मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज विश्वविद्यालय, फरीदाबाद
श्री प्रशान्त भल्ला जी, कुलाधिपति, मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज विश्वविद्यालय,फरीदाबाद
श्रीमती सत्या भल्ला जी, चीफ पैटर्न
आदरणीय श्री अतुल कोठारी जी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास
आदरणीय श्री प्रो0 महेश वर्मा जी, कुलपति गुरू गोविन्द सिहं इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली।
जी रंजन कुमार महापात्रा जी
श्री रॉन्जन सोढ़ी जी -अजुर्न अवार्डी
श्री विजय दे जी,आई0ए0एस
श्री विक्रम टंडन जी
कुलसचिवगण, सभी सम्मानित प्रो0 साहेबान, अध्यापकगण, प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताआंे, प्यारे छात्रों तथा पत्रकार एवं छायाकार बंधुओं।
भारतीय अध्यात्म व परम्परा के पुरोधा बाबा फरीद व भक्ति काल के महाकवि सूरदास जी की ऐतिहासिक धरा पर स्थापित प्रतिष्ठित मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज ;विश्वविद्यालयद्ध, फरीदाबाद के 17वें दीक्षांत समारोह के सुअवसर पर उपस्थित होकर मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
सर्वप्रथम मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले युवाओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। आपकी इस यात्रा में आपके माता-पिता, शिक्षक और जिन साथियों ने आपको सहयोग दिया, उन सभी को भी मैं साधुवाद देता हूं। मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व की अनुभूति है कि आज विश्वविद्यालय के 91 ¬¬¬¬विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उपाधियों से विभुषित किया जा रहा हैं। इसके साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में विख्यात सात सफल विभूतियों को भी डाक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया जा रहा है। मुझे विशेष खुशी है कि आज के दीक्षान्त समारोह में दो तिहाई महिलाओं को डिग्री प्रदान की जा रही है। यह किसी भी प्रदेश व विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है।
विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह के आयोजन में कुलपति व उनकी पूरी टीम तथा विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है ।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था शिक्षा वह प्रक्रिया है जिससे चरित्र का निर्माण होता है, मन की शक्ति बढ़ती है, और बुद्धि तेज होती है और नैतिक व मानवीय मूल्यों का बोध होता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होकर देश के निमार्ण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिए शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
शिक्षा में सीखने की प्रक्रिया को कक्षा से भी आगे ले जाने की आवश्यकता है इसके लिए समाज को प्रभावित करने वाले विभिन्न पहलुओं को अपनाना चाहिए। इसके लिए आनॅ लाईन, ट्यूटोरियल कैम्प, शोर्ट कोर्सिस डिप्लोमा, प्रैक्टिल मोड अपनाने की आवश्यकता है। इसमें कोई शक नहीं कि एक मजबूत शिक्षा प्रणाली में एक राष्ट्र को बदलने की ताकत होती है। इसी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, प्रादेशिक भाषाओं, स्किल डेवलपमैन्ट, रोजगारोन्मुखी, व्यावहारिक व प्रायोगिक शिक्षा जैसे सभी पहलुओं को सम्माहित किया गया है।
प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताओं, विद्यार्थियों हमें सब इस बात पर गर्व है कि वर्तमान की आवश्यकताओं और विश्व व्यवस्था को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 लागु की गई है। जो शिक्षा के सुधार के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी कदम है।
यह शिक्षा नीति बंद कमरों में तैयार नहीं की गई बल्कि हजारों शिक्षाविदों के साथ एक लंबे विचार-विमर्श के पश्चात तैयार की गई है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हॅूं । यह शिक्षा नीति छात्रों को उनकी पूरी क्षमता का अहसास कराने के लिए अत्यंत कारगर है। इसके साथ-साथ यह नीति उद्यमिता, स्वरोजगार, अनुसन्धान और नवाचार को बढावा देने वाली भी साबित होगी।
हमारे कई विश्वविद्यालयों ने तो पहले से ही नई शिक्षा नीति के कई कार्यक्रम लागु भी कर दिए है। इसके लिए मैं विश्वविद्यालय प्रशासन व शिक्षकों को बधाई देता हूँ।
आज विश्व में कई देश कौशलता के क्षेत्र में हमसे कहीं आगे हैं। विश्व के कई विकसित देशों में तो 91 प्रतिशत से भी अधिक लोग किसी न किसी कार्य में कुशल हैं। जब कि भारत में केवल 4 प्रतिशत लोग ही कुशल कारीगर हैं। इसके लिए हमें कौशल शिक्षा को बढ़ावा देना है। महिलाओं में कौशलता प्राप्त करने की प्रतिभा पुरूषों से कहीं ज्यादा है इसलिए महिलाओं को विभिन्न कोर्सों, डिग्रीयों व कार्यक्रमों में दाखिला देकर अधिक से अधिक कुशल बनाना है। आज मुझे बेहद खुशी है कि आपके विश्वविद्यालय द्वारा जो डिग्रीयां प्रदान की जा रही है उनमें अधिकतर महिलाएॅ हैं। केवल मात्र कौशलता से ही देश से बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों को स्किल्ड और रिस्किल्ड की प्रणाली पर काम करना होगा।
सभी शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, शिक्षकों, छात्रों , पूर्व छात्रों को बहुत ही जिम्मेदारी के साथ समर्पित भाव से नई शिक्षा नीति के पर कार्य करना है। मेरा पूरा विश्वास है कि आप समाज और राष्ट्र की सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे । प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताओं, विद्यार्थियो व शिक्षकगण आपके प्रत्येक कार्य से भारत प्रभावित होता है। आपकी सफलता भारत की सफलता है।
