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    दीक्षान्त समारोह दीन बन्धु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल (सोनीपत)

    Publish Date: अप्रैल 29, 2022

    आदरणीय डा0 राजेन्द्र कुमार अनायथ जी, कुलपति, दीन बन्धु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल (सोनीपत)

    श्री रमेश चंद्र कौशिक जी, सांसद सोनीपत
    श्री आनंद मोहन शरण जी अतिरिक्त मुख्य सचिव, उच्चतर एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, हरियाणा

    श्री मोहन लाल बडौली जी, विधायक, राई (सोनीपत)
    उपस्थित पदाधिकारीगण, प्रोफेसर साहेबान, अतिथिगण, प्रिय छात्रों, अभिभावकगण तथा पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं।

    मैं, दीन बन्धु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के सातवें दीक्षान्त समारोह में आपके बीच में पहुंचकर अत्यंत प्रसन्नता महसूस कर रहा हूं।

    विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का यह अवसर सभी शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के लिए एक यादगार अवसर है जो अपनी शैक्षणिक सफलता का जश्न मना रहे हैं।

    मैं प्रदेश के इस प्रतिष्ठित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सभी छात्रों, डिग्रीधारकों व उनके शिक्षकों तथा अभिभावकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    हम सबके लिए खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में सत्तर (70) स्वर्ण पदक सहित कुल एक हजार दो सौ तिरासी (1283) छात्रों को डिग्रियां प्रदान की जा रही है।
    इन डिग्रीधारकों में लगभग आधी लड़कियां हैं। और भी खुशी की बात यह है कि स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिगी प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों से कहीं अधिक है। इससे प्रमाणित होता है कि लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।
    प्रिय छात्रों !
    आपने अपनी शिक्षा के दौरान जो ज्ञान, कौशल और नैतिक मूल्यों का आत्मसात किया है, वह राष्ट्र की प्रगति व समृद्धि के लिए व अपने कैरियर में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मद्दगार साबित होगा। देश और समाज को आपसे बहुत सारी अपेक्षाएं हैं क्योंकि आपके पास भविष्य की आवश्यकताओं के अनुकूल नए विचार और अभिनव दृष्टिकोण हैं।
    प्रिय छात्रों !
    जैसा कि हम सब जानते हैं कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, डिजिटल प्रणाली, नई टैक्नोलॉजी, सोशल मीडिया और शिक्षा के नए साधनों के चलते शिक्षा, सेवा और शासन में एक बदलाव का दौर है।
    इस दौर में हमें विशेषरूप से शिक्षा में डिजीटल व टैक्नोलॉजी प्रणाली को अपनाकर आगे बढ़ना है, तभी नई शिक्षा व्यवस्था का आधार मजबूत होगा। आपका विश्वविद्यालय तो वैसे भी साईंस एवं टैक्नोलॉजी में देश का एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय की इसी गरीमा को बनाए रखने में शिक्षक व छात्र महत्वपूर्ण योगदान दें।
    आज प्रौद्योगिकी और डिजीटलाईजेशन के युग में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन, स्मार्ट बोर्ड, हस्त संचालित कंप्यूटिंग उपकरण, एडेप्टिव कंप्यूटर टेस्टिंग, और अन्य साईबर सेवाओं, साईबर सुरक्षा व अन्य क्षेत्रों में रोजगार की अपार सम्भावनाएं हैं।
    इन्हीं सम्भावनाओं का लाभ लेने के लिए केन्द्रीय बजट में प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए अस्सी (80) हजार करोड़ रूपये खर्च करने का भी प्रावधान किया गया है। इस वित्त व्यवस्था से नई टैक्नोलॉजी को और बढ़ावा मिलेगा।
    मेरी आपसे अपील है कि आप अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात पेशेवर क्षेत्र में जाकर नए स्टार्ट-अप शुरू कर उद्यमिता के क्षेत्र में उतरें। देश का युवा इस ओर आगे बढ़ चुका है।
    कौशलता के इस युग में युवाओं व छात्रों को व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण व कौशलता में पारंगत करके ही स्टार्ट-अप के लिए तैयार कर सकते हैं।

    इन सब के लिए औद्योगिक इकाईयों व दूसरे विश्वविद्यालयों से एम.ओ.यू. साईन करना और विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेशन, इनोवेशन, कैरियर काउन्सलिंग सैन्टरों की स्थापना की जानी जरूरी है।

