date: अगस्त 3, 2021

    मैं राजभवन में ‘GIEO Gita’ (Global Inspiration and Enlightenment Organization) व गुरूग्राम विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जरनल के प्रथम अंक के लोकार्पण अवसर पर गीतामनीषी परम आदरणीय स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज, मुख्यमंत्री हरियाणा के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस ढेसी, श्री राजीव अरोड़ा जी गृह सचिव हरियाणा सरकार, माननीय सीताराम जी, गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 मारकण्डे आहूजा जी, श्री प्रदीप मित्तल जी व उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूँ।
    मैं आज के इस कार्यक्रम में विशेष रूप से गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने GIEO Gita के माध्यम से गीता का संदेश विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है। स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज द्वारा किए गए इस प्रयास से विश्वभर की मानव जाति गीता के परम संदेश को ग्रहण कर पाएगी, जो विश्व में शांति-सद्भाव का वातावरण तैयार करने के साथ-साथ अलौकिक अनुभूति का एहसास कराएगी।
    पूरे विश्व में हरियाणा को वीर भूमि के नाम से जाना जाता है और हरियाणा में कुरूक्षेत्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति की जन्मस्थली और अध्यात्मिक चिन्तन का प्राचीनतम केन्द्र है। कुरूक्षेत्र में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जून को गीता का उपदेश दिया था। यह वह महान भूमि है, जिसकी रज का अपने मस्तक पर तिलक लगाकर मानव स्वयं को धन्य समझता है।
    वेदों-उपनिषदों की रचना-स्थली का महाभारत और गीता से गहरा नाता है। कुरूक्षेत्र की भूमि उस विश्व प्रसिद्ध धर्मयुुद्ध महाभारत की साक्षी रही है, जो अन्याय, अधर्म और असत्य के विरूद्ध लड़ा गया था। इसी धरा पर भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से श्रीमद्भगवद् गीता के स्वर गूंजे थे, जो मानवता का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
    गीता के पहले श्लोक का आरम्भ ही ‘धर्मक्षेत्र-कुरूक्षेत्र‘ से होता है, जिसमें कुरूक्षेत्र को धर्मक्षेत्र की संज्ञा दी गई है। कहते है- ‘गंगा के तो केवल जल से ही मुक्ति प्राप्त होती है और वाराणसी की भूमि और जल में ही मोक्ष देने की शक्ति है, परन्तु कुरूक्षेत्र के जल, थल और वायु-तीनों ही मुक्ति प्रदाता है। इसलिए कुरूक्षेत्र की भूमि में तीनों का आध्यात्मिक संगम है।’
    भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान-सागर को 18 अध्यायों तथा 700 श्लोकों की गीता रूपी गागर में भरकर मानव जाति के कल्याण का मार्ग दिखाया है। इसके 700 श्लोक जीवन के 700 सूत्र प्रतिपादित करते हैं। सच तो यह है कि मानव जीवन की सभी समस्याओं के हल और मानव प्रबन्धन यानी ‘ह्नयूमन मैनेज़मेंट‘ का यह सबसे उत्तम मार्गदर्शक है।
    आज हमें गीता ज्ञान से प्रेरित होकर स्वयं की, समाज की और अपने राष्ट्र की उन्नति के लिए अपनी ‘कर्म संस्कृति‘ को अपनाना होगा। तभी हम भू-मण्डलीकरण के इस दौर में विकसित देशों की प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे।
    जिस देश ने तीर्थ स्थलों के रूप में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजकर नहीं रखा उनकी सभ्यताएं ही नष्ट हो गई। अतः हमें अपनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहरों को हर स्थिति में बनाए रखना है। कुरूक्षेत्र तीर्थ भी इन महान धरोहरों का अभिन्न अंग है, जिसके वैभव को बनाए रखने के लिए हम कटिबद्ध है।
    पिछले महीने मैंने कुरूक्षेत्र के विभिन्न तीर्थ स्थलों का दौरा किया और पूजा-अर्चना की। इससे मुझे एहसास हुआ कि भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पवित्र स्थल होने के साथ-साथ इस स्थली को आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक विकसित किया जा सकता है। इससे श्रीमद्भगवत गीता का संदेश भी जन-जन तक पहुंचेगा और विश्वभर के लोग कुरूक्षेत्र से जुड़ पाएगें।
    ळप्म्व् ळपजं श्रीमद्भगवद गीता के संदेश को विश्वभर से जन-जन तक पहुंचाने के लिए बहुत बड़ा माध्यम साबित हुआ है। इसलिए एक बार फिर मैं गीता मनीषी परम आदरणीय स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज का हार्दिक अभिनन्दन एवं धन्यवाद करता हूँ। मुख्यमंत्री हरियाणा के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस. ढेसी व सभी गणमान्य महानुभावों का धन्यवाद करता हूँ।

    जय हिन्द।