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    शहीदी दिवस पर राष्ट्रीय युवा सम्मेलन और मेगा रक्तदान कैम्प (करनाल)

    Publish Date: मार्च 23, 2022

    श्री संजय भाटिया जी सांसद, करनाल
    सरदार प्रीतपाल सिंह पन्नु जी चेयरमैन नीफा
    श्री अनीश यादव जी, उपायुक्त करनाल
    श्री गंगा प्रसाद पुनिया जी, पुलिस अधीक्षक करनाल
    श्री एस.पी. चौहान जी, कोर्डिनेटर, नव चेतना मंच
    सरदार गुरविन्द्र सिंह जी, उपाध्यक्ष पंजाबी साहित्य एकेडमी, हरियाणा
    श्री नीरज गुप्ता जी, निदेशक, स्पीडवेल
    डा0 एन.आर. चौधरी जी, पैटर्न नीफा,
    सभी प्रशासनिक अधिकारीगण, भाइयों, बहनों, पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओ।

    शहीदों की चिताओं पर
    लगेगें हर बरस मेले।
    वतन पर मिटने वालों का
    बस यही निशां बाकी होगा।

    शहीदी दिवस के अवसर पर मैं सर्वप्रथम देश के नायकों शहीदे-आजम सरदार भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को नमन करता हूँ। इसके साथ-साथ आज इस अवसर पर देश के उन सभी वीर शहीदों को भी प्रणाम करता हूं जिन्होंने देश की आन, बान और शान के लिए बलिदान दिया और देश को आजाद करवाया।
    हमारे वीर शहीदों की गाथाओं से देश का इतिहास भरा पड़ा है। 23 मार्च का दिन भारतीय इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि 1931 की रात्रि में तीनों नायकों ने अपने आप को देश के लिए न्यौछावर कर दिया था।
    अदालत के आदेशों के अनुसार भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी लेकिन अंग्रेजी शासन द्वारा हमारे तीनों सूरमाओं सरदार भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू को 23 मार्च को ही फांसी लगा दी गई।
    सरदार भगत सिंह ने कहा था मैं महत्वकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ, पर मैं जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग कर सकता हूँ और यही सच्चा बलिदान है। भगत सिंह ने यही किया। जब देश को जरूरत पड़ी तो उन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते हंसते फांसी के फंदे को गले लगा लिया। आज देश आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश इन वीर शहीदों को गर्व से याद कर रहा है।
    सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव तीनों नायक ऐसे सच्चे राष्ट्रवादी थे जिनके खून में देशभक्ति का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था। इन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए देश के युवाओं में नए जोश के साथ क्रांति की भावना का संचार किया। लाखों युवा उनके इन्कलाब के नारे के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए। जिसके चलते अंग्रेजों को 1947 में भारत छोड़ना पड़ा और देश को स्वतंत्रता मिली।
    आज हम उन्हंे याद करके देश की युवा पीढ़ी में वीरता का साहस भरकर उन्हें देश की जिम्मेवारी के लिए हर तरह के बलिदान के लिए तैयार कर रहे हैं।
    विश्व में भारत की पहचान युवाओं के देश के रूप में है। देश में 35 वर्ष की आयु तक के करीब पैंसठ (65) करोड़ से अधिक युवा हैं, जिसके कारण देश में अथाह युवा एवम श्रमशक्ति विद्यमान है।
    आज देश की उन्नति में युवाओं की भागीदार सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञता तथा ई-गवर्नेस द्वारा नए स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसीलिए दुनिया आज नए भारत की ओर आशा व उम्मीद की निगाह देख रही है। आज की युवा पीढ़ी को जुआ, हिंसा व नशामुक्त होने की आवश्यकता है।
    देश में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उनके आदर्शों से भारत को विकसित और समृद्ध देश बनाने और युवाओं की असीमित ऊर्जा को जागृत करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति बनाई है।
