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    बाबा साहेब डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर जयन्ती समारोह, मुरथल, सोनीपत

    Publish Date: अप्रैल 14, 2023

    श्री रमेश कौशिक जी, सांसद, सोनीपत
    श्री मोहन लाल बड़ोली जी, विधायक, राई
    श्रीमती निर्मल रानी जी, विधायक, गन्नौर
    श्री राजीव जैन जी, समाजसेवी
    श्री ललित बत्रा जी, पर्व वाईस चेयरमैन, हरियाणा उपकर्म ब्यूरो
    प्रो0 राजेन्द्र कुमार अनायत जी, कुलपति, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल
    प्रो0 सुरेश कुमार जी, कुलसचिव, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल
    उपस्थित अतिथिगण, गणमान्य, अभिभावकगण, महानुभाव, प्रिय छात्रों व मीडिया के बंधुओ!
    सर्वप्रथम मैं भारतरत्न बाबा साहेब डा0 भीम राव अम्बेडकर जी की जयन्ती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूँ। साथ ही प्रदेश वासियों और आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ।
    जैसा कि आप सभी को विदित है कि बाबा साहेब बी.आर. अंबेडकर ने अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की क्षमता और आत्मविश्वास के साथ संघर्ष के सिद्धांत और अध्ययन को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और समाज के कमजोर वर्गों जैसे एस.सी., एस.टी. और ओ.बी.सी अल्पसंख्यकों व अन्य लाखों गरीब लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने।
    ज्ञान के महत्व और शक्ति को महसूस करते हुए डा0 अम्बेडकर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च शिक्षा का अध्ययन किया। उन्होंने न्यूयॉर्क शहर के
    कोलंबिया विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय वाणिज्य पर अपनी थीसिस को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद जून उन्नीस सौ पंद्रह में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्नीस सौ सौलह में उन्होनें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘रुपये की समस्याः इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान‘ नामक विषय की डॉक्टरेट थीसिस पर काम किया।
    उन्नीस सौ बीस में लन्दन विश्वविद्यालय द्वारा डी.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की। जून, उन्नीस सौ सताईस में, उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। वह अपने समय के एक दुर्लभ भारतीय राजनेता थे जिन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय, लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स एवं बॉन विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था।
    डॉ अम्बेडकर गरीब लोगों, अछूतों के भाग्य के बारे में चिंतित थे। डॉ अंबेडकर चाहते थे कि वे स्वतंत्र हों। उन्होंने दलित वर्ग समाज की स्थापना की। उन्होंने समाज के दबे-कुचले वर्गों के मुद्दों और आकांक्षाओं को उजागर करने के लिए उन्नीस सौ सताईस में रूढ़ीवादी परम्पराओं की आलोचना करने के लिए एक मराठी पाक्षिक पत्रिका मूकनायक और हिन्दू धर्म में जाति प्रथा के उन्मूलन के लिए बहिष्कृत भारत की शुरुआत की।
    डॉ. अम्बेडकर ने अपना जीवन दलितों की मुक्ति और सशक्तिकरण के लिए समर्पित कर दिया। इसलिए संघर्ष उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया। उन्नीस सौ सताईस में, डॉ. अम्बेडकर ने अपने हजारों अनुयायियों के साथ महाराष्ट्र के महाड़ में चवदार टैंक से पानी पीकर एक शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व किया।
    डॉ अंबेडकर ने तीन मार्च उन्नीस सौ तीस को नासिक के कालाराम मंदिर में सभी हिंदुओं के सुरक्षित प्रवेश के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया।
    बाबा साहेब ने अंग्रेजी शासन काल में ही क्षेत्रीय विधायी विधानसभाओं और राज्यों की केंद्रीय परिषद में दलित वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करवाया। उन्नीस सौ छत्तीस में उन्होंने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की। इसने उन्नीस सौ सैंतीस के बंबई चुनाव में तेरह आरक्षित और चार सामान्य सीटों के लिए केंद्रीय विधान सभा का चुनाव लड़ा और क्रमशः ग्यारह आरक्षित और तीन अन्य सीटों पर जीत हासिल की। उनके लिए लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोपरि थे।
    अपने त्याग, संघर्ष, समर्पण और कठोर मेहनत के बल पर बाबा साहेब डा0 भीम राव जी अम्बेडकर आजाद भारत के पहले कानून मन्त्री बने।
    पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को जब देश अंग्रेजों से आजाद हुआ तो संविधान बनाने करने की चुनौती को स्वीकार करने के लिए कोई भी तैयार नहीं था। आखिर पूरे देश की नजर बाबा साहेब डा0 भीम राव अम्बेडकर की तरफ गई।
    बाबा साहेब ने व्यक्तिगत स्तर पर प्रतिदिन 21-21 घंटे कार्य कर 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान का प्रारूप तैयार किया। इसीलिए ही बाबा साहेब को संविधान का मुख्य निर्माता माना जाता है।
    आजादी के समय देश विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, धर्मों, पंथों, और सम्प्रदायों में बटा हुआ था। देश में उस समय सभी के लिए समान कानून और संविधान देना बहुत ही कठिन था, लेकिन बाबा साहेब ने समतामूलक संविधान की रचना की और देश को एकसूत्र में पिरोया।
    सामाजिक और आर्थिक विकृतियों को दूर करने के लिए बाबा साहेब ने लोकसभा व विधानसभाओं के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में गरीब व दबे-कुचले लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। इसी आरक्षण की बदौलत आज समाज में दलित समाज को पहचान मिली है।
    डा. भीम राव अम्बेडकर जी एक कर्मयोगी थे। उन्होंने देश के दबे-कुचले और गरीब लोगों को तीन सूत्र दियेः-
    1. शिक्षित बनो
    2. संगठित रहो
    3. संघर्ष करो

