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    26वीं वन खेलकूद प्रतियोगिता खेल का समापन समारोह, पंचकूला

    Publish Date: मार्च 14, 2023

    श्री ज्ञान चन्द गुप्ता जी, माननीय अध्यक्ष, हरियाणा विधानसभा,
    श्री कंवर पाल जी, माननीय वन और वन्यजीव मंत्री, हरियाणा,
    श्री विनीत गर्ग, एसीएस वन विभाग, हरियाणा सरकार

    भारत के विभिन्न राज्यों से इस खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने आए वन सेवा कर्मी एवं अधिकारियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
    मैं अपने उद्बोधन की शुरूआत श्रीमद् भगवद गीता के श्लोक से करना चाहूंगाः-
    चञ्चलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम्।
    तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम्।।

    अर्थात् हे कृष्णा! चूंकि मन चंचल, अस्थिर, हठीला तथा अत्यंत बलवान है, अतः मुझे इसे वश में करना वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन लगता है।
    आज के परिवेश में जब हम अपनी संस्कृति, मूल्यों और संस्कारों से दूर होकर इंद्रिया लोलुपता वाली पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में अधिक आ रहे हों तो मन को नियंत्रण में करना और भी कठिन हो गया है। आजकल की युवा पीढ़ी बहुधा सोशल मीडिया और ड्रग्स के प्रभाव में आकर कई बार अपना समय, चरित्र और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य खो देती है। इस तरह की खेलकूद प्रतियोगिताएं उसे सोशल मीडिया के बंद दायरे से बाहर अखाड़े की ओर खींचकर लाती हैं, जहां वह अपना पसीना बहाता है और शरीर को बलिष्ठ बनाता है और मन को भी पुष्टि मिलती है।

    खेलकूद प्रतियोगिताओं में जाकर वह नौजवान किसी प्रशिक्षक को अपना गुरू स्वीकार करता है, जो उसके अंदर अनुशासन और शिष्टाचार की भावना को भरते हैं। ऐस में उसके पास बेकार की बातों में उलझने का समय नही रहता। शारीरिक और मानसिक मजबूती से उसके भीतर आत्म विश्वास आता है। वह देश और समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनता है।
    हमारे देश और समाज के सामने आंतरिक और भीतरी सुरक्षा समस्याएं हमेशा रहती हैं। हमे उनसे जूझने के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर संस्कारी युवाओं की जरूरत होती है। हमारे सुरक्षा बलों और समाजसेवी संस्थाओं को ऐसे अनुशासित और संस्कारी नौजवान इन्हीं खेलकूद प्रतियोगिताओं की बदोलत मिलते हैं।

