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    26वीं वन खेलकूद प्रतियोगिता खेल का समापन समारोह, पंचकूला

    Publish Date: मार्च 14, 2023

    श्री ज्ञान चन्द गुप्ता जी, माननीय अध्यक्ष, हरियाणा विधानसभा,
    श्री कंवर पाल जी, माननीय वन और वन्यजीव मंत्री, हरियाणा,
    श्री विनीत गर्ग, एसीएस वन विभाग, हरियाणा सरकार

    पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में उपस्थित भारत के विभिन्न राज्यों से आये वन सेवा कर्मी एवं अधिकारियो!
    हम सब के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि ताऊ देवीलाल स्टेडियम में छब्बीसवें अखिल भारतीय वन खेल प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ। यह वन कर्मियों एवं वन अधिकारियों में व्याप्त खेल के प्रति उनके समर्पण का परिणाम है कि प्रतियोगी लगभग छत्तीस खेलों की दो सौ तिहत्तर प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें कि एकाकी एवं टीम खेल शामिल हैं ।
    वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के परियोजन से प्रथम बार अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन सन् उन्नीस सौ तिरानवें में हैदराबाद में किया गया। अपने दैनिक कार्यों के लिए वन में कार्यरत कर्मचारी एवं अधिकारियों को दुर्गम वन क्षेत्रों में कार्य करना रहता है जिसमें कि वन क्षेत्रों की दैनिक गश्त भी शामिल है इसलिए उनका शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गतिशील होना आवश्यक है। अपने कार्यों के उचित निष्पादन के लिए वन प्रहरियों के रिफलैक्स तत्वरित होने चाहिए ताकि किसी भी खतरे के अंदेशे से बचा जा सके। खेल ऐसा माध्यम है जिससे कि शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है तथा व्यक्ति के रिफलैक्स भी तेज रहते है। मैं यह समझता हूं कि वन कमिर्याे एवं वन अधिकारियों की जीवन शैली में खेल अभिन्न अंग है ।
    मैंने यह भी अनुभव किया है कि वन कर्मी अपने कर्तव्य के लिए लगातार 24 घण्टे तथा वर्ष के सारे दिन बड़ी तत्परता से तैयार रहते है। उनकी यह प्रकृति एवं वन्य जीवो के प्रति निष्ठा भावना का परिणाम है कि बहुत से वन्य जीव जो कि विलुप्ता की कगार पर थें जिसमें कि भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ भी शामिल है कि संख्या गत वर्षाे में बढ़ रही है। यद्यपि हरियाणा मुख्यतः कृषि प्रधान राज्य है परन्तु यहां पर भी वन कर्मियों ने अपने योगदान से शिवालिक के पहाड़ी क्षेत्रों एवं अरावली क्षेत्र में विद्यमान वनों एवं वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्धन किया है। हरियाणा राज्य देश के लिए वेटलिफिटिंग, कुश्ती, कबड्डी, हॉकी, बोक्सिंग, जैवलिन आदि खेलों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देता रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि हरियाणा राज्य खेलों की क्रीडा स्थली है। मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि हमारे राज्य के वन कर्मी वन एवं अधिकारी आयोजित होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता में ना केवल बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे परन्तु उच्चगुणवत्ता के खेल एवं खेल भावन का भी प्रदर्शन करेंगे।
    खेल ना केवल हमारा भरपूर मनोरंजन करते है बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और उचित मानसिक चेतना के लिए भी आवश्यक है। खेल भावना से युक्त जीवन आनन्दायी हो जाता है क्योंकि वह जीवन को जय-पराजय से मुक्त रखने के लिए प्रेरणा का कार्य करती है। खेल मनुष्य को आलस्यविहीन होने के लिए अग्रसर करता है तथा जीवन के संघर्षाे के प्रति मनोबल का दृढ़ता प्रदान करता है। खेल शरीर को बल, मॉस-पेशियों को दृढ़ता, जठराग्नि को तीव्रता तथा मन प्रसन्नता देता है। खेल ऐसा प्रयोजन है जो खिलाड़ी एंव खेल प्रेमी दोनों को ही आनंद प्रदान करता है ।
