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    रत्नावली महोत्सव उद्घाटन समारोह, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र

    Publish Date: अक्टूबर 28, 2022

    आदरणीय श्री नायब सिंह सैनी जी, सांसद, कुरूक्षेत्र
    श्री सुभाष सुधा जी, विधायक, कुरूक्षेत्र
    प्रो0 बी.के कुठियाला जी, चेयरमैन, हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद्
    प्रो0 सोमनाथ सचदेवा जी, कुलपति, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र
    प्रो0 बी.वी रमना रेड्डी जी, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरूक्षेत्र
    डा0 संजीव शर्मा जी, कुलसचिव, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र
    रत्नावली महोत्सव के आयोजन से जुड़े सभी अधिकारीगण, कर्मचारीगण व प्रिय छात्र-छात्राओं तथा मीडिया के बंधुओं!
    आजादी के अमृत काल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रत्नावली महोत्सव के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर मैं बहुत ही आनंदित महसूस कर रहा हूं। सर्वप्रथम मैं इस उत्सव में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी 21वीं सदी के भारत की शक्ति हैं।
    हरियाणा सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध प्रदेश रहा है। यहां की सांस्कृतिक विरासत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। इसी प्रदेश की धरा सरस्वती के तट पर वेदों की रचना हुई। यही वो धरा है जहां पर महर्षि दधिची ने अपनी अस्थियां दान कर असुरों का संहार किया।
    इसी पवित्र धर्मक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर जन कल्याण का संदेश दिया। महाराजा राज्यवर्धन एवं हर्षवर्धन ने थानेसर को अपनी राजधानी बनाकर पूरे भारत में यहां की लोक सांस्कृतिक परंपराओं को लोकप्रिय बनाया। हरियाणा को संगीत का देश भी कहा जाता है क्योंकि हरियाणा में सैंकड़ों गांवों का नामकरण संगीत के रागों एवं स्वर लहरियों पर आधारित हैं।
    01 नवंबर सन् 1966 को हरियाणा के अलग राज्य बनने के पश्चात प्रदेश ने सांस्कृतिक दृष्टि से अपनी अलग पहचान बनाई है। तीन दिन के बाद हरियाणा दिवस है। मैं आप सभी को ‘हरियाणा डे‘ की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं। आज प्रदेश पूरे विश्व में खेलों एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान बना चुका है।
    हरियाणा ने आर्थिक विकास, कानुन व्यवस्था व सुशासन के मामले में नई छाप कायम की है। प्रदेश कृषि, शिक्षा, सुरक्षा, सेवा, स्वास्थ्य, सुशासन, खेल, आटो उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व तरक्की की है। उच्च शिक्षा के लिए वर्तमान में चार दर्जन राज्य व निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय हैं। यह और भी विशेष बात है कि हमारे सभी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को पूरी तरह लागु करने के लिए तैयार हैं। आपके विश्वविद्यालय ने तो कई मानदण्डों को लागु भी किया है। इसके लिए विश्वविद्यालय परिवार बधाई का पात्र है।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में तैयार यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक युग प्रवर्तक नीति है। इसे युवाओं की आधुनिक वैश्विक मांग को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। मेरा मानना है कि आगामी 2030 तक यह शिक्षा नीति प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार के नए द्वार खोलेगी। वर्ष 2030 तक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 50 करोड़ रोजगार सृजित होगें, जिससे 10 करोड़ रोजगार भारत में होगें।
    मेरी सभी शिक्षाविदों, अध्यापकों व शिक्षा संस्थानों से अपील है कि वे भविष्य में प्रौद्योगिक क्षेत्र की अपार संभावनाओं को देखते हुए युवा पीढ़ी को शिक्षित/प्रशिक्षित कर तैयार करें।
    हमने उच्च शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र में डिजीटलीकरण के रूप में ।तजपपिबपंस प्दजमससपहमदबम, प्दजमतदमज व िज्ीपदहे, ठसवबा ब्ींपद, ब्वउचनजपदह च्वूमत, स्मार्ट डिवाइसेज ैउंतज क्मअपबमे, डंबीपदम स्मंतदपदह, म्गजमदकमदक त्मंसपजल, क्पहपजंस ज्तनेज, 3क् च्तपदजपदहर्, पदवउपग, छमू म्दमतहल ैवसनजपवदे जैसी नई तकनीकों के साथ जोड़ना होगा। इससे छात्र नई प्रौद्योगिकी के साथ विश्व स्तरीय शिक्षा ग्रहण कर पाएगें और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आत्मनिर्भर का सपना साकार होगा तथा युवाओं के लिए रोजगार की भरमार होगी।
