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    माननीय राज्यपाल हरियाणा द्वारा श्री माता भीमेश्वरी देवी मन्दिर के दर्शन

    Publish Date: जून 27, 2023

    मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मुझे आज राज-काज के कार्यो के इलावा हरियाणा प्रदेश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में विख्यात पावन, पवित्र एवं धार्मिक स्थल श्री माता भीमेश्वरी देवी मन्दिर में आकर माता रानी के दर्शन और उनके श्री चरणों में बैठ कर आशीर्वाद प्राप्त करने का शुभ अवसर मिला है।
    मैं माता रानी के दर्शन तथा आशीर्वाद पाकर धन्य हो गया हूँ और मैं माता रानी के दरबार में उनसे विनती करता हूँ की उनका आशीर्वाद हमेशा मुझ पर, मेरे परिवार पर तथा देशवासियों पर सदा बना रहे। मैं इस पावन अवसर पर मंदिर, ट्रस्ट एवं जिला प्रशाशन और मंदिर के पुजारियों का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ।
    जय हिन्द!
    (केवल जानकारी के लिए)
    श्री माता भीमेश्वरी देवी मन्दिर का इतिहास
    श्री माता भीमेश्वरी देवी मन्दिर, बेरी हरियाणा राज्य के झज्जर जिले में स्थ्ति है। यह मन्दिर झज्जर शहर से लगभग 12 किलोमीटर व रोहतक शहर से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
    मान्यतानुसार श्री भीमेश्वरी देवी मन्दिर महाभारतकालीन है, लोककथानुसार जिस समय पाण्डव अज्ञातवास का समय छिप कर बिता रहे थे तो उन्होंने अपना कुछ समय अपनी कुलदेवी हिंग्लाज भवानी ( सिन्धु प्रान्त में हिंगोला नदी के तट पर स्थित ) शक्ति पीठ में बिताया था। जिस समय पाण्डव कौरव महाभारत नामक भीषण युद्ध की तैयारी में व्यस्त थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने भीमसेन को पुनः हिंग्लाज पर्वत जाकर अपनी कुलदेवी के पूजन आशीर्वाद का परामर्श दिया। भीम ने भगवान से ऐसी आज्ञा पाकर हिंग्लाज प्रस्थान किया। वहां सहज भाव से माँ को प्रसन्न कर उनसे अपने शिविर में विराजमान होने की प्रार्थना की तब मां आदिशक्ति ने उन्हें वचनबद्व किया कि श्री विग्रह को यदि मार्ग में उतारा गया तो फिर वो आगे नहीं जाएगी। भीम बल के मद में इसे आसान जान माता के विग्रह को उठा चल पड़े, लेकिन बेरी क्षेत्र में आकर थकान से बेहाल हो गए और माता के विग्रह को उतार स्नान और विश्राम के लिए चल पड़े वापस जब पुनः माता को उठाने लगे तो उन्हे अपने वचन का स्मरण हुआ और वो पछताने लगे तब माता ने उन्हें विजय श्री का आशीर्वाद देकर लौट जाने को कहां। ऐसी मान्यता है कि राजमाता गंधारी ने माता बेरी वाली के लिए एक सुन्दर भवन बनवाया और ऋषि दुवासा माता के प्रथम पुजारी बने, क्योंकि वह स्थान दुर्गम जंगल था तो सुरक्षा कारणों से सभी जगमाता की प्रतिमा को गांव में बने मन्दिर में ले आते थे और सुबह पुनः बाहर वाले मन्दिर में ले जाते आज भी यह परम्परा सदियों से अटूट रूप से पालन में है। सूर्यादय से पहले माता की प्रतिमा को बाहर भवन में ले जाकर स्नान श्रृंगार और आरती होती हेै, तथा दिन में 12ः30 पर मूर्ति को पुजारी अन्दर वाले भवन में ले आते है, जहां मन्दिर में स्थित रसोई में बने भोजन का भोग लगाया जाता है। उसके उपरान्त आमजन के लिए लंगर भण्डारा खोल दिया जाता है। सन्ध्या समय माता की आरती होती है, और रात्रि में शयन करवाया जाता हेै। यह सब प्रक्रिया अटूट है।
    वर्ष में दो बार माता बेरी वाली का विशेष मेला लगता है, एक चैत्र नवरात्र और दूसार अश्विनमास नवरात्र के समय भक्त विवाह उपरान्त अपनी कुलदेवी की धोक लगाने आते है तथा सन्तान प्राप्ति के बाद मुंडन संक्कार करवाने आते है। मन्दिर क्षेत्र में एक प्राचीन सरोवर है, जिसकी मिट्टी निकाल भक्त श्रमदान करते है और अपने लिए मंगल कामना करते है।
    वर्तमान में माता भीमेश्वरी देवी का संचालन श्री भीमेश्वरी देवी मन्दिर आश्रम ट्रस्ट जिसे ब्रहमलीन महंत बाबा सेवापुरी जी द्वारा बनाया गया था, के द्वारा किया जा रहा है। हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में श्री माता भीमेश्वरी देवी मन्दिर आश्रम एक्ट 2022 को पास किया गया है। मन्दिर ट्रस्ट एवं प्रशासन भक्तों की सेवा हेतू प्रतिबद्व है।