प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताओं आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आप सभी संकल्प ले कि शिक्षा से अर्जित ज्ञान व कौशलता का उपयोग न केवल नौकरी पाने के लिए बल्कि नौकरी देने के लिए करेंगे। आप नौकरी पाने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनें। इसके लिए आपको उद्यमिता के क्षेत्र में उतरना होगा। सरकार आपके साथ है। केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अपने स्टार्ट-अप स्थापित करें जिससे आप युवाओं को भी रोजगार दे पाएंगे।
देश में युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने के लिए युवा पीढी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्ट अप इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए गए । इन कार्यक्रमों से अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं आदि को जोड़ कर उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना है। ‘मेक इन इंडिया’ व ‘स्टार्टअप’ को सहयोग प्रदान करने के लिए ‘स्किल इंडिया’ प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सरकार की इन नीतियों का लाभ उठाकर आप सफलता की कहानी लिख सकतें है।
मुझे खुशी है कि मानव रचना शैक्षणिक संस्थान प्रासंगिक व सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए हमेशा आगे बढ़ कर कार्य किया है। यह उत्कृष्ट छात्रों और शिक्षकों की अदम्य भावना है जो एक मजबूत और गतिशील नेतृत्व के साथ मिलकर निरन्तर आगे बढ़ने के लिए प्रयास करते हैं जिससे संस्थान की अपनी पहचान भी बनती है और छात्रों का भविष्य स्वर्णिम होता है।
मुझे पता चला है कि गत् 13 नवंबर, 2021 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2021 समारोह के महत्वपूर्ण अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी, द्वारा संस्था को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया है । इसके लिए मैं विश्वविदयालय के प्रबंधन को बधाई देता हूं। .यह सब विश्वविद्यालय परिवार की मेहनत का ही परिणाम है।
विश्व में आपको अपनी व देश की पहचान बनाने के लिए आधुनिक, रोजगारोन्मुखी शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ना होगा । जो हमारी संस्कृति का मूल तत्व है । जैसा की कहा गया है ’’धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया, लेकिन चरित्र गया तो सब कुछ गया’’। मनुष्य का चरित्रवान होना जरूरी है। चरित्र नैतिक शिक्षा से ही कायम रह सकता है।
आपको जो उपाधियां आज मिल रही हैं वे मात्र कागज की डिग्रियां नहीं हैं, यह आपके साथ साथ हमारे राष्ट्र की प्रगति का दस्तावेज हैं । दीक्षांत समारोह का यह शुभ दिन आपके लिए अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर विचार करने का भी दिन है। आप देश का वर्तमान और भविष्य दोनों हैं। मैं आप सभी से आशा करता हूँ कि आप अपने परिवार, संस्थान, राज्य, राष्ट्र और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को बड़ी लगन और निष्ठा के साथ निभाते हुए, इन सबका नाम सिर्फ देश में नहीं बल्कि दुनिया में रोशन करेंगे। आप जहाँ भी जाएंगें इस विश्वविद्यालय का नाम, इस प्रदेश का नाम आपके साथ जुड़ा रहेगा । आप विश्वविद्यालय के नाम को भूलेंगे नहीं बल्कि नाम को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
दीक्षांत समारोह के माध्यम से मेरी विश्वविद्यालय के शिक्षकों व पदाधिकारियों से अपील है कि वे स्थानीय मांग व वर्तमान की आवश्यकताओं पर आधारित कौशल प्रशिक्षण के ज्यादा से ज्यादा कोर्स शुरू करें। जैसाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रायोगिकी शिक्षा का समय अनुपात बढ़ा कर दो तिहाई किया गया है। इसी अनुरूप कक्षाओं के प्रैक्टिकल पर जोर दे। इसके साथ विश्वविद्यालयों मंे इन्क्यूबेशन सैंटर स्थापित करे और प्रयोगशालाओं का अधिक से अधिक प्रयोग करते हुए अपने शोध कार्यो को लोकल से ग्लोबल तक ले जाएं।
इसके साथ-साथ विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे सरकार व प्रशासन से समन्वय कर ग्रामीण स्तर पर कलस्टर स्थापित कर गरीब वर्ग के युवाओं को प्रशिक्षण दें। इसके लिए लोकल मार्केट अनुसार प्लम्बर, डेरी, हथकरघा व कृषि आधारित कार्यों पर जोर देने की आवश्यकता है। आपके पड़ोसी जिला पलवल में श्री विश्वकर्मा विश्वविद्यालय देश का ऐसा अनूठा विश्वविद्यालय है जो ‘लोकल फार वोकल‘ के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू कर देश में अपनी पहचान कायम कर रहा है। भाग्यशाली है हरियाणा के युवा जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा 1000 करोड़ खर्च करके इस कौशल विश्वविद्यालय मिला है।
मैं इस दीक्षांत समारोह में पधारे सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं, मैडल प्राप्त करने वाले छात्रों के साथ-साथ पूरे विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई व शुभ कामनाएॅं देता हॅू । मैं आशा करता हूं कि भारत में कौशलता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा व उद्यमिता के क्षेत्र में वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने में आप सभी का निरन्तर सहयोग मिलता रहेगा।
अन्त में मैं कुलाधिपति श्री प्रशान्त भल्ला जी व उनकी पूरी टीम को विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षान्त समारोह के सफल आयोजन की बधाई देता हूँ। सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं शिक्षणगण, कर्मचारीगण व विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
जयहिन्द! जय हरियाणा।