    आज देश में आठ दर्जन से भी अधिक यूनिकोर्न स्थापित हो चुके हैं। जिससे देश दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंचा है। इसी प्रकार से देश में युवाओं के जोश से नए स्टार्ट-अप की संख्या साठ हजार से भी अधिक पहुंच गई है।

    मेरी विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील है कि जोब-प्लेसमैंट के लिए पूर्व छात्रों (एल्यूमनाई) का भरपूर सहयोग लें। इसके साथ छात्रों को एलुमनाई के पास भेजे जिससे छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पेशेवर दुनिया में बेझिझक होकर उतर पाएंगे।
    सभी विश्वविद्यालयों को नई टैक्नोलोजी के साथ रिसर्च वर्क को आगे बढ़ाना होगा। इनके लिए आधुनिक लैब की सुविधा के साथ-साथ स्किल व प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने होंगे। आप अपने द्वारा किए गए अनुसंधान के उत्पादों को पेटेंट करवाएं, जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान व लोकल फॉर वोकल अभियान को बल मिलेगा।
    सभी विश्वविद्यालय अपने सम्बन्धित महाविद्यालयों में स्थानीय मांग के आधार पर छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए कलस्टर स्थापित करें और वहां विशेषज्ञों से छात्रों की बातचीत करवाने के साथ-साथ उन्हें सम्बन्धित कार्यों का प्रशिक्षण दें।
    पूर्व राष्ट्रपति व महान वैज्ञानिक डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने शिक्षक और छात्र के सम्बन्ध में कहा है कि, एक छात्र का सबसे महत्वपूर्ण गुण यह है कि वह हमेशा अपने अध्यापक से जुड़ा रहे और सवाल पूछे, तभी सीखने और सीखाने की सत्त प्रक्रिया जारी रहेगी।

    इससे छात्र भी और शिक्षक भी शिक्षा के नए आयामों से अपडेट रहेंगे। सीखने और सीखाने के आधार पर ही देश में नई शिक्षा नीति तैयार की गई है।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रभावी रूप से लागु करने में सबसे अधिक जिम्मेवारी व जवाबदेही हमारे विश्वविद्यालयों की है।
    हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में ई-लर्निंग शिक्षा का आधार तैयार किया गया है। इसके साथ-साथ विद्यार्थियों को ई-शिक्षा के सभी मोड में शिक्षा प्रदान की जा रही है।
    शिक्षा के विस्तार के लिए वर्ष 2020-21 में प्रदेश में एक दर्जन से भी अधिक नए सरकारी कॉलेज खोले गए हैं। इस समय प्रदेश में तीस राजकीय महाविद्यालय केवल लड़कियों के लिए हैं।
    वर्तमान में हम सबके लिए यह चिंता का विषय है कि कोविड-19 के समय सबसे ज्यादा नुकसान हमारी युवा पीढ़ी यानि छात्रों को हुआ है। इस एकेडमिक नुकसान की भरपाई के लिए विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थाओं को ट्यूटोरियल व एक्सट्रा कक्षाएं लगाई जाने की आवश्यकता है।
    इस महामारी ने शिक्षा के माध्यमों व शैक्षणिक वितरण की गतिशीलता को पूरी तरह बदल दिया है। हमें डिजीटल मोड का प्रयोग करते हुए हर छात्र तक शिक्षा की पहुंच बनानी है।
    विश्वविद्यालय समाज का एक हिस्सा हैं और समाज के प्रति इन संस्थाओं की एक जिम्मेदारी है। विश्वविद्यालयों से जुड़ी युवा शक्ति का समाज निर्माण में बेहतर उपयोग के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों, रक्तदान शिविरों, पोषण और कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों, महिला सशक्तिकरण अभियान, स्वच्छता अभियान आदि में छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
    इस युवा शक्ति के सहयोग से ही एक अपराध मुक्त, नशा मुक्त आदर्श समाज की स्थापना होगी। आज जिन छात्रों को डिग्री प्रदान की गई है वे पेशेवर दुनिया में कार्य करने के लिए तैयार हैं। आप सबके लिए नए अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
    मैं एक बार फिर डिग्रीधारकों, स्वर्ण पदक विजेताओं, माता-पिता और शिक्षकों को इस दिन को साकार करने में उनके अटूट प्रयासों के लिए बधाई देता हूं। मैं, डा0 राजेन्द्र कुमार अनायथ, कुलपति और पूरे विश्वविद्यालय परिवार को उनकी प्रतिबद्धता के लिए हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूँ और विश्वविद्यालय तथा सभी छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
    जय हिन्द-जय हरियाणा!