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    मराठा शौर्य दिवस, पानीपत

    Publish Date: जनवरी 14, 2023

    आदरणीय श्री एकनाथ शिंदे जी, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार
    आदरणीय श्री रावसाहब पाटिल दानवे जी, केन्द्रीय रेल, कोयला एवं खान राज्य मंत्री
    डा0 भागवत किशन राव कराड जी, केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री
    श्री विनोद तावड़े जी, महासचिव, भाजपा
    श्री प्रदीप पाटिल जी, प्रधान, शौर्य स्मारक समिति
    श्री संजय भाटिया जी, सांसद, पानीपत
    श्री आदेश मुले जी, महासचिव, शौर्य समारक समिति
    श्री महिपाल ढांडा जी, विधायक, पानीपत ग्रामीण
    उपस्थित महानुभाव, अधिकारीगण, भाईयों-बहनों, मीडिया के बंधुओं!
    आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में पानीपत के तीसरे युद्ध के शुरवीरों को याद करना हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय है। मैं आज यहां शौर्य तीर्थ धाम काला अम्ब की ऐतिहासिक धरती पर आयोजित शौर्य दिवस समारोह में उपस्थित होकर बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। इस गरिमामयी कार्यक्रम में शिवाजी महाराज की शौर्य भूमि से पहुंचे सभी अतिथिगण का वीर भूमि हरियाणा की तरफ से हार्दिक स्वागत करता हूं। आज शौर्य स्मारक समिति द्वारा शौर्य दिवस का आयोजन कर हमारे योद्धा सैनिकों की कुर्बानी को याद करने का अवसर दिया। इसके लिए मैं शौर्य स्मारक समिति का कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूं। पानीपत के तीसरे युद्ध के हज़ारों शहीदों, जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सर्वस्व कुर्बान कर दिया था। आज मैं सभी योद्धा शुुरवीरों को नमन करता हूं और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
    मैं पानीपत की इस ऐतिहासिक धरा को नमन करता हूं जिस पर देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार युद्ध लड़े गए। पानीपत की धरती पराजय की कहानी नहीं है। यह मराठों के अनुपम धैर्य, पराक्रम व शौर्य की कहानी है। यह धरा, शौर्य, वीरता और त्याग की धरा है।
    पानीपत की इस ऐतिहासिक भुमि पर आज ही के दिन 1761 में अहमदशाह अब्दाली और मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ के मध्य युद्ध हुआ था। उस समय सदाशिव राव भाऊ ही पानीपत के युद्ध के नायक थे। उन्होंने 1759 में निजाम की सेनाओं को हराया था। वह उस समय के बहुत ही शक्तिशाली और शौर्यसंपन्न पराक्रमी सेनानायक के रूप में स्थापित हो चुके थे। इसलिए बालाजी बाजी राव ने अहमदशाह से लड़ने के लिए भी उनको ही चुना था।
    पानीपत के युद्ध में कई महान योद्धा मारे गए। इनमें सदाशिवराव भाऊ, शमशेर बहादुर, विश्वासराव, जानकोजी सिंधिया के नाम उल्लेखनीय है। युद्ध के बाद खुद अहमदशाह ने मराठों की वीरता की मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी और मराठों को सच्चा देशभक्त बताया। पानीपत के इस युद्ध में अब्दाली के विजयी होने के बाद भी उसका कोई गुणगान नहीं करता। ”मराठी माणुस” अर्थात मराठा योद्धाओं की वीरता के आज भी गीत गाए जाते हैं।
    इस युद्ध में मराठों ने अंतिम सांस तक आततायी अब्दाली की सेना का डट कर मुकाबला किया। इस युद्ध में पूरे विश्व ने देखा कि ‘मराठा माणुस‘ देश की सीमाओं की रक्षा के लिए किस प्रकार से अपनी जान की बाजी लगा देता है। पानीपत के इस तीसरे युद्ध के बाद अफगानिस्तान व ईरान की तरफ से आने वाले किसी आक्रमणकारी की हिम्मत नहीं हुई थी।
    भाईयों बहनों!
    धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र और पानीपत के इतिहास को विश्व जानता है। कुरूक्षेत्र में हुए महाभारत के युद्ध ने विश्व को गीता दी जिस से मानव मात्र ने जीने की कला सीखी है। गीता के माध्यम से भारत ने दुनिया को अध्यात्म का ज्ञान दिया है। पानीपत के युद्ध ने दुनिया को इतिहास दिया है। इस युद्ध ने ही हमें देश में समानता, समता और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत करवाया।यह ऐतिहासिक भूमि धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र से कुछ ही कोस की दूरी पर है। इस परिधि क्षेत्र में महाभारत काल से लेकर जितने भी युद्ध हुए हैं सभी युद्धों ने भारत के इतिहास को नया मोड़ दिया है। जिसके परिणाम स्वरूप भारत के शुरवीरों में देश भक्ति, देश प्रेम व कर्त्तव्य परायणता का नया जोश और जज्बा पैदा हुआ और सभी धर्म, समुदायों, वर्गो में राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत हुई। आज भी भारतीय सेना में व सुरक्षा बलों के जवान ‘सर्व धर्म भव‘ से देश की रक्षा के लिए कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं।
    देश की एकता, अखण्डता को मज़बुती प्रदान करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सेना का आधुनिकीकरण व सामरिक क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर सेना को आत्म निर्भर बनाया है। इस वित वर्ष के केन्द्रीय बजट में सेना के लिए सवा पांच लाख करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान किया गया है, जो गत वर्ष से 10 प्रतिशत से भी अधिक है। इससे सेनाओं का मनोबल बढा है।
    केन्द्र सरकार ने रक्षा पैंशन की मंजुरी और वितरण के स्वचालन के लिए एक एकीकृत प्रणाली (स्पर्श) लागु की है। केन्द्र सरकार द्वारा One Rank One Pension (OROP) योजना शुरू की गई है इससे लाखों पूर्व सैनिकों को लाभ हुआ है। पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के बेडे में आई.एन.एस विक्रांत को शामिल कर नौसेना को मजबूती प्रदान की है।
    आज भी कई मायनों में हरियाणा और महाराष्ट्र की संस्कृति का संबंध व जुड़ाव है। आज मकर संक्रान्ति का पर्व है। दोनों राज्यों में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। आप सभी को संक्रान्ति पर्व की शुभकामनाएं। पानीपत के तृतीय युद्ध में हजारों की संख्या में वीरगति को प्राप्त हुए, जो मराठी इस युद्ध में बच गए थे वे यहीं हरियाणा में राजमार्ग के आस पर बस गए, जिन्हें आज ”रोड़ मराठा” के नाम से जाना जाता है। इन रोड़ मराठा परिवारों में आज भी वीरता का ऐसा ही जज्बा है। सभी में मराठा संस्कृति आज भी रची बसी है। जो हरियाणवी संस्कृति के साथ-साथ मराठा संस्कृति को भी संजोए हुए हैं।
    इन यु़द्धों की बदौलत ही आज हरियाणा को वीर भूमि कहा जाता है। भारत की सेनाओं में इस समय हर दसवां जवान हरियाणा से है जबकि यह प्रदेश के क्षेत्रफल व जनसंख्या के मामले में देश का दो प्रतिशत है। हरियाणा आज सामाजिक क्षेत्र के साथ-साथ खेल, कृषि, आटो उत्पादन, दूध उत्पादन, बागवानी, हैंडलूम के क्षेत्र में देश का पहला राज्य है। पानीपत को तो टैक्सटाईल सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
    हरियाणा की ऐतिहासिक व पुरातात्विक धरोहरों व स्मारको को संजोए रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा पंचकूला में ”राज्य पुरातत्व संग्रहालय” का निर्माण कार्य शुरू किया है। इस संग्रहालय में राज्य की पुरातत्व कलाकृतियों को सहेज कर रखा जाएगा, जो हमारी विरासत को दर्शाएगा। इस विरासत से युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी होगी और वे राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाएंगें।
    इसके साथ-साथ महाभारत के युद्ध की घटनाक्रमों को प्रदर्शित करने की योजना के लिए सरकार ने लगभग 205 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत की परियोजना को स्वीकृति दी है। कृष्णा सर्किट योजना के तहत, भारत सरकार की 97.34 करोड़ रूपए की सहायता से श्रीमद्भगवतगीता और महाभारत से संबंधित विभिन्न विषयों पर 3-डी मल्टीमीडिया शो, भित्ति चित्रों और कलाकृतियों, परिक्रमापथ में लाइटिंग का कार्य शुरू करने का भी प्रस्ताव है।
    इतना ही नहीं देश व धर्म के लिए सिख धर्म की विरासत सहेजने व बहादुर सिखों की राजधानी लोहगढ़ की महिमा और निडर शहीद बाबा बंदा सिंह बहादुर की विरासत को सुरक्षित करने हेतु लोहगढ़ किले के जीर्णोद्धार के लिए अलग से एक परियोजना तैयार है। इस स्थल को पर्यटक केन्द्र के रूप में उभारने के लिए एक सिख हैरिटेज संग्रहालय, एक मार्शल आर्ट संग्रहालय और अन्य आकर्षण स्थापित किए जाएगें।
    आज हमें अपने शुरवीरों पर गर्व है जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए कुर्बानियां दी है। जरूरत है कि आज की युवा पीढ़ी इनके शौर्य, संघर्ष से प्रेरणा लेकर राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लें, जिससे राष्ट्र मजबूत होगा और समाज में एकता होगी, सभी में समभाव होगा। यही पानीपत के तीसरे युद्ध सेनानियों और शुरवीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
    जय हिन्द!