Close

    द्वितीय दीक्षांत समारोह, इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी

    Publish Date: अप्रैल 25, 2023

    प्रो0 जयप्रकाश यादव, कुलपति
    प्रो0 प्रमोद कुमार, कुलसचिव
    उपस्थित सभी अधिकारीगण, पदाधिकारीगण, महानुभावों, प्यारे विद्यार्थियों व मीडिया के बंधुओं!
    आज मैं सबसे पहले आप सभी को विश्वविद्यालय के इस द्वितीय दीक्षांत समारोह के आयोजन की बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    मुझे खुशी है कि आज इस दीक्षांत समारोह में अस्सी पी.एच.डी., आठ एम.फिल., बारह संकायों के चौबीस विभागों के सात सौ दस स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को डिग्रियां प्रदान की जा रही है तथा दो सौ बारह विद्यार्थियों को उनकी उत्कृष्ट अकादमिक उपलब्धियों के लिए पदक एवं पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के एक सौ अड़तालिस विद्यार्थियों में नैट की परीक्षा और तिरासी विद्यार्थियों ने जे.आर.एफ. की परीक्षा पास की है। मैं डिग्री एवं पुरस्कार पाने वाले सभी विद्यार्थियों के भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
    यह केवल शैक्षणिक डिग्री के वितरण का कार्यक्रम नहीं है और न हीं यह शिक्षा का अन्त है। यह तो नए चरण का आरम्भ है जहाँ से विद्यार्थी शैक्षणिक संस्थाओं से प्राप्त सैद्धान्तिक ज्ञान का उपयोग अपने व्यवहारिक जीवन में करने के लिए आगे बढ़ता है।
    विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों, संस्थानों तथा औद्योगिक इकाईयों से समझौता ज्ञापन किए गए है। इसमें इटली की यूरोपियन यूनिवर्सिटी फार टूरिज्म और बांग्लादेश की यूनिवर्सिटी आफ ढाका शामिल है।
    विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और नवाचार ज्ञान परंपरा को सशक्त करते हुए विश्वविद्यालय शोध केन्द्र की स्थापना की है। यू.एस.ए. की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसर सुरेश कुमार और औषध विज्ञान के प्रोफेसर डा0 सुनील कुमार के शोधपत्र प्रकाशित किए गए है।
    प्रिय विद्यार्थियों!
    भारत के शिक्षा तंत्र की लंबे समय से यह कहकर आलोचना की जाती रही है कि वह तोता रटंत प्रणाली का पालन करता है। उसका पाठ्यक्रम outdated है और उसमें शोध व नवाचार के ज्यादा अवसर नहीं हैं। इस पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक स्वागत योग्य कदम है।
    नई शिक्षा नीति-2020 का ध्यान इस पर केन्द्रित है कि विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को इस तरह से प्रशिक्षण दें कि उनके रोजगार पाने की सम्भावनाओं में वृ़िद्ध हो। साथ ही भारतीय भाषाओं को भी महत्व दिया जाए। मौजूदा परिदृश्य में नई शिक्षा नीति महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इस में शिक्षा प्रणाली को पुनर्गठित किया गया है। इस के लिए मौजूदा पाठ्यक्रमों में बदलाव करते हुए परम्परागत नीतियों को बदलते हुए विद्यार्थियों में Critical Thinking और समस्याओं को सुलझाने वाले कौशल का विकास करना शामिल है।
    नई शिक्षा नीति में Digital Education व Skills पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसके तहत E-Books, E-contents और online course शामिल हैं। मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि हरियाणा सरकार ने Digital Public Library/E-Granthkosh का शुभारंभ किया है। इसमें उपयोगकर्ता के लिए मुफ्त ई-संसाधनों जैसे लगभग छः करोड़ ई-बुक्स, तीन लाख वीडियो और ऑडियो, दस लाख पत्रिकाएं, तेईस हजार पाठ्îक्रम सामग्री, छः हजार ई-पत्रिकाएं और पचपन ई-समाचार-पत्र एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाए गए हैं। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को नए जमाने के रोजगार अवसरों के लिए तैयार करना है। एक अनुमान के अनुसार दो हजार तीस तक इस क्षेत्र में पांच करोड़ अतिरिक्त रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगें। आप भी अपने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर इन अवसरों का लाभ दिलावाएं।
    नई शिक्षा नीति उद्योग और शिक्षा के सहयोग के महत्व को भली भांति समझती है और उनके बीच के अन्तराल को पाटने के लिए उद्योग केन्द्रित पाठ्यक्रमों का विकास किया गया है। इसके अन्तर्गत Industry Professionals और विशेषज्ञों को professor के रूप में नियुक्त किए जाने के सुझाव हैं ताकि कक्षाओं में उनके वास्तविक अनुभवों का लाभ विद्यार्थियों को पहुंचाया जा सके। मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि हरियाणा के विश्वविद्यालयों में उद्योगों की जरूरतों के अनुसार उद्यमों और विश्वविद्यालय की आपसी साझेदारी के साथ विद्यार्थियों को ऑन जॉब ट्रेनिंग के अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे। आज के दौर में हमें इसी प्रशिक्षिण की सबसे अधिक आवश्यकता है।
    इसी प्रक्रिया में विद्यार्थियों को कला, मानविकी, विज्ञान और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों के समावेश वाली विविधतापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था भी इस शिक्षा नीति के तहत सुनिश्चित की गई है। नई शिक्षा नीति का विजन यह है कि पेशेवर संस्थानों को दो हजार तीस तक उच्च शिक्षा के Multi Disciplinary संस्थानों में परिवर्तित कर दिया जाए ताकि विद्यार्थियों को बुनियादी महत्व के विषयों की जानकारी मिल सके।
    नई शिक्षा नीति के इन चमत्कारिक पहलुओं का फायदा उठाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने इस शिक्षा नीति को दो हजार पच्चीस तक ही लागू करने का निर्णय लिया है जबकि पूरे देश में इसे लागू करने की समय सीमा दो हजार तीस रखी गई है। उन्होनें शिक्षा के लिए नए बजट में लगभग अठारह प्रतिशत की वृद्धि करते हुए बीस हजार दो सौ पचास करोड़ रूपए का आवंटन किया है।
    मैं आज सभी शिक्षण संस्थानो सहित इस विश्वविद्यालय से भी आशा करता हूँ कि वह इस शिक्षा नीति के प्रति समर्पित भाव से आगे आए एवं इसको यथाशीघ्र लागू करने के लिए कृतसंकल्प हो। इस प्रकार एक बार फिर से अपने देश को विश्वगुरू के पद पर सुशोभित कर सकेंगे।
    मुझे पूरी आशा है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में शिक्षा का एक महान केन्द्र बनकर उभरेगा और छात्रों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाऐगा और उसको एक अच्छा इंसान, एक अच्छा नागरिक बनाएगा।
    तो आइए सब चले सब आगे बढ़े।
    एक बार फिर से आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
    जय हिन्द!