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    हैदराबाद में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन पर दिए जाने वाले भाषण का प्रारूप

    Publish Date: अप्रैल 1, 2022

    भारत के उपराष्ट्रपति, माननीय श्री एम वेंकैया नायडू जी
    2. तेलंगाना की राज्यपाल, माननीया श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन जी
    3. महाराष्ट्र के राज्यपाल, माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी जी
    4. तेलंगाना के मुख्यमंत्री, श्री के. चंद्रशेखर राव जी
    5. केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और क्व्छम्त् मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी जी
    6. तेलंगाना सरकार में संस्कृति मंत्री, श्री वी. श्रीनिवास गौड़ जी
    7. हैदराबाद के सांसद श्री असदुद्दीन ओवैसी जी
    8. हैदराबाद के विधायक, श्री मुता गोपाल जी,
    उपस्थित अन्य अधिकारीगण और पत्रकार व छायाकार बन्धुओं।
    भारत विभिन्नताओं का देश है। इसी में देश की एकता है। इसकी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखने के लिए केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस आयोजन में पहंुचकर मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हॅू। इसके लिए मैं आयोजक मंडल का धन्यवाद करता हूं तथा कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    हमारा प्राचीन इतिहास अनेक कलाओं का संगम रहा हैं, यहां की शिल्पकला ने दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। देश के उत्तर क्षेत्र के जम्मु कश्मीर में जहां ब्तमूमस म्उइतवपकमतलए ॅववक ब्तंजिपदह ंदक ब्ंतअपदह ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है। वहीं दक्षिण भारत के केरल के ठतंेे ंदक ठमसस डमजंस ॅवतोए ब्ंदम च्तवकनबजेए ैंदकंसूववक ब्ंतअपदहए ज्ञंजींांसप डंेो इत्यादि विशेष स्थान रखते हैं।
    हमारे भारत में भवन निर्माण की कला भी बेजोड रही है, देश में अनेक भवन और मंदिरों का अदभूत निर्माण इसका प्रमाण है। इतना ही नही प्रकृति की आराधना में संगीत कला और नृत्य कला का विलक्षण संयोग हैं।
    भारत एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग स्थानों पर अलग वेषभूषा, अलग भाषा तथा अलग खानपान होते हुए भी एक है। यही भारत की विविधता में एकता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक पहाड़ों पर रहने वाले व्यक्ति हो या मैदानी भागों के लोग या आदिवासी, ये सभी भारत की विश्ष्टि पहचान है और देश की अनेकता में एकता का परिचय दे रहे हैं। इसलिए भारत में हुए अनेक आक्रमणों के बावजूद भी भारत सांस्कृतिक रूप से हमेशा एक रहा है। हमारी प्राचीन परम्पराएं तथा सुदृड विरासत सदैव कायम रही हैं।
    आज इसी का परिणाम है कि उत्तर दिशा में चाहे कश्मीर या शिमला जैसे पर्यटन स्थल हो, पूर्व में सदियों पुराना कामाख्या देवी का मन्दिर, पश्चिम के गुजरात में कच्छ का मरूस्थल हो या तेलंगना के प्रसिद्ध भ्मतपजंहम रामप्पा देवालय हो या दक्षिण में कन्याकुमारी व रामेश्वरम के प्रसिद्ध तीर्थों को हमारे देश के लोग आज भी बड़े श्रद्धाभाव से देखने जाते हैं। इन स्थानों पर केवल हमारे देश के श्रद्धालु ही नहीं जाते हैं बल्कि विदेशी पर्यटक भी यहां की यात्रा करते हैं।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत का संस्कृति मंत्रालय, हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के विभिन्न रूपों का न केवल संरक्षण कर रहा है, बल्कि बढ़ावा भी दे रहा है। इसके साथ ही वैश्विक विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से दुनिया के विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को विकसित किया जा रहा है, जिससे लोक कला और संस्कृति के विभिन्न रूपों के प्रचार-प्रसार कार्य को बढ़ावा मिला है।
    भारत सरकार ने पूरे देश में सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित किए हैं, जोकि विभिन्न लोक कलाओं से युक्त हमारी समृद्ध प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार करते हैं। सरकार द्वारा नृत्य, संगीत, शिल्प और रचनात्मक कार्यों हेतु हर साल राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (त्ैड) का आयोजन किया जाता है। इसमें कलाकारों और कारीगरों को जहां अपना हूनर प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होता है, वहीं उन्हें अपनी आजीविका कमाने का मौका मिलता है।
    सरकार द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के आयोजनों से देश की दुर्लभ और विलुप्त कलाओं को एक मंच प्राप्त होता है, जहां वे स्वयं का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। हमारी केन्द्र सरकार ने वर्ष 2015 से अब तक देश के विभिन्न शहरों में ऐसे ग्यारह मेलों का आयोजन किया है। इनमें दिल्ली, वाराणसी, बेंगलुरु, त्वांग, गुजरात, मध्य प्रदेश, टिहरी और पश्चिम बंगाल प्रमुख तौर पर शामिल हैं।
    ऐसे महोत्सव, कलाकारों में विश्वास पैदा करते हैं। कोविड महामारी के दौरान भी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों और कारीगरों की सुविधा के लिए ऐसे राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आयोजित किए हैं, जोकि सराहनीय रहा है। आज का यह महोत्सव भी भविष्य के प्रभावी सिद्ध होगा ऐसी मैं उम्मीद करता हूं।
    सरकार ने सर्भी वदंस ब्नसजनतम ब्मदजतम के माध्यम से देश के तीन स्थानों पर ऐसे केन्द्र बनाए हैं जिन्हें आंगन के नाम से जाना जाता है। इन प्रत्येक आंगन में सम्बन्धित राज्यों की शिल्पकला की दुकानें होती हैं, जो कि हस्तशिल्प और बुनाई इत्यादि को प्रदर्शित करती है।
    हरियाणा सरकार द्वारा सांस्कृतिक और शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए अनेक आयोजन किए जाते हैं। इनमें अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेला, विश्व में अपनी पहचान बनाएं हुए है। इसमें विभिन्न देशों व प्रदेशों के शिल्पकार भाग लेते हैं तथा अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं। इसके साथ ही विभिन्न त्योंहारों तथा महापुरूषों की जयंतियों और हमारे प्राचीन जीवन दर्शन गीता जयंती के अवसर पर भी प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
    इस सराहनीय कार्यक्रम से भारतीय संस्कृति को नई दिशा मिलेगी और देश के युवा हस्तशिल्प और कारीगरों को नई पहचान प्राप्त होगी। ऐसे आयोजन हमारे देश की विविधताओं को एकता में प्रदर्शित करने में अहम भूमिका अदा करेंगे।
    अंत में इस आयोजन में भाग ले रहे सभी आगंतुकों व आयोजकों का मैं धन्यवाद करता हूँ।
    धन्यवाद
    जय हिन्द!