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    ‘ब्रह्मा विरासत उत्सव‘ समारोह, गुरूग्राम

    Publish Date: जनवरी 8, 2023

    आदरणीय राजयोगिनी बी0के0 शुक्ला दीदी जी,
    आदरणीय राजयोगिनी बी0के0 पुष्पा दीदी जी,
    आदरणीय डा0 मोहित गुप्ता जी
    पंडित बृजेश मिश्रा जी,
    आदरणीय राजयोगिनी बी0के0 आशा दीदी जी,
    उपस्थित बहनों-भाईयों व ब्रह्माकुमारी संस्था के पदाधिकारीगण, मीडिया के बंधुओं!
    विश्व विख्यात संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ‘ब्रह्मा विरासत उत्सव‘ समारोह में भाग लेते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैं इसके लिए ब्रह्माकुमारीज संस्था को कोटि-कोटि बधाई व शुभकामनाएं देना चाहता हूं।
    भाईयों-बहनों!
    1936 में ब्रह्मा बाबा ने आंतरिक बदलाव का एक बीज बोया था, जिसे संस्था द्वारा लगातार सींचा जा रहा है। ब्रह्माकुमारी संस्था 87 सालों के मानवमात्र का मार्गदर्शन कर रही है। किसी भी संस्था के लिए 87 वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इतने सालों के बाद भी यह संस्था उतनी ही कर्मठता, लगन, और ईमानदारी से जन-जन तक आध्यात्मिक सन्देश पहुंचा रही है।
    इस संस्था का कार्य व सेवा खुली किताब की तरह है। यह संस्था लोगों को शांति और खुशी के साथ जीवन जीने की कला सिखा रही है। भारत की प्राचीन अध्यात्म प्रधान संस्कृति को पुनर्जीवित करने का भागीरथी कार्य यहाँ से हो रहा है। यहाँ दिए जा रहे परमात्म ज्ञान से निश्चित ही व्यक्ति के सोच में, संस्कारों में और जीवन में सकरात्मक बदलाव आता है जिससे वह एक श्रेष्ठ और चरित्रवान नागरिक बन जाता है।
    ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ भारत के चिन्तन का आधार है। विश्व एक परिवार है और हम सब एक ईश्वर की संतान होने के कारण आपस में भाई-भाई हैं। भारत ऐसा देश है जिसने गीता के माध्यम से सारे विश्व को संदेश दिया है कि ईश्वर एक है। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मेरा मानना है कि आज इसी संदेश को आधार बनाकर आध्यात्मिक क्रांति लाने की जरूरत है।
    भौतिकवाद और विभिन्न कारणों से देश व दुनिया में बढ़ रही हिंसा व अराजकता से हमारी शांति खण्डित हो रही है। आध्यामित्कता से ही हम मन की शुद्धि कर सकते हैं।
    भाईयों-बहनों!
    आध्यात्मिक शिक्षा से हम सभी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं। व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से देश और देश से संसार बनता है। संसार में बदलाव लाना है तो व्यक्ति में परिवर्तन लाना पड़ेगा। सारा विश्व ही मेरा परिवार है। जब इस तरह की भावना मन में होती है तो हम दूसरों के दुख-दर्द को अपना मानने लगते हैं। सेवा के लिए दयाभाव व नम्रता का गुण बहुत जरूरी है।
    ब्रह्माकुमारी संगठन में इतने अनुशासन व व्यवस्था से सब लोग कार्य कर रहे हैं, यह बहुत खुशी की बात है। इस संगठन की एक-एक चीज में आदर्शवादिता है। इसलिए मुझे यहां आकर बहुत ही आनंद और हर्ष हुआ है। यहां हर चीज में मुझे श्रेष्ठता दिखती है। यह ऐसा संगठन है जो विश्व को मार्ग दिखा सकता है। यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि सारे विश्व के लिए है।
    ब्रह्माकुमारी संगठन ने बहुत बड़ा आदर्श हमारे सामने रखा है। दादा लेखराज जी जिस तरह के आदर्श व्यक्ति थे उसी तरह का आदर्श संगठन उन्होंने बनाया है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। इसका संपूर्ण संचालन महिलाओं के द्वारा होता है, हालांकि यहां पुरुष भी हैं लेकिन पुरुष भी महिलाओं से सीखते हैं।
    मित्रो! सार्थक जीवन वही है जो दूसरों के काम आए। अपने लिए तो सभी जीते है, परन्तु जो दूसरों के जीवन में एक नई रोशनी जगा सकें, एक नई राह दिखा सकें व सुख का मार्ग प्रशस्त कर सकें, वे ही महान हैं। अध्यात्म हमें दूसरों के लिए, समाज की भलाई के लिए जीवन जीना सीखाता है। आध्यामित्कता के बिना जीवन मूल्यों की धारणा नहीं हो सकती है।
    आज की राजनीति में आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश से ही देश की दशा और दिशा सुधर सकती है। आंतरिक शुद्धिकरण से ही बाहर का शुद्धिकरण हो सकता है। भारतीय संस्कृति के इन पुरातन मूल्यों को ब्रह्माकुमारीज पुनः स्थापन करने का कार्य कर रही है, जिनका रोपण ब्रह्मा बाबा ने किया। इन मूल्यों से ही वसुधैव कुटुम्बकम की भावना चरितार्थ होगी। ब्रह्मा बाबा द्वारा विश्व नवनिर्माण के कार्य में हम सबको सहभागी बनना है। उसके लिए आत्मिक भाव को अपनाना होगा।
    अंत में एक बार फिर इस अवसर पर संस्था को शुभकामनाएं देते हुए यह आशा करता हूं कि आप मूल्य आधारित समाज के निर्माण के लिए तथा स्वर्णिम सतयुगी दुनिया बनाने के लिए जो भागीरथी प्रयास कर रहे हैं उसमें आप दिन-दोगुनी, रात-चौगुनी कामयाबी प्राप्त करें। मुझे यहां बुलाकर महान आध्यात्मिक जनों के दर्शन करवाने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्था का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
    जयहिन्द!