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    सूरजकुंड अर्न्तराष्ट्रीय शिल्प मेला – 2022 उद्घाटन समारोह

    Publish Date: मार्च 19, 2022

    आदरणीय श्री मनोहर लाल जी, मुख्यमंत्री हरियाणा
    आदरणीय श्री कंवरपाल जी पर्यटन मंत्री, हरियाणा
    आदरणीय श्री दिलशोद अखतोव जी, राजदूत उज्बेकिस्तान गणराज्य
    आदरणीय श्री कृष्ण पाल जी, केंद्रीय राज्य मंत्री
    आदरणीय श्री मूल चंद शर्मा जी, कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री, हरियाणा
    आदरणीया श्रीमती सीमा त्रिखा जी, विधायक बड़खल
    श्री अरविन्द, केन्द्रीय पर्यटन सचिव,
    उपस्थित केन्द्र व राज्य सरकार के अधिकारीगण, देश विदेश से पहुंचे शिल्पकार, कलाकार, पर्यटक, भाईयो-बहनों तथा मीडिया के बन्धुओं !

    देश की हस्तशिल्प और हथकरघा परम्परा को प्रदर्शित करने वाले पैंत्तिसवें (35वें) सूरजकुण्ड शिल्प मेले के उद्घाटन समारोह में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्ता हो रही है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर पैंत्तिसवें (35वें) सूरजकुण्ड अर्न्तराष्ट्रीय शिल्प मेले के आयोजन के लिए मैं हरियाणा और केन्द्र सरकार को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएॅं देता हॅू। साथ ही साथ देश विदेश से पहंुचे शिल्पी, कलाकार और पर्यटकों का हरियाणा की पावन धरा पर स्वागत एवं अभिनन्दन करता हॅू।
    जैसे कि आप सबको पता है कि यह मेला उन्नीस सौ सत्तासी (1987) से हर साल आयोजित किया जाता है। इस साल इसमें हजारों की संख्या में शिल्पकार और बुनकर भाग ले रहे हैं। सूरजकुण्ड शिल्प मेला देश-विदेश के शिल्पकारों और बुनकरों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने और बेचने का अवसर उपलब्ध कराता है। पखवाड़ा भर चलने वाले इस मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचेगें।
    मानव सभ्यता और संस्कृति को विकसित करने में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। अतः शिल्पियों को विश्व-सभ्यता के शिल्पी भी कहा जाए तो कोई अतिष्योक्ति नहीं होगी। मानव-जीवन में कला, संस्कृति और संगीत का बहुत महत्व होता है। इसलिए यह मेला इन तीनों का एक अद्भुत संगम है। इस संगम में विभिन्न देशों व प्रदशों के कलाकार इकट्ठे हुए हैं जिन्होनें अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की हैं।
    इस बार उज्बेकिस्तान मेले मंे सहभागी देश के रूप में भाग ले रहा है। इतिहास में ‘उज्बेकिस्तान‘ और भारत के संबन्धों की जड़ें बहुत गहरी हैं। व्यापारिक संबन्धों के साथ-साथ वास्तुकला, नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक संबन्धों में भी एक दूसरे का गहरा योगदान है। इसके साथ-साथ भारतीय सिनेमा भी ‘उज्बेकिस्तान‘ में बहुत ही लोकप्रिय है।
    मेले में स्ंजपद ।उमतपबंद ब्वनदजतपमेए म्जीपवचपंए डव्रंउइपुनमए ज्ंद्रंदर्पंए पउइंइूमए न्हंदकंए छंउपइपंए ैनकंदए छपहमतपंए ळनपदमंए ैमदमहंसए ।दहवसंए ळींदंए ज्ींपसंदकए छमचंसए ैतप स्ंदांए प्तंदए डंसकपअमे सहित 30 से भी अधिक देश भाग ले रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में देशों के भाग लेने से इनके साथ हमारे भारत के सम्बन्ध तो प्रगाढ़ होगें ही हरियाणा के भी सभी देशों से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बढेंगें। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को विदेशों से अपने सम्बन्ध बनाने की आजादी देकर एक नए युग की शुरूआत की है।
    मुझे यह जानकर और भी खुशी हुई कि पैंŸाीसवें (35वें) सूरजकुण्ड शिल्प मेले में जम्मु-कश्मीर राज्य ’थीम स्टेट’ के रूप में भाग ले रहा है। इस राज्य की संस्कृति की अपनी ही पहचान है। जम्मु-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। यह राज्य अपनी असीम सुंदरता, पर्यटन स्थल और अपनी आकर्षक स्थलों के लिए जाना-जाता है।
