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    स्पेशल ओलंपिक भारत द्वारा दिव्यांगजनों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य उत्सव का आयोजन (गुरूग्राम)

    Publish Date: अप्रैल 5, 2022

    डा0 मल्लिका नड्डा जी, चेयरपर्सन, स्पेशल ओलम्पिक भारत
    श्री अनिल विज जी, गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा
    श्री ओम प्रकाश यादव जी, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री हरियाणा
    श्री ओम प्रकाश धनखड़ जी, प्रदेशाध्यक्ष, बीजेपी
    डा0 वीणा सिंह जी, महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग हरियाणा
    श्री निशान्त कुमार यादव जी, उपायुक्त गुरूग्राम
    उपस्थित सभी पदाधिकारीगण, अतिथिगण, सभी एथलीट्स, खिलाड़ी, भाइयों-बहनों, पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओ।
    आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी में आज स्पेशल ओलम्पिक भारत द्वारा दिव्यांगजनों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य उत्सव का आयोजन किया गया है। इस पुण्य कार्य के लिए मैं स्पेशल ओलम्पिक भारत की पूरी टीम को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हंू।
    खेल व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेल के बिना कोई खिल नहीं सकता न कोई खुल सकता है। व्यक्ति में टीम स्पिरिट, साहस और प्रतिस्पर्धा को समझने की क्षमता खेल से ही आती है। खेल के लिए व्यक्ति का स्वस्थ होना भी जरूरी है। इसी उद्देश्य को लेकर स्पेशल ओलम्पिक भारत द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य उत्सव का आयोजन किया जाना ‘फिट इंडिया’ अभियान को आगे बढ़ाना है।
    मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि स्पेशल ओलम्पिक भारत द्वारा पांच और सात अप्रैल को देश के पिचहत्तर (75) शहरों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में देश भर के पिचहत्तर सौ (7500) विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा पिचहत्तर हजार (75000) एथलीटों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। यह दिव्यांग खिलाड़ियों, एथलीटों के जीवन में एक ऐतिहासिक क्षण होगा और इस आयोजन से इन सभी एथलीटों के मन में यह विश्वास होगा कि केन्द्र व राज्य सरकारों के साथ-साथ स्पेशल ओलम्पिक भारत व अन्य संस्थाएं हमारे हितों के लिए चिंतित हैं और हम सभी को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयास के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण और खेल के क्षेत्र में हमारी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं।
    इस समय हमारे देश में तीन करोड़ के लगभग व्यक्ति दिव्यांग है जो देश की कूल संख्या का तीन प्रतिशत से भी अधिक है जिनमंे से पिचहत्तर (75) प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है। हमारे कुल दिव्यांग व्यक्तियों में उन्चास (49) प्रतिशत दिव्यांगजन साक्षर है और चौंतीस (34) प्रतिशत रोजगार प्राप्त व्यक्ति है।
    केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा दिव्यांगों के पुनर्वास और चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ दिव्यांगों की प्रतिभा की पहचान की जा रही है ताकि इन सभी दिव्यांगों की उर्जा का राष्ट्र निर्माण में भरपूर उपयोग किया जा सके।
    केन्द्र सरकार द्वारा सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मन्त्रालय के अन्तर्गत दिव्यांगों के कल्याण के लिए दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग का गठन किया गया है। इस विभाग द्वारा दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इनमें The National Handicapped Finance and Development Corporation (NHFDC), Deendayal Disabled Rehabilitation Scheme (DDRS), Indira Awaas Yojana, Scheme of National Awards for the Empowerment of Persons with Disabilities शामिल है।
    दिव्यांगों से सम्बन्धित योजनाओं को संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दो हजार एक सौ बाहत्तर करोड़ रूपये (2172 करोड़ रूपये) का बजट में प्रावधान भी किया है। इतना ही नहीं दिव्यांगजन के अधिकारों की सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कई कानून भी बनाए गए हैं। विकलांग व्यक्ति ( समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995, ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम उन्नीस सौ निनानवे (1999) तथा भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम बनाए गए हैं।