    बाबा साहेब समाज में महिलाओं की दशा सुधारने में के लिए प्रयासरत रहे। महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने की भी कोशिश की। इसके पारित नहीं होने पर उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
    बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर को आयोग निर्माता भी कहा जाता है। उन्होंने निर्वाचन आयोग, योजना आयोग (नीति आयोग) वित्त आयोगों का गठन किया।
    उनमें भारतीयता और राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी हुई थी। यद्यपि डा0 भीम राव अंबेडकर दुनियाभर में घूमे थे और विदेशी धरती वाले धर्म के विभिन्न धर्मावलंबियों के प्रमुखों ने उनसे उनका मत अपनाने के लिए बहुत प्रयत्न किए। परंतु हिन्दू धर्म से नाराजगी के चलते उन्होनें किसी अन्य विदेशी धरती वाले धर्म के स्थान पर स्वदेशी बौद्ध धर्म को स्वीकार किया जो कि विशुद्ध भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है और जिसे कई सदियों से सम्पूर्ण भारतवर्ष में अशोक और हर्षवर्धन, जिनकी राजधानी हरियाणा के स्थाणैश्वर वर्तमान में थानैसर में थी, जैसे महान सम्राटों के साथ-साथ ही सामान्य जनता ने खूब स्वीकार किया था। चौदह अक्टूबर, उन्नीस सौ छप्पन को बौद्ध धर्म की उनकी स्वीकृति उनके भारतीयता और भारतीय संस्कृति के मूल्यों के प्रति अगाध प्रेम का परिचायक है।
    हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार बाबा साहेब के समतामूलक समाज की संकल्पना के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है। इसी को ध्यान में रखते हुए सबके लिए और विशेष तौर पर समाज के वंचित वर्गों के लिए आवास, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध करवाने के लिए अनेकों कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही हैं।
    आज गरीब समाज को डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उनका दर्शन, चिन्तन और सिद्धांत युगों-युगों तक हम सबको प्रेरित करता रहेगा। उनके जीवन दर्शन को अपनाकर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
    मैं बाबा साहेब जी की जयन्ती समारोह में शामिल होकर फिर से आप सबों को बधाई देता हूँ। मेरी आपसे अपील है कि आप सभी अपने बच्चों को शिक्षित बनाएं तभी बाबा साहेब का सपना साकार होगा।
    जय हिन्द!