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    वार्षिकोत्सव समारोह, महातीर्थ धाम शिव मोहन गौशाला, जाटूसाना, रेवाड़ी

    Publish Date: जनवरी 13, 2023

    आदरणीय श्री लक्ष्मण यादव जी, विधायक कोसली, कार्यक्रम के अध्यक्ष,
    श्री अरविंद शर्मा जी, सांसद, रोहतक
    आदरणीय श्री ओम प्रकाश जी, मंत्री हरियाणा सरकार
    आदरणीय साधु संत धर्मदेव जी,
    आदरणीय स्वामी जीवानंद जी,
    आदरणीय महन्त शिवपुरी जी
    आदरणीय स्वामी समपर्नानंद जी,
    आदरणीय श्री गौबर गोपाल सरस्वती जी,
    श्री सुनील मूसेपुर जी,
    कर्नल जितेन्द्र जी,
    मा. हुकम सिंह बीजेपी जिला अध्यक्ष रेवाड़ी,
    श्री मनोज यादव जी, जिला प्रमुख, रेवाड़ी,
    उपस्थित अधिकारीगण, अतिथिगण, गौसेवक भाईयों, बहनों और मीडिया बन्धुओं!
    मेरा परम सौभाग्य है कि आज मुझे मकर सक्रांति और लोहड़ी के पावन अवसर पर इस महातीर्थ धाम शिव मोहन गौशाला में गौमाता के पूजन का अवसर मिला है। इसके लिए मै महातीर्थ धाम शिव मोहन गौशाला का धन्यवाद करता हूं। इस अवसर पर मैं आप सब को मकर संक्रांति व लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। गौमाता की स्तुति में आज यहां 108 कुण्डीय महा हवन यज्ञ का आयोजन कर आपने इस तीर्थ में जो आध्यात्मिक गंगा बहाने का प्रयास किया है। इसका पूरे समाज में सकारात्मक संदेश देगा।
    भाइयों-बहनों!
    हमारा देश तीज, त्योहार, पर्व व उत्सवों की संस्कृति का देश है। यहां हर पर्व का महत्व होता है और सभी त्योहार प्रकृति, पर्यावरण, जल, वायु, कृषि, संस्कृति, परम्परा तथा गौ संरक्षण से सम्बन्धित हैं। इन त्योहारों को विभिन्न अवसरों पर बड़े ही हर्षोल्लाास से मनाया जाता है। मकर संक्रांति का पर्व भी गौ संरक्षण से जुड़ा है। इस दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में गायों को हरे चारे के साथ-साथ गुड़, तिल के लड्डु खिलाने की परंपरा है। लोहड़ी का पर्व भी मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर पूरे उत्तर भारत में विशेष कर पंजाब, हरियाणा बड़े चाह से मनाया जाता हे। यह दोनों त्योहार आपसी प्रेम, प्यार, भाईचारे और गौ संरक्षण का संदेश देते हैं। आज गौ संरक्षण के उद्देश्य से ही यहां 108 कुण्डीय महा हवन यज्ञ का आयोजन किया जाना बेहद ही शुभ है। इस यज्ञ का उद्देश्य प्राणी मात्र के जीवन को महामारी आदि में बचाकर जीवन सुरक्षित करना है। मेरा मानना है कि इस यज्ञ के बाद हमारे गौवंश में किसी भी प्रकार की बीमारी नही होगी।
    जैसा कि आप जानते हैं कि गाय का हमारी सभ्यता एवं संस्कृति, हमारे जीवन तथा हमारी परम्पराओं से बहुत पुराना नाता है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और उसकी पूजा की जाती है। ‘‘गायः विश्वस्य मातरः’’ अर्थात गाय इस जगत की माता है। यही नहीं गाय को हमारे देश में समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना गया है।
    शास्त्रों का मानना है कि गौ के शरीर में सभी देवताओं का वास है।
    महाभारतकार में गाय की स्तुति करते हुए लिखा है-
    गावः श्रेष्ठा पवित्राश्च पावना जगदुत्तमाः।
    ऋते दधि घृताभ्यां च नेह यज्ञः प्रवर्तते।।
    गावो लक्ष्मयाः सदा मूले गोषु पाम्पा न विद्यते।
    मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुख प्रदाः।।
    अर्थात्–गौएँ सर्वश्रेष्ठ, पवित्र, पूजनीय और संसार भर में उत्तम हैं। इनके दूध, दही, घी और गव्य के बिना संसार में यज्ञ सम्पन्न नहीं होते। ‘गौ’ में सदैव लक्ष्मी निवास करती है। गौ जहाँ रहती हैं वहाँ पाप निवास नहीं करते। ये प्राणीमात्र को सुख सम्पदा से विभूषित करती रहती हैं। गाय सम्पूर्ण प्राणियों की माता है।
    भाइयो व बहनो! हमारी सभ्यता कृषि प्रधान रही है। हमने खेत खलिहान एवं पशुधन की संभाल करके हमने अपनी समृद्धि का ताना-बाना बुना है। गौवंश हमारी अर्थव्यवस्था का आधार रहा है। गोधन कृषिप्रधान ग्रामवासिनी भारतमाता के गांवों की तो जीवनरेखा है।
    आज विज्ञान ने भी यह साबित कर दिया है कि जिस बच्चे को मां का दूध प्राप्त न हो उसके पालन-पोषण के लिए गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ होता है। गाय का दूध सुपाच्य होता है और इसमें सर्वाधिक एमिनो एसिड पाए जाते हैं। गाय के गोबर में भी ऐसे गुण पाए जाते हैं कि जिस स्थान को इससे लेप दिया जाता है वह स्वच्छ हो जाता है।
    गौमाता की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। गाय हमारा पोषण संवर्द्धन करने वाली है। गौमाता जन्म देने वाली माता के तुल्य है। मुझे खुशी है कि हरियाणा सरकार ने गौमाता की रक्षा और पालन का सार्थक प्रयास किया है। इस उद्देश्य से राज्य में गौसेवा आयोग बनाया गया है। प्रदेश में गाय की डेयरी के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। राष्ट्रीय गौकुल मिशन के अन्तर्गत देसी गायों की नस्ल संरक्षण एवं विकास के लिए राजकीय पशुधन फार्म, हिसार में गौकुल धाम की स्थापना की गई है।
    हरियाणा गौ सेवा आयोग के माध्यम से पंजीकृत गौशालाओं को गत वर्ष से अब तक 41 करोड़ रूपए की राशि दी गई है। राज्य में देसी गायों के उत्थान हेतु दूध देने वाली गायों के पालकों को 25 हजार रूपये तक का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आज प्रदेश की विभिन्न गौशालाओं में गाय के गोबर व मूत्र से कई प्रकार के उत्पाद जैसे फिनायल, वर्मी कम्पोस्ट, पेन्ट, डी.ए.पी. व धूपबत्ती आदि शामिल है। कई प्रकार की दवाईयों में भी गौवंश का मूत्र प्रयोग किया गया है।
    मेरा सभी दानदाताओं एवं गौभक्तों से आग्रह है कि आप इस तरह के सेवा के कार्य हमेशा करते रहें। मेरा आग्रह है कि ऐसी गौशालों में उत्तम नस्ल की देशी गायों पर शोध व अनुसंधान कार्य भी होना चाहिए और उनके प्रति लोगों को जागरूक कर उन्हें गौपालन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
    इन्हीं शब्दों के साथ मैं गौशाला संचालन में योगदान करने वाले समाजसेवकों, दानवीरों और गौपालकों को हार्दिक बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि वे भविष्य में भी न केवल गौमाता बल्कि अपने सभी पशुओं का समुचित ढंग से पालन व देखरेख करके देश की पशु सम्पदा में निरन्तर रूप से वृद्धि करते रहेंगें। मैं पुनः आप सबको मकर सक्रांति व लोहड़ी पर्व की बधाई देता हूं। आपने इस पावन अवसर पर मुझे यहां आमंत्रित कर गौमाता के दर्शन करने का अवसर प्रदान किया, इसके लिए मैं महातीर्थ धाम शिव मोहन गौशाला समिति का आभार प्रकट करता हूं।
    जय हिन्द-जय गौ माता!