    प्रिय साथियों!
    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि ताऊ देवीलाल स्टेडियम में छब्बीसवीं अखिल भारतीय वन खेल प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ। यह वन कर्मियों एवं वन अधिकारियों में व्याप्त खेल के प्रति उनके समर्पण का परिणाम है कि प्रतियोगी लगभग छत्तीस खेलों की दो सौ तिहतर प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें कि एकाकी एवं टीम खेल शामिल हैं ।
    वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के परियोजन से प्रथम बार अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन सन् उनीस सौ तिरानवें में हैदराबाद में किया गया।
    प्रतिदिन के कार्यों के लिए वन में कार्यरत कर्मचारी एवं अधिकारियों को दुर्गम वन क्षेत्रों में कार्य करते हैं, जिसमें कि वन क्षेत्रों की दैनिक गश्त भी शामिल है। इसलिए उनका शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गतिशील होना आवश्यक है। खेल ऐसा माध्यम है जिससे कि शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है। मैं यह समझता हूं कि वन कमिर्याे एवं वन अधिकारियों की जीवन शैली में खेल अभिन्न अंग है।
    मैंने यह भी अनुभव किया है कि वन कर्मी अपने कर्तव्य के लिए लगातार चौबीसों घण्टे तथा वर्ष के सारे दिन बड़ी तत्परता से तैयार रहते हैं। उनकी यह प्रकृति एवं वन्य जीवो के प्रति निष्ठा भावना का परिणाम है कि बहुत से वन्य जीव जो कि विलुप्ता की कगार पर थें जिसमें कि भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ भी शामिल है कि संख्या गत वर्षाे में बढ़ रही है।
    प्रिय वन कर्मियों!
    यद्यपि हरियाणा मुख्यतः कृषि प्रधान राज्य है परन्तु यहां पर भी वन कर्मियों ने अपने योगदान से शिवालिक के पहाड़ी क्षेत्रों एवं अरावली क्षेत्र में विद्धमान वनों एवं वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्धन किया है। हरियाणा राज्य देश के लिए वेटलिफिटिंग, कुश्ती, कबड्डी, हॉकी, बोक्सिंग, जैवलिन आदि खेलों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देता रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि हरियाणा राज्य खेलों की क्रीडा स्थली है।
    खेल ना केवल हमारा भरपूर मनोरंजन करते है बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और उचित मानसिक चेतना के लिए भी आवश्यक है। खेल भावना से युक्त जीवन आनन्दायी हो जाता है क्योंकि वह जीवन को जय-पराजय से मुक्त रखने के लिए प्रेरणा का कार्य करती है। खेल मनुष्य को आलस्यविहीन होने के लिए अग्रसर करता है तथा जीवन के संघर्षाे के प्रति मनोबल का दृढ़ता प्रदान करता है। खेल शरीर को बल, मॉस-पेशियों को दृढ़ता, जठराग्नि को तीव्रता तथा मन प्रसन्नता देता है। खेल ऐसा प्रयोजन है जो खिलाड़ी एंव खेल प्रेमी दोनों को ही आनंद प्रदान करता है ।
    जीवन में खेल व नीति दोनों का बड़ा योगदान है इसलिए हमारे भारत की गुरू शिष्य परम्परा में दोनों का ही समायोजन था जहां ना केवल शिष्यों में ज्ञान का आदान-प्रदान था बल्कि शारीरिक सौष्ठव एंव क्रियाशीलता के लिए खेलों का उद्यम भी किया जाता था ।
    जीवन में धैर्य और अनुशासन से ही व्यक्ति सफल हो पाता है और खेलों में भी धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है। एक अच्छा खिलाड़ी खेल में आई हुई कठिनाईयों से उभरकर जीत का वरण करता है और ऐसे ही जीवन में खेलों जैसी जीवटता रखने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं। खेल के अभ्यास से मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है ।
    खेल मे भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सदभाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे अध्यात्मिक साधना में मदद मिलती है ।
    खेल मनुष्य में आपसी समझ को बढ़ावा देते हैं क्योंकि कोई भी खेल अकेले नहीं खेला जा सकता। टीम के साथ खेलकर हमें सहयोग से काम करने की आदत पड़ती है। मिलकर खेलने में व्यक्तिगत हार-जीत नहीं रहती। हार का दुःख तथा जीत की खुशी साथी खिलाडियों में बंट जाती है। खेल में जीत के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी व्यक्तिगत यश के लिए न खेलें। वह अन्य खिलाडियों के साथ सहयोग से खेलें। इस प्रकार खेलों से टीम भावना तथा सहकारिता की भावना से काम करने की शिक्षा स्वयंमेव मिलती रहती है।
    मुझे यह बताते हुए बड़ा गौरव होता है कि हरियाणा राज्य देशभर में खेलों अग्रणीय राज्य है। इस राज्य में देश को बोक्सिंग, कुश्ती, वेटलिफिटिंग, जैवलिन आदि में अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने विश्व प्रतियोगिता मे अपने देश का मान बढाया है। मुझे बताया गया है कि वन विभाग के अन्य राज्यों कुछ अधिकारी भी खेलों में अग्रणीय है। कर्नाटक केडर की महिला अधिकारी दीप जे कोन्टैक्टर ने जहां एंटार्टिका में भारतीय झण्डा लहराया, वही दो हजार सौलह में युवा आई.एफ.एस. अधिकारी एस० प्रभाकरन ने मांउट एवेरेस्ट पर झण्डा लहराया था।
    मुझे यह भी ज्ञात हुआ है पिछले पैरा ऑलम्पिक में राजस्थान के वन अधिकारियों ने स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीते। अन्य अधिकारियों के ऐसे अनुभव से मैं आशा करता हूं की खेलों में सम्मलित खिलाड़ी ऊर्जान्वित होगें तथा अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए खेलों के माध्यम से अपने शरीर एवं मन दोनों को स्वस्थ रखेंगें।
    हरियाणा के युवाओं की मेहनत और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा की मजबूत खेल नीति की बदौलत खिलाड़ियों ने मैडलों की झड़ी लगा दी है। राष्ट्रमंडल खेल-दो हजार बाईस में हरियाणा के बयालीस खिलाड़ी दो सौ दस खिलाड़ियों वाले भारतीय दल का हिस्सा थे। भारत ने बाईस स्वर्ण, सोलह रजत और तेइस कांस्य पदक जीते, जबकि अकेले हरियाणा के खिलाड़ियों ने नौ स्वर्ण, चार रजत और सात कांस्य पदक जीते। इनका भारत द्वारा जीते गए कुल इक्सठ पदकों में से बत्तीस दशमलव अठ्हतर प्रतिशत का योगदान है।
    टोक्यो ओलम्पिक-दो हजार बीस में देश के एक सौ छब्बीस प्रतिभागियों में से हरियाणा प्रदेश के इकत्तीस खिलाड़ियों ने भाग लिया। भारत के लगभग दो प्रतिशत क्षेत्रफल व आबादी वाले हरियाणा का ओलम्पिक खेलों में पचास प्रतिशत से अधिक मेडल का योगदान रहा है। टोक्यो ओलम्पिक-दो हजार बीस में देश में प्राप्त सात पदकों में से प्रदेश के खिलाड़ियों ने एक स्वर्ण, एक रजत तथा दो कांस्य पदक प्राप्त किए, इसके साथ ही देश की महिला हॉकी टीम जो चतुर्थ स्थान पर रही, इस टीम में प्रदेश की नौ महिला खिलाड़ियों ने भाग लिया।
    खेलो इण्डिया के पश्चात् हरियाणा राज्य अखिल भारतीय वन खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है। यह बड़े गर्व की बात है। मैं आयोजकों के लिए इस सफल आयोजन की बधाई देता हूं।
    अतः इस खेलकूद प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया। मैं उन सभी खिलाड़ियों, टीमों एवं राज्यों को बधाई देता हूं जिन्होंने पदक जीते। उनको भी मेरी शुभकामनाएं जो पदक नहीं जीत पाए। प्रतियोगिता का हिस्सा बनना ही अपने आप में उपलब्धि है ।
    जय हिन्द!