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    फैप स्टेट अवार्ड-2021 चण्डीगढ़ यूनिवर्सिटी

    Publish Date: सितम्बर 11, 2021

    चण्डीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति आदरणीय श्री सरदार सतनाम सिंह संधू जी—-
    डा0 जगजीत सिंह धूरी जी, प्रेजिडेंट, फेडरेशन आफ प्राईवेट स्कूल एंड ज्वाईंट एसोसिएशन आफ कालेज, पंजाब, उपस्थित सभी माननीय प्राध्यापकगण, अध्यापकगण, प्रशासनिक अधिकारीगण व भाईयो-बहनों, प्रिय छात्रों तथा पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं—-
    मैं चण्डीगढ़ यूनिवर्सिटी के ‘‘फैप स्टेट अवार्ड-2021‘‘(Federation of Private Schools and Association of Punjab State Awards-2021) समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। सर्वप्रथम मैं आज इस समारोह में सम्मानित होने वाले सभी अध्यापकों और छात्रों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
    आज से एक सप्ताह पूर्व यानि पांच सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया गया। देश के महान राजनयिक, आदर्श शिक्षक, पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णनन जी का जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डा0 राधाकृष्णनन का मानना था कि शिक्षक देश के ही असली शिल्पकार होते हैं और जो देश व समाज का निर्माण करते हैं।
    शिक्षक दिवस के उपलक्ष में आयोजित इस सम्मान समारोह में जहां आज शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा है, वहीं आज का दिन शिक्षकों को आत्म निरीक्षण एवं स्वयं की समीक्षा करने का भी अवसर प्रदान करता है। शिक्षक पूरी प्रतिबद्धता व जवाबदेही के साथ कार्य करते हैं। हम सभी का भी कर्त्तव्य बन जाता है कि हम उन्हें सिर माथे पर बैठाएं।
    मेरी आपसे अपील है कि आप निस्वार्थ व समाज सेवा के भाव से युवा पीढ़ी को शिक्षा प्रदान करें। आज पूरा देश व समाज शिक्षक वर्ग की तरफ देख रहा है। निश्चित रूप से आपके इस महत्ती योगदान से देश व समाज तरक्की करेगा।
    देश में इसी वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। इस नीति को देश में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र के शिक्षकों, विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुझे पता चला है कि आपकी ऐसोसिएशन से 6500 से भी अधिक शिक्षण संस्थाएं जुड़ी हुई हैं। इसलिए मैं आपसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में और अधिक योगदान की अपेक्षा करता हूं।
    नई शिक्षा नीति जहां युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोलेगी, वहीं वर्तमान मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता के शिक्षक तैयार करने में कारगर होगी।
    समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा मिशन के लिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। हमारे शिक्षक इस महान कायापलट के वाहक होंगे। वर्तमान में इस बात की जरूरत है कि शिक्षकों को गतिशील और बहुमुखी प्रतिभाशाली कौशलयुक्त युवा तैयार करने है ताकि वे उत्कृष्टता प्राप्त कर रोजगार ढूंढ़ने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें।
    हम सभी बहुत ही भाग्यशाली हैं कि हमें एक वास्तविक, आज की विश्व व्यवस्था तथा भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा नीति मिली है।
    शिक्षा नीति के तहत अनुसंधान व रिसर्च के आधार पर नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम लागू किए जाने हैं। इसलिए मेरा विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह है कि रिसर्च व शोध के कार्य केवल प्रयोगशाला तक न सीमित रहें बल्कि शोध कार्यों का प्रयोग मानव और समाज कल्याण के लिए होना चाहिए।
    अध्यापक समाज के ऐसे शिल्पकार हैं जो राष्ट्र के भविष्य के कर्णधार बच्चों को तराशने का कार्य करते हैं। शिक्षक एक मजबूत राष्ट्र के लिए फव्वारे के रूप में काम करता है, जो अपना ज्ञान चारों ओर फैलाता है।
    अध्यापक हमेशा ज्ञान गंगा को प्रवाहित करते रहते हैं। यह ज्ञान गंगा अविरल प्रवाहित रहे इसके लिए आपको हमेशा नए अनुसंधान व विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सभी बदलाव तथा नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
    शिक्षण का अर्थ केवल बच्चों के दिमाग को प्रज्वलित करना ही नहीं बल्कि उनके दिलों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ना भी है, जिसे केवल शिक्षक ही सुनिश्चित कर सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में शिक्षा की नई तकनीकें आने से भी गुगल कभी भी गुरू की जगह नहीं ले सकता।
    हमें यह भी याद रखना होगा कि आज हम संचार के नए युग में जी रहे हैं। कोविड -19 महामारी ने हमें ऑनलाइन शिक्षण के महत्व का एहसास कराया है। शिक्षकों को कंप्यूटर क्रांति का अधिक से अधिक उपयोग कर विद्यार्थियों से जुड़ना होगा।
    शिक्षक को विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर बढ़ाने के साथ-साथ मनोबल बढ़ाने की टिप्स भी देनी होगी ताकि वे आम जीवन में होने वाली समस्याओं का सरलता से समाधान खोज सकें। यह तभी संभव होगा जब हमारे शिक्षक उसी के अनुरूप खुद को तैयार करेंगे।
    शिक्षक को बच्चों की शिक्षा व देखभाल के लिए एक मां की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। एक सामान्य शिक्षक सिर्फ व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाता है। अच्छे शिक्षक विस्तार से पढ़ाते हैं, जबकि जबकि श्रेष्ठ शिक्षक छात्रों को प्रभाभी तरीके से सीखाने का कार्य करते हैं। मुझे अपने भौतिकी के अध्यापक श्री रामैया गारू और तेलुगु शिक्षक स्वर्गीय श्री शेषचार्य आज भी याद हैं। वे आदर्श शिक्षक थे, जिनके शब्दों ने छात्रों के दिल और दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
    शिक्षण कोई नौकरी नहीं बल्कि एक ऐसा धर्म है जिससे समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है। हमारे शिक्षक इस महान धर्म के प्रवर्तक हैं। मेरी निजी क्षेत्र के सभी विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों से अपील है कि वे अपने संस्थानों में व्यापारिक दृष्टि से नहीं बल्कि देश निर्माण को ध्यान में रखते हुए गरीब वर्ग के बच्चों को सरकारी नियमों के अनुसार शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाएं। इससे एक नव भारत का निर्माण होगा, जो समावेशी होगा जहां कोई भी वंचित व पिछड़ा नहीं होगा। भारतवर्ष को फिर से विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त होगा।
    आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसलिए शिक्षक विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं से अवगत करवाकर अधिक से अधिक अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों से जोड़े।
    अन्त में एक बार फिर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

    जयहिन्द।