Close

    विश्वविद्यालयों के कुलपति की कार्यशाला में सम्बोधन

    Publish Date: मई 15, 2022

    श्री कंवर पाल जी, शिक्षा मंत्री, हरियाणा
    प्रो बी के कुठियाला जी, अध्यक्ष हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद
    श्री आनंद मोहन शरण जी, अतिरिक्त मुख्य सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग,
    श्री राजीव रत्न जी, महानिदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग
    उपस्थित सभी अधिकारीगण, कुलपतिगण, शिक्षाविद, भाइयों-बहनों उपस्थित सभी महानुभाव!

    आज की इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में उपस्थित होकर मुझे नागरिक अधिकारों के महान प्रणेता मार्टिन लूथर किंग, जूनियर के प्रसिद्ध उद्धरण की याद आ रही है।
    उन्होंने कहा था ‘‘शिक्षा का अर्थ गहन रूप से चिंतन करना और गंभीर रूप से चिंतन सिखाना है। बुद्धि और चरित्र – यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है। मैं यहां हितोपदेश के श्लोक को भी उद्धृत करना चाहूंगा।
    विद्या ददाति विनयम, विनयाद् याति पात्रताम् ।
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ।।
    भाव यह है कि ज्ञान व्यक्ति को विनम्र बनाता है! विनम्रता योग्यता को जन्म देती है! योग्यता धन और समृद्धि पैदा करती है! समृद्धि सही आचरण की ओर ले जाती है! सही आचरण व्यक्ति में संतोष लाता है!
    देवियों और सज्जनों!
    राष्ट्र के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों में नैतिक मूल्यों की एक बड़ी भूमिका है, जिसके लिए हमें अपने बच्चों को व्यवहारिक व नैतिक शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।
    शिक्षा प्रणाली में हमें देश के समृद्ध मूल्यों, नैतिकता को बनाए रखना है, ताकि युवा वर्ग हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास से अवगत हो और मानवीय मूल्यों का अपने जीवन में समावेश करें।

    यह गर्व की बात है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य एक ऐसी शिक्षा देना है जो एक मजबूत और जीवंत समाज की नींव रखती है।
    नई शिक्षा नीति में भारत को एक वैश्विक शिक्षा केंद्र में बदलने की गतिशीलता और विजन है।
    मुझे खुशी है कि हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित दो दिवसीय कुलपतियों के सम्मेलन में एनईपी-2020 के मुख्य पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। यहां गहन मंथन व चिंतन हुआ है।