    जम्मु-कश्मीर के क्राफ्ट ;बतंजिद्ध कला के हुनर को तो दूनिया जानती है। यहां की क्रूएल ;बतनंसद्ध कढाई, कसीदाकारी, फूलकारी, कालीन, पालकी और अखरोट की लकड़ी की नक्काशी की कारागरी न केवल अपने देश में बल्कि विदेशों में मशहुर है।
    इस राज्य के मेले, त्योहार और समारोह बेहद खास हैं। इन त्यौंहारों में नामचोट, हेमिस समारोह, लोसार, अमरनाथ यात्रा, मथो नागरंग, दो समोचे व टूयूलिप फैस्टिवल भारतीय संस्कृति की और समृद्ध बनाते है। मै जम्मु कश्मीर के पर्यटन विभाग की सराहना करता हूं जिसने इस मेले में बहुत ही अच्छे शिल्पकारों व लोक कलाकारों को शामिल होने का अवसर प्रदान किया है।
    मुझे गर्व है कि सूरजकुण्ड शिल्प मेला कला और शिल्प को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश-विदेश के कला पारखियों के लिए भी बहुत अच्छा मंच बन गया है। इस मेले में निर्यातकों और खरीददारों को आमने-सामने मिलने का अवसर मिल रहा है। साथ ही कलाकारों को भी अपनी कला को अधिक निखारने के लिए बहुत-कुछ सीखने को मौका मिल रहा है।
    मुझे यह बताते हुए और भी बहुत गर्व हो रहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय कला, संस्कृति, भाषा और शिल्प को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। इतना ही नहीं देश में शिल्पकला, हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 11 हजार करोड़ रूपए से भी अधिक राशि का प्रावधान किया गया है। केन्द्र सरकार ने अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना, मेगा क्लस्टर स्कीम, मार्किटिंग र्स्पोट सर्विसिज स्कीम और रिसर्च एवं डेवलपमेन्ट स्कीम भी शुरू की गई हैं। इससे शिल्प के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक व्यक्तियों को अपना कौशल बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा और इनके उत्पाद विश्व स्तर पर पहचान बना पाएंगें जिससे वोकल फार लोकल का अभियान भी तेज होगा।
    केन्द्र सरकार द्वारा हथकरघा उद्योग के विकास के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम, व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना, हथकरघा बुनकर योजना तथा यार्न आपूर्ति योजनाएं शुरू की गई हैं। इतना ही नहीं केन्द्र की मुद्रा बुनकर लाभार्थी योजना के तहत एक हजार करोड़ रूपये के ऋण देकर दो करोड़ पैन्सठ लाख बुनकरों को जोड़ा गया है।
    मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी को इस बात के लिए शुभकामनांए देता हूॅं कि हरियाणा में ‘हुनर हाट‘ योजना को बहुत की प्रभावी ढंग से लागु किया गया है। इस योजना के तहत शिल्पियों कलाकारों में हूनर का विकास करके 17 लाख रोजगार पैदा करने की कार्य योजना है। प्रदेश में हैंडीक्राफट को बढ़ावा देने के लिए जी0एस0टी0 मुक्त किया गया है। इन्हीं योजनाओं की बदोलत हरियाणा के पानीपत से चार हजार करोड़ रूपये से भी अधिक का हैंडलूम उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले क्राफट फेयर में दो सौ करोड़ का व्यापार हुआ था। में कौशलता को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से 1000 करोड़ रूपए से भी अधिक की राशि से श्री विश्वकर्मा स्किल युनिवर्सिटी की स्थापना की गई है।
    हरियाणा ने क्राफट ;बतंजिद्ध के कार्य को बढ़ावा देने के लिए मेले के रूप में एक पटल दिया जो पोर्टल की तर्ज पर कार्य कर रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस साल का यह शिल्प मेला देश-विदेश की विभिन्न कलाओं और शिल्प की पहचान करने और उन को बढ़ावा देने में पूरी तरह कामयाब होगा।
    मैं मेले के आयोजकों को पुनः शुभकामनाएं देते हुए इसमें भाग लेने वाले शिल्पकारों, बुनकरों व कलाकारों, पर्यटकों एवं दर्शकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ । इस शुभ अवसर पर मुझे यहां आमन्त्रित करने के लिए मेले आयोजको का धन्यवाद करता हूं।
    जयहिन्द ! जय हरियाणा !