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    राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ (कुरूक्षेत्र)

    Publish Date: अप्रैल 9, 2022

    आदरणीय श्री राजेन्द्र अर्लेकर जी, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश,
    श्री दुष्यन्त कुमार गौतम जी, सांसद (राज्य सभा)
    डा0 एल.मुरूगन जी,
    श्री ए.रामास्वामी जी,
    श्री विजय सांपला जी, पूर्व मंत्री, भारत सरकार
    श्री सूरजभान कटारिया जी, महामंत्री श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ, उपस्थित अधिकारीगण, श्रद्धालु, भाईयों व बहनों, पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं!
    सबसे पहले मैं विश्व में सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत सन्त शिरोमणी भक्त गुरू रविदास जी महाराज के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं, और गुरू रविदास विश्व महापीठ एवं पूरी टीम को साधूवाद देता हूँ जिनके अथक प्रयास से कुरूक्षेत्र की पावन भूमि पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया है। आज ही मथाना गांव में समरसता भवन का उदघाटन हो रहा है, इसके लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
    इस बैठक में श्री गुरू रविदास जी की शिक्षाओं और वाणी पर मंथन किया जा रहा है। मुझे आशा है कि इस कार्यक्रम में हम सभी द्वारा किए गए अध्ययन और मंथन का संदेश जन तक पहुॅंचेगा। मैं विश्व महापीठ की बैठक में शामिल होकर बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।

    हरि गुर साध समान चित्त, नित आगम तत मूल।
    इन बिच अन्तर जिन परौ, करवत सहन कबूल।।
    अर्थात! सच्चा साधु ही गुरू होता है, वही श्रद्वा का पात्र होता है। गुरू मनुष्य को सावधान करता है, अंधकार दूर करता है तथा विवेक पैदा करता है इसलिए गुरू परमात्मा और भक्त के बीच की कड़ी है। सन्त शिरोमणी श्री गुरू रविदास जी ऐसे ही क्षमाशील, सृजनहार, विवेकी और सच्चे गुरू थे।
    संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी उन महान आत्माओं में से थे जिनके विचारों, व्यवहार, गुणों और शिक्षाओं से जन-जन को युगों-युगों तक मार्गदर्शन मिलता रहा है।
    श्री गुरू रविदास जी का जीवन दर्शन आज हमें सामाजिक समरसता, समानता और बंधुत्व की राह दिखाता है। गुरू जी ऐसे समय में अवतरित हुए जब समाज में धर्मान्तरण, धार्मिक भेदभाव, छुआछुत व्याप्त था और गरीबों पर अत्याचार बढ़ रहे थे।
    गुरु रविदास जी बचपन से ही संतों की संगति में रहे। सत्संग के प्रभाव से ही उन्होंने भी जाति-आधारित भेदभाव, धर्मांतरण और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों/कुरीतियों से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए भक्ति मार्ग को अपनाकर उन्होंने समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों का उपदेश देकर मानवता को जीवन की सच्ची राह दिखाई!
    गुरू जी जो जनता को उपदेश देते थे उसे अपने जीवन में स्वंय भी उतारते थे। उनकी करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं था।
    उन्होंने लोगों को सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूक करने और सामाजिक सौहार्द की भावना से लोगांे को प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित भारत के अन्य क्षेत्रों की कई यात्राएँ कीं।
    उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। उनकी वाणी में कहा है कि –
    ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न।
    छोट बड़ों सब सम बसैं, ‘रविदास‘ रह प्रसत्र।।
    14वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के दौरान उनकी सोच और दर्शन किसी जाति और एक वर्ग विशेष के लोगों तक सीमित नहीं थी। वह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था के हिमायती थे जहां सबको खाना मिले और कोई भूखा न सोए और सभी मंे समता का भाव हो।
    आज देश में जिस राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की बात हो रही है, उसी विचार को गुरू महाराज ने 14वीं शताब्दी में आगे बढ़ा दिया था और वे कहते थे कि मानवता में भय और भूख का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
    गुरू जी महाराज ने सदैव श्री मद्भगवत गीता के कर्म के सिद्धांत को अपने जीवन में उतारा और अपने अनुयायियों को सदैव कर्म करने का संदेश दिया।
    संत श्री गुरु रविदास जी, संत श्री कबीर दास जी, श्री गुरु नानक देव जी के पदचिन्हों पर चलकर महात्मा गांधी ने भी अस्पृश्यता, असमानता के खिलाफ जोरदार लड़ाई शुरू की।
    भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब डॉ बी.आर अंबेडकर संत श्री गुरु रविदास जी और संत श्री कबीर दास जी के विचारों से बहुत प्रभावित थे। उन्हांेने सामाजिक सद्भाव, मानवाधिकार के लिए जो किया वह भारतीय सविंधान में रूप में हम सब के सामने है।
    उन्होंने संत श्री गुरु रविदास जी और संत श्री कबीर दास जी की शिक्षाओं से प्रेरणा ली और गरीबों के उत्थान के लिए संघर्ष किया।
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास और सबके विकास की भावना पर चलकर महान संत गुरु रविदास जी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
    गुरू रविदास जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरणा पाकर श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक समतामूलक व समावेशी शिक्षा नीति लागू करने के साथ-साथ समतामुलक की अनेक योजनाएं शुरू की है। इन योजनाओं से समाज के गरीबों, वंचितों, महिलाओं और पिछडों के जीवन में सुधार हुआ है।
    आज की इस कार्यकारिणी की बैठक में हम सभी यह संकल्प करें कि समाज के गरीबों, वंचितों को उनके अधिकार दिलवाने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से मजबुत करने में हर सम्भव सहायता व सहयोग करेंगें। यही श्री गुरू रविदास जी की शिक्षा थी।
    उनकी शिक्षाओं पर चलकर काम करने से ही उनका सपना पूरा होगा और सच्चे शब्दों में हम उनके अनुयायी होगें।
    एक बार फिर मैं इस महा आयोजन के लिए श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ को धन्यवाद देता हॅू और आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। जय सन्त शिरोमणी गुरू रविदास जी ।। जयहिन्द।