    इसी तर्ज पर हरियाणा सरकार ने भी नई युवा नीति बनाई है। इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा शक्तिकरण और खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में अकेले खेलो इंडिया के लिए एक हजार करोड़ रूपये से भी अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है।
    एन.एस.एस योजना का विस्तार कर इसे देश के चार सौ इकानवे (491) विश्वविद्यालय सोलह (16) हजार से भी अधिक महाविद्यालयों और हजारों स्कूलों में शुरू करके लगभग 37 लाख छात्रों को जोड़ा गया है।
    राष्ट्र सेवा और बलिदान से ओत-प्रोत होकर नीफा संस्था द्वारा राष्ट्र और समाज के प्रति युवाओं की और अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आज मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है ।
    इसके लिए मैं नीफा की पूरी टीम को हार्दिक बधाई देता हूँ और रक्तदाताओं के साहस की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।
    भाईयों बहनों !
    रक्तदान एक महा दान है। जैसा कि कहते हैं ‘‘रक्तदान – बचाए जान‘‘। क्योंकि रक्तदान करने वाला व्यक्ति जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाता है।
    भारतीय इतिहास दानी वीरों से भरा पड़ा है। महर्षि दधीचि जिन्होंने मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों (हड्डियों) तक का दान कर दिया था। देवताओं के मुख से यह जानकर कि केवल दधीचि की अस्थियों से बनाए गए धनुष से ही असुरों का संहार किया जा सकता है, यह सुनकर महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया था। देवताओं ने महर्षि दधीचि की हड्डियों का धनुष बनाकर वृत्रासुर राक्षस का वध किया।
    हरियाणा को वीर भूमि के नाम से जाना जाता है। भारत की तीनों सेनाओं एवं सुरक्षा बलों में यहां के सबसे अधिक जवान देश की सेवा कर रहे हैं। इसलिए हमारे प्रदेश के युवाओं को रक्तदान जैसे महान कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की जिम्मेवारी और अधिक बढ़ जाती है।
    कहा जाता है कि-
    जो अन्न दे वह अन्नदाता,
    जो धन दे वह धनदाता,
    जो विद्या दे वह विद्यादाता,
    पर जो रक्त दे वह जीवनदाता।
    आज विज्ञान ने हर क्षेत्र में उन्नति की है। परन्तु रक्त का निर्माण किसी भी प्रयोगशाला में नहीं हो सकता। रक्त का निर्माण मनुष्य के शरीर में ही होता है, इसलिए हमंे बढ़-चढ़ कर रक्त दान करना चाहिए ताकि जरूरतमंदों का जीवन बचाया जा सके।
    यह डॉक्टरों का मानना है कि रक्तदान करने से मनुष्य स्वस्थ रहता है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी बचाव होता है। मनुष्य को रक्तदान करने से सामाजिक सेवा और पुण्य प्राप्ति का तो मौका मिलता ही है साथ ही स्वस्थ रहने का भी मंत्र मिलता है।
    मानव सेवा के लिए रक्त दान, नेत्रदान, देहदान व आर्थिक रूप से दान करने के कार्यो में हमारी सरकारीध् गैर सरकारी, सामाजिक संस्थाएं हमेशा से आगे रही हैं। कोरोना काल की बात करें तो सभी संस्थाओं ने हर जरूरत मंद की सहायता की है। कोरोना से उबारने में इन संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
    इसमें रेडक्रास संस्था ने आप सभी के सहयोग से गत दो वर्षों के दौरान तीन लाख तिरेसठ (63) हजार युनिट रक्त एकत्रित किया, इससे हजारों की संख्या में लोगों को जीवनदान मिला है। इसके लिए मैं सभी संस्थाओं का धन्यवाद करता हूँ।
    एक बार फिर मैं इस रक्तदान के महा शिविर में पहुंचने पर आयोजकों का आभार प्रकट करता हूं और उन्हें बधाई देता हंू कि वे आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम निरंतर रूप से आयोजित करते रहंे। हरियाणा सरकार सदैव सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने में आपके साथ है। इसी के साथ मैं आप सभी को शुभकामनाएं देते हुए धन्यवाद करता हूँ।

    जय हिन्द-जय हरियाणा!