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    रोगाणुरोधी प्रतिरोध/एएमआर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती – राज्यपाल

    Publish Date: मार्च 18, 2024

    दवा कंपनियां ‘‘एंटीमैक्रोबियल रेजिस्टेंस’’ (एएमआर) के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए नई दवाऑ और वैक्सीन की खोज करें- राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय
    रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता – श्री दत्तात्रेय

    चंडीगढ़, 18 मार्च —– हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रमुख दवा कंपनियों से आहवान करते हुए कहा कि उन्हें ‘‘एंटीमैक्रोबियल रेजिस्टेंस’’ (एएमआर) के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए विशेष रूप से एंटीबायोटिक दवाओं के नए वर्गों और वैक्सीन विकास के वैकल्पिक तरीकों से नई दवाओं की खोज करनी होगी क्योंकि रोगाणुरोधी प्रतिरोध/एएमआर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती है तथा वर्तमान एंटीबायोटिक्स अब बेअसर हो रही हैं।

    राज्यपाल आज यहां नई दिल्ली के इंडिया हैवीटेट सेंटर में ‘‘एंटीमैक्रोबियल रेजिस्टेंस, नोवल ड्रग डिस्कवरी एंड वैक्सीन डेवलपमेंट: चैलेंजेज एंड ओपरचूनिटिस’’ (‘‘रोगाणुरोधी प्रतिरोध, नवीन औषधि खोज और वैक्सीन विकासः चुनौतियां और अवसर’’) विषय पर एसआरएम विश्वविद्यालय, दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत द्वारा आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित वैज्ञानिकों व साइंस जगत के लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज यहां पर अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने के लिए दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक उपस्थित हैं और अन्य वैज्ञानिकों के यहां पहुंचने की उम्मीद है।

    राज्यपाल ने जताई चिंताः वर्ष 2050 तक दुनिया भर में लगभग दस मिलियन मौतें एएमआर के कारण हो सकती हैं

    उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एएमआर को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण खतरों में से एक के रूप में चिन्हित किया गया है। राज्यपाल ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि अनुमान है कि वर्ष 2050 तक दुनिया भर में लगभग दस मिलियन मौतें एएमआर के कारण हो सकती हैं। अगर हमने इसके विरूद्ध समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की तो यह कोविड-19 महामारी से भी बदतर हो सकती है। हालाँकि, इस प्रयास में वैज्ञानिक बाधाओं से लेकर नियामक बाधाओं और आर्थिक विचारों तक कई चुनौतियां हैं।

    वैज्ञानिकों से चर्चा, जानकारी सांझा और विचार-विमर्श और चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक सफल योजना के साथ कार्य करने की ज़रूरत

    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि एक नई दवा को बाज़ार में लाने पर लगभग एक अरब डॉलर का ख़र्च आता है और नए रोगाणुरोधी एजेंटों को विकसित करने के लिए नए यौगिकों की खोज, जीनोमिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों और अंतःविषय सहयोग को बढ़ावा देने जैसे नवीन दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि एएमआर ने प्रतिरोधी रोगजनकों से निपटने के लिए नवीन दवा खोज और वैक्सीन विकास की तत्काल आवश्यकता को प्रेरित किया है। उन्होंने उपस्थित सभी वैज्ञानिकों से चर्चा, जानकारी सांझा और विचार-विमर्श करने और चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक सफल योजना के साथ कार्य करने का आग्रह भी किया। उन्होंने मनुष्यों में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग और कृषि तथा पशुधन में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को सीमित करने के लिए व्यवहार परिवर्तन पर भी जोर दिया और कहा कि नए रोगाणुरोधकों के अनुसंधान और विकास में निवेश के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी समय की मांग है।

    रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकने के लिए रोगाणुरोधी उपयोग के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, नीति निर्माताओं तथा आम जनता को शिक्षित करना अति महत्वपूर्ण

    उन्होंने बताया कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए एंटीबायोटिक उपयोग को अनुकूलित करते हुए रोगाणुरोधी प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने, प्रतिरोधी रोगजनकों के प्रसार को कम करने के लिए संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण उपायों को लागू करने तथा विश्व स्तर पर रोगाणुरोधी प्रतिरोध रुझानों को ट्रैक करने के लिए निगरानी प्रणालियों में निवेश करना आवश्यक है। श्री दत्तात्रेय ने बल देते हुए कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकने के लिए जिम्मेदार रोगाणुरोधी उपयोग के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, नीति निर्माताओं तथा आम जनता को शिक्षित करना अति महत्वपूर्ण है।

    स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के अनुसंधान और विकास प्रयासों को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया गया

    राज्यपाल ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के अनुसंधान और विकास प्रयासों को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल में स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर रहा है। सरकार ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और जैव प्रौद्योगिकी विभाग जैसे अनुसंधान और विकास संस्थानों के लिए वित्त पोषण में वृद्धि की है, जिससे वैक्सीन विकास, निदान और दवा खोज जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व अनुसंधान की सुविधा मिल रही है। राज्यपाल ने इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एडा योनाथ की मौजूदगी पर भी खुशी व्यक्त की और कहा कि इन्हें राइबोसोम पर शोध कार्य के लिए प्रसिद्ध भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. वेंकी रामकृष्णन के साथ नोबेल पुरस्कार मिला है। इनके पास जीवाणु संक्रमण के खिलाफ नई दवाओं के लक्ष्य के रूप में जीवाणु राइबोसोम का उपयोग करने का लंबा शोध अनुभव है।

    इससे पूर्व, इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एडा योनाथ ने अपने विचार सांझा करते हुए राइबोसोम पर शोध कार्य के लिए प्रसिद्ध भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. वेंकी रामकृष्णन के साथ किए गए कार्यों की जानकारी भी सांझा की।

    इस अवसर पर एसआरएम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर परमजीत एस जसवाल और एसआरएम ग्रुप की निदेशक सुश्री हरिनी रवि ने भी संबोधित किया तथा कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रोफेसर वी सैमुअल राज ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया।
    इस अवसर पर राज्यपाल ने ‘‘एंटीमैक्रोबियल रेजिस्टेंस, नोवल ड्रग डिस्कवरी एंड वैक्सीन डेपलेपमेंट: चैलेजेंस एंड ओपरचूनिटिस’’ पुस्तिका का विमोचन भी किया। संगोष्ठी की शुरुआत मुख्य अतिथि श्री दत्तात्रेय ने दीप प्रज्वलित कर किया।
    इस मौके पर इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एडा योनाथ, एसआरएम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर परमजीत एस जसवाल, एसआरएम ग्रुप की निदेशक सुश्री हरिनी रवि, कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रोफेसर वी सैमुअल राज सहित देश-विदेश से आए हुए वैज्ञानिक, साइंसजगत के दिग्गज व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।