    जीवन में खेल व नीति दोनों का बड़ा योगदान है इसलिए हमारे भारत की गुरू शिष्य परम्परा में दोनों का ही समायोजन था जहां ना केवल शिष्यों में ज्ञान का आदान-प्रदान था बल्कि शारीरिक सौष्ठव एंव क्रियाशीलता के लिए खेलों का उद्यम भी किया जाता था ।
    जीवन में धैर्य और अनुशासन से ही व्यक्ति सफल हो पाता है और खेलों में भी धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है। एक अच्छा खिलाड़ी खेल में आई हुई कठिनाईयों से उभरकर जीत का वरण करता है और ऐसे ही जीवन में खेलों जैसी जीवटता रखने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं। खेल के अभ्यास से मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है ।
    खेलने से पुष्ट हुआ और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते है। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल मे भाग लेने से खिलाडियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सदभाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे अध्यात्मिक साधना में मदद मिलती है ।
    खेल मनुष्य में आपसी समझ को बढ़ावा देते है क्योंकि कोई भी खेल अकेले नहीं खेला जा सकता। टीम के साथ खेलकर हमें सहयोग से काम करने की आदत पड़ती है। मिलकर खेलने में व्यक्तिगत हार-जीत नहीं रहती। हार का दुःख तथा जीत की खुशी साथी खिलाडियों में बंट जाती है। खेल में जीत के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी व्यक्तिगत यश के लिए न खेलें। वह अन्य खिलाडियों के साथ सहयोग से खेलें। इस प्रकार खेलों से टीम भावना तथा सहकारिता की भावना से काम करने की शिक्षा स्वयंमेव मिलती रहती है।
    आज संसार के सभी देशों ने खेल के महत्व को समझ लिया है, इसलिए खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों, कॉलेजों में खेलों पर अधिक खर्च किया जाने लगा है। अब हर स्तर पर खेलों का महत्व समझाने के लिए खेलों का आयोजन होने लगा है। इससे न केवल खिलाडियों का बल्कि दर्शकों का भी मनोरंजन होता है। इससे जीवन रसमय बन जाता है। खेल के मैदान में खिलाड़ियों से अधिक उत्साह दर्शकों में दिखाई देता है। विदेशों में खेल के महत्व को समझते हुए खेल पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
    हरियाणा राज्य देशभर में खेलों अग्रणीय राज्य है। इस राज्य में देश को बोक्सिंग, कुश्ती, वेटलिफिटिंग, जैवलिन आदि में अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दिए है जिन्होंने विश्व प्रतियोगिता मे अपने देश का मान बढाया है। मुझे बताया गया है कि वन विभाग के अन्य राज्यों कुछ अधिकारी भी खेलों में अग्रणीय है। कर्नाटक केडर की महिला अधिकारी दीप जे कोन्टैक्टर ने जहां एंटार्टिका में भारतीय झण्डा लहराया, वही 2016 में युवा आई.एफ.एस. अधिकारी एस० प्रभाकरन ने मांउट एवेरेस्ट पर झण्डा लहराया था। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है पिछले पैरा ऑलम्पिक में राजस्थान के वन अधिकारियों ने स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीते। अन्य अधिकारियों के ऐसे अनुभव से मैं आशा करता हूं की खेलों में सम्मलित खिलाड़ी ऊर्जान्वित होगें तथा अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए खेलों के माध्यम से अपने शरीर एवं मन दोनों को स्वस्थ रखेंगें। मैं आशा करता हूं कि यहां उपस्थित खेल प्रेमी अधिकारी पूरे मनोयोग से इस प्रतियोगिता में भाग लेगें और खेल भावना से ओत प्रोत होकर सकारात्मक भाव से अपने कार्यस्थली पर अपने कार्यों द्वारा देश की प्रगति में अपना पूरा योगदान देगें ।
    खेलो इण्डिया के पश्चात् हरियाणा राज्य अखिल भारतीय वन खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है। यह बड़े गर्व की बात है। मैं आयोजकों के लिए इस सफल आयोजन की बधाई देता हूं।
    मुझे बताया गया है कि इस खेलकूद प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया। मैं उन सभी खिलाड़ियों, टीमों एवं राज्यों को बधाई देता हूं जिन्होंने पदक जीते। उनको भी मेरी शुभकामनाएं जो पदक नहीं जीत पाए। प्रतियोगिता का हिस्सा बनना ही अपने आप में उपलब्धि है ।
    जय हिन्द!