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    ‘‘शिक्षक दिवस‘‘ कार्यक्रम

    Publish Date: सितम्बर 5, 2021

    महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राजबीर सिंह जी
    प्रो0 नवरतन शर्मा जी, डीन अकेडमिक अफेयर्स
    प्रो0 गुलशन लाल तनेजा जी, कुल सचिव
    प्रो0 अजय के राजन जी
    सभी माननीय प्राध्यापक, अध्यापकगण, प्रशासनिक अधिकारीगण व भाईयो-बहनो, प्रिय छात्रों तथा पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं
    मैं महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के टैगोर थिएटर में शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित होकर अत्यंत गौरव महसूस कर रहा हूँ। सर्वप्रथम मैं आप सभी को इस शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
    आज हम सुप्रसिद्ध राजनयिक, विद्वान और एक आदर्श शिक्षक, देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को याद कर उन्हें नमन कर रहे हैं। इस अवसर पर मैं शिक्षकों व छात्रों को इसके लिए भी बधाई देना चाहता हूं कि देश में इसी वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है।

    नई शिक्षा नीति जहां युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोलेगी, वहीं वर्तमान मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता के शिक्षक तैयार करने में कारगर होगी।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को देश में सफलतापूर्वक रूप से लागू करने में विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जिसकी पूरी जिम्मेवारी शिक्षक वर्ग पर है।

    समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा मिशन के लिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। हमारे शिक्षक इस महान कायापलट के वाहक होंगे। वर्तमान में इस बात की जरूरत है कि शिक्षकों को गतिशील और बहुमुखी प्रतिभाशाली कौशलयुक्त युवा तैयार करने है ताकि वे उत्कृष्टता प्राप्त कर रोजगार ढूंढ़ने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें।

    हम सभी बहुत ही भाग्यशाली है कि हमे एक वास्तविक, आज की विश्व व्यवस्था तथा भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा नीति मिली है।

    शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू करने में विशेष रूप से विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, क्योंकि अनुसंधान व रिसर्च के आधार पर नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम लागू किए जाने है। मुझे खुशी है कि कई विश्वविद्यालयों ने इस पर पहले से ही कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।

    अध्यापक समाज के ऐसे शिल्पकार हैं जो राष्ट्र के भविष्य के कर्णधार बच्चों को तराशने का कार्य करते हैं। शिक्षक एक मजबूत राष्ट्र के लिए फव्वारे के रूप में काम करता है, जो अपना ज्ञान चारों ओर फैलाता है।

    अध्यापक हमेशा ज्ञान गंगा को प्रवाहित करते रहते हैं। यह ज्ञान गंगा अविरल प्रवाहित रहे इसके लिए आपको हमेशा नए अनुसंधान व विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सभी बदलाव तथा नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

    हम ग्रामीण व पिछड़े वर्ग के युवाओं व विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ा हुआ देखते हैं। हमें ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध करवानी होगी। शिक्षण का अर्थ केवल बच्चों के दिमाग को प्रज्वलित करना ही नहीं बल्कि उनके दिलों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ना भी है, जिसे केवल शिक्षक ही सुनिश्चित कर सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में शिक्षा की नई तकनीकें आने से भी गुगल कभी भी गुरू की जगह नहीं ले सकता।
    हमें यह भी याद रखना होगा कि आज हम संचार के नए युग में जी रहे हैं। कोविड -19 महामारी ने हमें ऑनलाइन शिक्षण के महत्व का एहसास कराया है। शिक्षकों को कंप्यूटर क्रांति का अधिक से अधिक उपयोग कर विद्यार्थियों से जुड़ना होगा। शिक्षकों को एक ‘डिजिटल ज्ञान बैंक‘ बनाकर युवाओं को शिक्षा जगत में हो रहे बदलावों से रू-ब-रू करवाना होगा।

    शिक्षक को विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर बढ़ाने के साथ-साथ मनोबल बढ़ाने की टिप्स भी देनी होगी ताकि वे आम जीवन में होने वाली समस्याओं का सरलता से समाधान खोज सकें। यह तभी संभव होगा जब हमारे शिक्षक उसी के अनुरूप खुद को तैयार करेंगे।

    शिक्षक को बच्चों की शिक्षा व देखभाल के लिए एक मां की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। एक सामान्य शिक्षक सिर्फ व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाता है। अच्छे शिक्षक विस्तार से पढ़ाते हैं, जबकि जबकि श्रेष्ठ शिक्षक छात्रों को प्रभाभी तरीके से सीखाने का कार्य करते हैं। मुझे अपने भौतिकी के अध्यापक श्री रामैया गारू और तेलुगु शिक्षक स्वर्गीय श्री शेषचार्य आज भी याद हैं। वे आदर्श शिक्षक थे, जिनके शब्दों ने छात्रों के दिल और दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

    शिक्षण कोई नौकरी नहीं बल्कि एक ऐसा धर्म है जिससे समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है। हमारे शिक्षक इस महान धर्म के प्रवर्तक हैं! मुझे विश्वास है कि शिक्षक के त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ-साथ सरकारों का समर्थन देश को एक नए युग में ले जाएगा। एक नया भारत जो समावेशी होगा जहां कोई भी वंचित व पिछड़ा नहीं होगा। भारतवर्ष को फिर से विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त होगा।
    मुझे पता चला है कि राष्ट्रीय स्तर पर महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय ने नई पहचान कायम की हैै। इसके लिए कुलपति प्रो0 राजबीर सिंह व इनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है।
    आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसलिए शिक्षक विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं से अवगत करवाकर अधिक से अधिक अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों से जोड़े।

    अन्त में एक बार फिर मैं आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

    जयहिन्द! जय हरियाणा!