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    श्रीमद्भागवत कोई साधारण पुराण नहीं है, बल्कि साक्षात भगवान का स्वरूप है – राज्यपाल

    Publish Date: सितम्बर 20, 2022

    चण्डीगढ़ 20 सितंबर- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि श्रीमद्भागवत कोई साधारण पुराण नहीं है, बल्कि साक्षात भगवान का स्वरूप है। श्रीमद्भागवत साक्षात मोक्ष का साधन है। उन्होंने कहा कि हमें श्रीमद्भागवत की कथा का श्रवण करना चाहिए एवं दूसरों को इस कथा को सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
    राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय मंगलवार को रेवाड़ी शहर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शिरकत करने पहुंचे थे। उन्होंने इस अवसर पर पूजा-अर्चना करने उपरांत श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया तथा विख्यात कथा वाचक श्री जया किशारी जी को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि अगर आप धर्म मार्ग पर हैं तो परमात्मा निश्चित ही आप पर कृपा करेंगे और आपका कल्याण होगा। उन्होंने कहा है कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है, जिसमें सभी ग्रंथों का सार निहित है। राज्यपाल ने कहा कि मानवमात्र को जीवन की सच्ची राह दिखाने वाले और पंचम वेद कहे जाने वाले श्रीमद्भागवत का श्रवण करने के लिए आयोजित इस श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में मैं सभी श्रद्धालुगण को शुभकामनाएं देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह सभी के जीवन को ज्ञान के आलोक से प्रकाशित करें। ऐसे आयोजनों से ही मानव संस्कृति के लिए श्रीमद्भागवत के महत्व का प्रतिपादन होता है और भारतीय संस्कृति समृद्ध होती है। अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन के इस महोत्सव में श्रीमद्भागवत ज्ञान का प्रसार विश्व विख्यात आध्यात्मिक वक्ता एवं कथावाचक जया किशोरी जी के मुखारविंद से हो रहा है, जो कि प्रखर ज्ञानी एवं यशस्वी कथा वाचक हैं।
    उन्होंने कहा कि विश्व में भौतिकता के प्रभाव के चलते युवा पीढ़ी का जीवन तनाव ग्रस्त है। इसी को देखते हुए जया किशोरी जी कथा वाचन के साथ-साथ आज की युवा पीढ़ी को अध्यात्म की ओर प्रेरित कर उनका मार्गदर्शन कर रही हैं।
    राज्यपाल ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अर्जुन सफलता और असफलता की आशक्ति को त्याग कर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म करो। यही समता की भावना अध्यात्म व योग कहलाती है। आज हम सभी ने समता भावना के मार्ग पर चल कर विश्व को समभाव का संदेश देना है। श्रीमद्भागवत ही एक पुराण है, जिसे जीवन में अपनाकर प्राणी मात्र का कल्याण सम्भव है। यही भगवतस्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञान रूपी अन्धकार से पार पाना चाहते हैं उनके लिए आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है।
    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि जहां भगवान का नाम नियमित रूप से लिया जाता है, वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। जीवन को कर्मशील बनाने के लिए श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करना जरूरी है। आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परम आनन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण मनुष्य को भक्ति की ओर अग्रसर करती है। मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो सृष्टि की सारी शक्ति समाहित होकर मनुष्य को और शक्तिशाली बनाती हैै और सारे कार्य सफल होते हैं। व्यक्ति को सांसारिक भौतिक सुखों का त्याग कर ईश्वर का भजन करना चाहिए। ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो, भगवान की लीला का कोई पार नहीं है। यही भागवत का सार है।
    राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से मानव के भीतर का साधु जागृत होता है और ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ता है। भागवत में शरीर को आत्मा का वस्त्र कहा गया है। जीव चेतन स्वरूपी है, इसीलिए उसे बहते पानी की तरह होना चाहिए। आज हमारे लिए और खुशी की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मूल्य आधारित शिक्षा नीति तैयार की गई है, जिसमें योग और अध्यात्म को स्थान दिया गया है। जब अध्यात्म और नैतिक व संवैधानिक मूल्यों आध्यात्म और भारतीय मूल्यों का हमारी युवा पीढ़ी को ज्ञान होगा तो देश में भ्रष्टाचार, व्यभिचार के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों का खात्मा होगा और एक आदर्श समाज की स्थापना होगी। इस दृष्टि से श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का आयोजन बहुत प्रासंगिक है।
    इस अवसर पर डीसी अशोक कुमार गर्ग, एसडीएम रेवाड़ी होशियार सिंह, विश्व विख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता श्री जया किशोरी, अध्यक्ष हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन राजीव जैन, प्रदेश महामंत्री दुर्गादत्त गोयल जी, जिला महासचिव रिपुदमन गुप्ता सहित हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन के अन्य पदाधिकारीगण, सदस्य व श्रद्धालुगण भारी संख्या में मौजूद रहे।