Close

    निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिवों की एक दिवसीय बैठक में सम्बोधन

    Publish Date: मार्च 11, 2023

    मैं आज की इस बैठक में निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण व कुलसचिवगण के साथ-साथ अन्य अधिकारीगण का राजभवन प्रांगण में हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूँ।
    वर्तमान समय में देश की शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनयादी सुविधाओं सहित सभी क्षेत्रों में केवल सरकार के संस्थानों द्वारा ही प्रगति नहीं की जा सकती अपितु इसमें निजी संस्थाओं को भी कन्धे से कन्धा मिलाकर समाज का सहयोग करना होगा। मुझे खुशी है कि शिक्षा के क्षेत्र में आज निजी विश्वविद्यालय बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और आज हमें निजी विश्वविद्यालयों की कार्यवाही से रू-ब-रू होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। चाहे निजी विश्वविद्यालय हों या सरकारी, सभी का कार्य नौजवानों को रोजगारोन्मुखी, संस्कारवान शिक्षा प्रदान करना है।
    मुख्यमंत्री जी ने समय-समय पर बहुत से विषय एवं सुझाव आपसे सांझा किए है जोकि उच्चतर शिक्षा में गुणवत्ता लाने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-दो हजार बीस को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने हेतु अति आवश्यक है।
    चूंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना अति आवश्यक है अतः इसके लिये शिक्षकों को भी गुणवान होना, उनके लिये प्रशिक्षण कोर्सिस आयोजित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मेरे संज्ञान में आया है कि उच्च शिक्षा परिषद ने Academic Leadership आयोजित की हैं।
    विद्यार्थियों में कौशल विकास की भावना विकसित करना आज के युग में अति महत्वपूर्ण है। इसके लिये परिषद ने जो अल्प-कालीन Certificate/Diploma Courses तैयार करवाकर आपके साथ और महाविद्यालयों के साथ शेयर किये हैं। यह एक सराहनीय कार्य है और इस पर तत्परता से कार्यवाही होनी चाहिए।
    हमें ऐसे विषय भी ढूंढने चाहिए जो कि विश्व के पटल पर उभरते हुए क्षेत्रों में गिने जाते है और उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसे विषयों में आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस, ड्रान टेक्नालाजी, ऐरोस्पेस टेक्नालाजी शामिल है। यह उभरते क्षेत्र हैं। हमें अपने विश्वविद्यालयों में तकनीक को लगातार अपग्रेड करना चाहिए, केवल तभी हम अपने नौजवानों को लिए समकालीन रोजगार पैदा कर सकते हैं। इन तकनीकों को प्रयोग कृषि, उद्योग और सेवाओं में नई क्रान्ति उत्पन्न कर रहा है।
    यह बड़ी खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार और हरियाणा सरकार नए मैडिकल कालेजों के निर्माण में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं और हरियाणा सरकार हर जिले में मैडिकल कालेज की व्यवस्था करने जा रही है। निजी विश्वविद्यालयों को भी इस दिशा में आगे आकर मितव्ययी मैडिकल शिक्षा की व्यवस्था में कदम उठाना चाहिए।
    समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा मिशन के लिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-दो हजार बीस सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। विश्वविद्यालय ही इस महान कायापलट के वाहक होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति दो हजार बीस जो भारत-केंद्रित शिक्षा, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रणाली, रोजगारोन्मुखी, कौशल प्रदान शिक्षा की कल्पना करती है।
    आज विदेशों में भारतीय योग और आयुर्वेद तथा शाकाहारी भारतीय भोजन पाक कला के बारे में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। हमें इसका फायदा उठाना चाहिए। जी-20 की अध्यक्षता हमारे विश्वविद्यालयों के लिए एक बेहतरीन अवसर है जहां हम वहां के विश्वविद्यालयों के साथ सांझे पाठयक्रम आरम्भ कर सकते हैं। इसके लिए भारतीय विश्वविद्यालयों को विदेशी छात्रों को भारतीय भाषाओं, भारतीय कला एवं संस्कृति, ज्योतिष, आयुर्वेद सम्बन्धी आनलाईन कार्सेस के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बजट का प्रावधान करना चाहिए।
    नई शिक्षा नीति जहां युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोलेगी, वहीं वर्तमान मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता के शिक्षक तैयार करने में कारगर होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- दो हजार बीस को देश में सफलतापूर्वक रूप से लागू करने में विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
    इस नीति की एक और विशेषता यह है कि सभी तरह के वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधान कार्यों को ‘‘नैशनल रिसर्च फाउडेशन’’ बनाकर नियंत्रित किया जाएगा। जिससे शोद्यार्थियों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
    विश्वविद्यालयों में किए गए शोधकार्य केवल प्रयोगशाला का कार्य न होकर मानव व समाज कल्याण के लिए उपयोगी बने, ऐसी व्यवस्था पर सभी विश्वविद्यालय प्रशासनों को और अधिक ध्यान देना होगा। इसके साथ-साथ विश्वविद्यालयों को विकसित देशों के विश्वविद्यालयों से एम.ओ.यू साईन करके विश्वस्तर पर शिक्षा में हो रहे अनुसंधान और रिसर्च कार्यों से विद्यार्थियों को रू-ब-रू करवाना होगा।
    मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी का विशेष रूप से धन्यवाद करता हूँ कि इन्होंने हरियाणा में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए शिक्षा सम्बन्धी बजट में किसी तरह की कमी नहीं रहने दी।
    इसके साथ-साथ ही नई शिक्षा नीति में सांकेतिक एवं चिन्हित भाषा का प्रयोग, एक भारत-श्रेष्ठ भारत तथा वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफार्म आदि कार्यक्रमों को भी पूरी तरह लागू करने में राज्य सरकार का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
    अंत में मैं एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद करते हुए गुजारिश करूंगा कि शिक्षा की इस क्रान्ति में हम सब बढ़-चढ़ कर भाग लें और भारत के भविष्य की नई पीढ़ी को नई शिक्षा नीति के अनुरूप ढ़ालंे। यह देश हित के साथ-साथ हम सब के हित में होगा।
    धन्यवाद
    जय हिन्द!