    कार्यशाला की कार्यसूचि से पता चला है कि प्लेसमेंट, स्वरोजगार, उद्यमिता और ऊष्मायन, प्रशासन, परीक्षाएं, शिक्षण इन सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
    इस गहन मंथन से निकले परिणाम हमारे विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति की भावना के साथ जोड़ने में अत्यंत उपयोगी होंगे और निश्चित रूप से शिक्षा नीति को प्रभावी रूप देने में एक मील का पत्थर साबित हांेगे।
    मैं अपने विश्वविद्यालयों को न केवल सीखने की जगह के रूप में देखता हूँ बल्कि एक ऐसी जगह के रूप में देखना चाहता हूं जहां छात्र एक समावेशी और आत्म निर्भर भारत बनाने के लिए तैयार हों।
    एक ऐसा भव्य स्थान जहां जिम्मेवार और मुखर नागरिक बने और छात्रों में नेतृत्व की भावना प्रबल हो। देवियो और सज्जनो!
    विश्वविद्यालय एक अभिभावक की भूमिका भी निभाते हैं। माता-पिता के रूप में हम अपने बच्चों के भविष्य के बारे में बहुत चिंतित हैं, ऐसे ही विश्वविद्यालयों को भी अपने छात्रों के लिए एक मित्र, मार्गदर्शक, आलोचक, दार्शनिक, अभिभावक और संरक्षक की भूमिका निभानी चाहिए।
    शिक्षा में यदि कहीं कमी रह जाए तो हमें उनके लिए नियमित ट्यूटोरियल कक्षाओं की व्यवस्था करने की जरूरत है।
    हमें समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों, विशेषकर हमारे ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों व लड़कियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिलती है।
    मुझे खुशी होगी हमारे विश्वविद्यालय उन्हें विदेश में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति का लाभ उठाने के लिए मार्गदर्शन करें। इस बारे में आप अवगत कराएं कि इस सम्बंध में हमने अब तक क्या हासिल किया है और भविष्य में इसके लिए और बेहतर क्या किया जा सकता है।
    शिक्षा आजीविका कमाने का साधन तो है ही इसके साथ-साथ शिक्षा एक जिम्मेवार नागरिक व निडर नागरिक बनाती है।
    भारत रत्न डॉ बीआर अंबेडकर ने कहा है कि शिक्षा व्यक्ति को निडर बनाती है, उसे एकता का पाठ पढ़ाती है, उसे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करती है और उसे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है।
    मैं यह स्वीकार करता हूं कि वास्तविक शिक्षा मानवता सिखाती है, ज्ञान प्रदान करती है और हमें समभाव से ओतप्रोत करती है।
    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारत का एक नया भविष्य बनाने के लिए अचूक मंत्र दिया है। विश्वविद्यालयों में स्थापित तंत्र की गुणवत्ता सीधे विकास और प्रगति को प्रभावित करती है जिसे हम सभी इसे अपनाएंगे और तभी देश आगे बढ़ेगा।
    विश्वविद्यालय के कुलपति की एक अकादमिक नेता की जिम्मेदारी है। सभी कुलपतियों को वर्तमान पीढ़ी के युवाओं के अकादमिक मार्गदर्शक के रूप में अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिए।
    आंकड़ों से हमे पता चलता है कि देश में 28 प्रतिशत युवाओं को ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं। बाकी 72 फीसदी युवाओं को तैयार करना भी बड़ी चुनौती है।
    एक जिम्मेवारी के साथ आप सभी ने इस चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़ना है।
    प्रत्येक विश्वविद्यालय को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए योग्य व जरूरतमंद युवाओं तक पहुंचने का लक्ष्य तय करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के नामांकन अनुपात के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
    हरियाणा एक अग्रणी राज्य है जिसने 2025 तक अधिकांश एनईपी लक्ष्यों को प्राप्त करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी, शिक्षामंत्री श्री कंवर पाल जी व उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं।
    देवियों और सज्जनों, जैसा कि पहले कहा गया है, विश्वविद्यालयों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संसाधनों की कमी के कारण कोई भी मेधावी छात्र वंचित न रहे।
    छात्रों को प्रयोग करने, शोध करने, नवाचार करने और स्वरोजगार करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हमारा फोकस एक ऐसे समाज के निर्माण पर होना चाहिए जिसमें आत्मनिर्भरता, स्वरोजगार, समृद्धि और नैतिक, बेहतर शिक्षा व सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले।
    हम अक्सर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी, ब्लॉकचौन, साइबर सिक्योरिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नई तकनीकों को अपनाने की बात करते हैं। इन सभी क्षेत्रों के लिए हमें छात्रों को तैयार करना होगा। वर्तमान में इन क्षेत्रों मंे रोजगार के अपार संभावनाएं हैं।

    नवीनतम प्रौद्योगिकियों को अपनाने, उनके प्रयोग में किए गए प्रयासों का ऑडिट करने का समय है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि हमनें प्रौद्योगिकी के प्रयोग में हम कहां खड़े हैं।

    हम छात्र समूह को एक उद्योग के रूप में देखें। सभी छात्रों को उनकी शैक्षणिक स्ट्रीम के साथ-साथ ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करे जो उनके व्यावसायी और व्यावहारिक जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
    हम संकल्प करें कि हम आजादी के अमृत काल के दौरान अपने विश्वविद्यालयों को अधिक आत्मनिर्भर व समावेशी बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे!
    मैं हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने कुलपतियों और शिक्षाविदों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन करने का पटल प्रदान किया है। जहां वे एक-दूसरे से सीख कर अनुसंधान और नवाचार के लिए एक सांझा मार्ग तय कर पाएंगे।
    मुझे आशा और विश्वास है कि इस तरह के व्यापक विचार-विमर्श से हमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक रास्ता तय करने में मदद मिलेगी।

    जय हिन्द- जय हरियाणा!