    दुनिया में अनेक दिव्यांगजनों ने शिक्षा, विज्ञान, खेल, कला, सामाजिक क्षेत्रों में इतिहास रचा है। दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हाकिंग जो मोटर न्यूरान नामक बीमारी से पीड़ित थे। इन्होंने दुनिया को बिंग बैंग थ्योरी और ब्लैक हाल थ्योरी के बारे में समझाया। इसी तरह फ्रांसीसी लेखक लुईस ब्रेल जिनकी आठ वर्ष की आयु में आंखें चली जाने के बावजूद भी इन्होंने ब्रेल लिपि तैयार की। आज उस लिपि के द्वारा विश्व के दृष्टिहीन लोग शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण कार्यो में अपना योगदान दे रहें है।
    देश-दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण है कि दिव्यांगजन ने विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्य कर समाज को नई दिशा देने का काम किया है।
    दिव्यांगजनों में प्रतिभा की कमी नहीं है जरूरत है कि सरकार के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं और हम सभी उनकी प्रतिभा को खोज कर उन्हें तराशने का काम करें। केन्द्र और राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत कार्य कर रही हैं। सामाजिक संस्थाओं को और आगे बढ़ाकर कार्य करना होगा। सरकारी व गैर सरकारी संस्था शहरी क्षेत्रों तक तो पहुंची है लेकिन अभी भी विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे दिव्यांगजनों के लिए कार्य करने की जरूरत है।
    सभी दिव्यांगजन अपनी प्रतिभा अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कर रहे हैं वहीं खेलों के क्षेत्र में भी कहीं पीछे नहीं हैं। भारत ने पैरालम्पिक के इतिहास में कुल इक्कतीस (31) पदक जीते हैं, जिनमें नौं स्वर्ण, बारह (12) रजत और दस कांस्य पदक शामिल है। गत वर्ष हुए टोक्यो पैरालम्पिक-दो हजार बीस (2020) में खिलाड़ियों ने उन्नीस (19) मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। जिसमें छः मैडल हरियाणा से हैं। इनमें हरियाणा के सुमित अंतिल ने जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक तथा मनीष नरवाल ने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश के साथ-साथ देश का नाम रोशन किया।
    हरियाणा की खेल नीति में सामान्य खिलाड़ियों और दिव्यांग खिलाड़ियों को बराबर की सुविधाएं दी गई हैं। खेल नीति के अनुसार ओलंपिक और पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को छः करोड़, रज़त पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को चार करोड रूपए और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को अढ़ाई करोड़ रूपए की राशि दी जा रही है।
    इसी प्रकार से हरियाणा सरकार द्वारा स्पेशल ओलम्पिक में मेडल जीतने वाले स्पेशल खिलाड़ियों को भी नकद राशि पुरस्कार के रूप में दी जाती है। यहां तक हर वर्ष एक खिलाड़ी का भीम पुरस्कार से नवाजा जाता है। अब तक चार खिलाड़ियों को भीम पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। जिसमें रोहतक के केशव मलिक को बैडमिंटन में, फरीदाबाद के भूपेन्द्र को एथलेटिक्स में, करनाल के अरूण को रोलर स्केटिंग में तथा गुरूग्राम के रणवीर सैनी को गोल्फ में भीम पुरस्कार दिया गया है।
    हरियाणा में चार और स्पेशल खिलाड़ियों को भीम पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। मैं इन सभी खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई देता हूँ।
    मेरी सभी सामाजिक संस्थाओं और समृद्ध व्यक्तियों से अपील है कि आप सब दिव्यांगजनों को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए आगे आएं क्योंकि देश में हर वर्ग का व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा तो देश आत्मनिर्भर होगा। इससे आजादी के अमृत महोत्सव मनाए जाने की और अधिक सार्थकता होगी।
    एक बार फिर मैं स्पेशल ओलम्पिक भारत की टीम व सभी सामाजिक संस्थाओं को शुभकामनाएं देते हुए धन्यवाद करता हूँ ओर अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
    धन्यवाद
    जय हिन्द- जय हरियाणा!