    मैं केंद्र सरकार के नई प्रोद्योगिकी व डिजीटल क्षेत्र में किए गए सक्षम उपायों के लिए धन्यवाद करता हूं। भारत के पास आज अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। यूनिकार्न के मामले में तो इस साल पहली छमाही में भारत ने चीन को भी पछाड़ दिया है। इस अवधि में भारत में 14 यूनिकार्न बने हैं, जबकि चीन में 11 यूनिकार्न बने हैं। आगामी 2025 तक भारत में 250 यूनिकार्न हो सकते हैं।
    हरियाणा की संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलवाने में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय एक अग्रदूत की भूमिका में है। इसमें भी रत्नावली महोत्सव का महत्वपूर्ण योगदान है। रत्नावली का संबंध महाराजा हर्षवर्धन के नाटक रत्नावली से जोडक़र देखा गया है। महाराजा हर्षवर्धन के समय में थानेसर में सांस्कृतिक परंपराओं एवं उत्सवों का आयोजन होता था। उसी परंपरा को इसी धरा पर जीवंत करने का काम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने किया है। इसके लिए मैं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को विशेष रूप से बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने लुप्त हुई संस्कृति एवं लूर जैसे लोकनृत्य को फिर से रत्नावली के मंच पर प्रस्तुत कर इतिहास बनाया है।
    भाईयों-बहनों!
    मुझे बताया गया है कि इस महोत्सव में इस बार 32 विधाओं जिसमें लोकनृत्य, लोकगीत, लोकवाद्य यंत्र, सांग, भजन, रागिनी, कविता, हरियाणवी स्किट, रसिया समूह नृत्य में करीब तीन हजार से भी ज्यादा युवा कलाकार भाग ले रहे हैं। रत्नावली उत्सव में फिल्मी दुनिया के महान हस्ती श्री सतीश कौशिक, श्री राजेन्द्र गुप्ता एवं श्री यशपाल शर्मा जैसे हरियाणा के कलाकार भी शामिल हुए हैं। मुझे इस समारोह में आकर हार्दिक खुशी हो रही है।
    किसी भी देश व प्रदेश की संस्कृति का विकास युवा पीढ़ी पर आधारित होता है। आज हरियाणा का युवा अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने में जुटा है। इसकी बानगी आप सभी इस रत्नावली महोत्सव में देख पाएंगे। इसी की बदौलत आज हरियाणवी संस्कृति का बालीवुड में भी डंका बज रहा है और देश में ही नहीं विदेशों में लोग हरियाणवी संस्कृति के कायल हुए हैं।
    युवा भारत की विशाल और कालजयी संस्कृति के प्रतिनिधि हैं। आप जब विदेशों में जाते हैं तो इसी भारतीय संस्कृति के अम्बेसडर बनकर जाते हैं। विश्व के लोग आपमें स्वामी विवेकानंद और ऐसे ही अन्य भारतीय महापुरूषों की छवि तलाश करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं का आह्वान करते हुए कठोपनिषद का एक उपदेशात्मक वचन कहा था-
    उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्न्ािबोधत।
    अर्थात उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ।
    हमें यह ध्यान रखना है कि चरित्र-निर्माण के बिना राष्ट्र-निर्माण अधूरा है। आज समाज में नशा, कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति अपराध, दहेज प्रथा, उपभोक्तावाद व भौतिकवाद से उपजी अनेक बुराईयां व कुरीतियां व्याप्त हैं। इन हालातो को बदलने के लिए देश व समाज युवाशक्ति की ओर देख रहा है क्योंकि युवाओं मंे समस्याओं की पहचान करके उनका समाधान करने की अद्भुत क्षमता है। सामाजिक परिवर्तन मंे युवा मजबूत शक्ति साबित होते हंै।
    मुझे यह जानकार हार्दिक खुशी हो रही है कि रत्नावली समारोह को कामयाब बनाने में जहां एक ओर शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों का योगदान है वहीं पर छात्र-छात्राएं इस समारोह के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रत्नावली समारोह के भव्य आयोजन के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं। मैं रत्नावली समारोह में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को विशेष रूप से बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
    आशा है कि आप यहां बेहतर प्रदर्शन करेंगे और इस सांस्कृतिक उत्सव में दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान देंगे। महोत्सव के सफल आयोजन के लिए आप सभी को शुभकामनाएं।
    जय हिन्द!