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    ध्यान जागृति योग शिविर, भिवानी

    Publish Date: नवम्बर 6, 2022

    आदरणीय बह्ममूर्ति योगतीर्थ जी महाराज,
    श्री घनश्याम सराफ जी, विधायक, भिवानी
    स्वामी योगव्रत जी,
    आचार्य रविन्द्र जी,

    उपस्थित सभी योगाचार्य, योग साधक, भाईयों-बहनों, महानुभाव, मीडिया के बंधुओं!
    मुझे आज भिवानी मे आयोजित ध्यान जागृति योग शिविर मे पहुंच कर बहुत ही खुशी का अनुभव हो रहा है। इस आयोजन के लिए मै आयोजकों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं।
    भाईयों बहनों
    इस योग शिविर मे योग साधकों को बहिरंग योग अर्थात् आसन प्राणायाम से आगे अंतरंग योग (धारणा, ध्यान व समाधि) की प्रक्रियाएं सिखाई गई हैं जिसमें समस्त उत्तर भारत के साधक तीन दिन के लिए आदरणीय बह्ममूर्ति योगतीर्थ जी महाराज के सानिध्य में ध्यान की क्रियाओं को सीखा है और लाभ प्राप्त किया है। मैं योगतीर्थ जी महाराज का अभिनन्दन करता हूं।
    आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में 21 जून, 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करवाने का श्रेय हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है।
    देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल भारत को बल्कि पूरी मानवता को स्वस्थ रखने के इसी मूलमंत्र के प्रचार-प्रसार के लिए यह कार्य किया। देश में स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत और फिट इन्डिया जैसे कार्यक्रमों की शुरूआत की। इन्हीं कार्यक्रमों से प्रेरित होकर हम सबको भी स्वच्छता व स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि देश के नागरिक स्वस्थ होंगें तो देश मज़बूत होगा।
    आज देश में सभी योग संस्थान योग के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य कर रहे है। आपने भिवानी में योग जागृति सेवा संस्थान की शुरूआत की है। मुझे पता चला है कि संस्थान में अनेक शिविरों का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें लगभग 20-25 हजार लोग बहिरंग योग (आसन व प्राणायाम) की क्रियाओं को सीख कर अनेक गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा चुके हैं। यह संस्थान का सराहनीय कार्य है इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।
    योग के द्वारा सामाजिक कुरितियों व विकारों को भी दूर किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से सभी योग संस्थानों द्वारा समय-समय पर पौधारोपण अभियान, नशा-मुक्ति अभियान, देसी गाय संरक्षण अभियान एवं प्रतिदिन यज्ञ द्वारा वातावरण को प्रदूषण रहित बनाना इत्यादि सामाजिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना भी बेहद प्रशंसा का कार्य है।
    मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि वेद व उपनिषदों और गीता की भूमि हरियाणा में हरियाणा सरकार ने नई पीढ़ी को योग प्रशिक्षण व योग साधना के लिए प्रेरित किया है। हरियाणा के 6500 गाँव व शहरों की सभी बस्तियों में योगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। योग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कुरूक्षेत्र मे भी श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
    यह विश्वविद्यालय भारत का पहला आयुष विश्वविद्यालय है। इसी प्रकार से झज्जर जिला के देवरखाना गांव में योगा एंव प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद् संस्थान स्थापित किया गया है। जहां 200 बिस्तरों वाले पी.जी.आई (योगा एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान) के निर्माण का कार्य भी पूरा हो चुका है।
    हरियाणा सरकार का यह प्रयास फलीभूत हो रहा है और जन-जन में योग के प्रति जागरूकता आई है। हमारी प्रचीन योग पद्धति को बढ़ावा मिलने से हम स्वस्थ भारत का निर्माण करने में सफल होगें जिससे भारत पुनः विश्व गुरू का दर्जा प्राप्त करेगा।
    जैसा कि आप सब जानते हैं कि अष्टांग योग की विस्तार से चर्चा महर्षि पतंजलि के योग सूत्र में मिलती है। उन्होंने अष्टांग योग के आठ सूत्र यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि दिए हैं। यदि व्यक्ति इन आठ सूत्रों का पूरे मनोभाव व आदर्शात्मक ढंग से पालन करे तो बीमारी निकट भी नहीं आ सकती। इससे व्यक्ति की कार्यक्षमता व कार्यकुशलता में वृद्धि होगी। देश में बीमारी न होने की वजह से देश का अरबों-करोड़ों का धन बचेगा।
    आखिर में मैं कहना चाहूंगा कि योग एक ऐसी अमूल्य औषधि है जो बिना मूल्य आप को स्वस्थता प्रदान कर सकती है, आप को शक्तिवर्धक बना सकती है, आप का आत्म-विश्वास बढ़ा सकती है और स्वस्थ शरीर का आशीर्वाद भी दे सकती है। इसलिए योग के महत्व को जानिए, पहचानिए और जीवन में उसे अपनाइए। मैं इस योग शिविर में भाग लेने वाले सब योग साधकों के स्वस्थ व खुशहाल जीवन की कामना करता हूंै।
    जय हिन्द!