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    तीज उत्सव

    Publish Date: जुलाई 29, 2022

    आदरणीया श्रीमती कमलेश ढांडा जी, राज्यमंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा
    श्री लीला राम गुर्जर जी, विधायक कैथल
    श्रीमती रंजीता मेहता जी, महासचिव, हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद
    श्रीमती संगीता तेतरवाल जी, उपायुक्त, कैथल
    श्रीमती सुमन सैणी जी
    उपस्थित सभी महानुभाव, देवीयों, सज्जनों व मीडिया के बन्धुओं।
    मैं सर्वपथम सभी प्रदेशवासियों को हरियाली तीज महोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ और ईश्वर से कामना करता हॅंू कि यह पर्व सभी के जीवन में सुख, शान्ति, समृद्धि, खुशहाली एवं प्रगति लेकर आए। आज हम सब तीज उत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं इसके लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करता हॅू।
    ‘‘आते हैं त्यौहार सब लेकर साथ उमंग
    भर देते है मनुष्य में इन्द्रधनुष के रंग‘‘

    जीवन में जोश, उल्लास, उत्साह पैदा करने में उत्सवों, त्यौहारों का अपना महत्व है। त्यौहार नीरसता को खत्म कर मनुष्य के जीवन में खुशी भर देते हैं, फिर हम सभी जीवन में जुनुन के साथ आगे बढ़ते है।
    भारत वर्ष में विभिन्न ऋतुओं, मौसमों और संस्कृति व धर्मों से जुड़े शुभ अवसरों पर पर्व, उत्सव व त्यौहार मनाए जाते हैं। इसीे कारण से भारतीय संस्कृति विश्व की सिरमौर संस्कृति कहलाती है।
    भारत वर्ष अनेक धर्मो समुदायों का देश है। यहां अनेक प्रकार की संस्कृति विकसित हुई हैं। देश में अलग-अलग प्रकार की वेशभूषा, भाषाएं, बोलियां और कलाएं देखने को मिलती हैं। फिर भी हमारा देश अनेकता में एकता संजोए हुए है। आज दूसरे देशों के लोग भारत की परंपराओं, पर्वों को जानने की इच्छा रखते हैं कि किस तरह ये यहाँ सभी समुदाओं के लोग मिलजुलकर त्यौहार मनाते है।
    सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के लोग एक दूसरे धर्म का सम्मान करते है और लोग एक दूसरे के त्यौहारों का हिस्सा बनते हैं। देश में अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे होली, दीपावली, रक्षाबंधन, महावीर जयंती, नवरात्रि, दशहरा आदि सभी त्योहारों का अपना अलग ही माहौल महत्व और रंग होता है।
    विशेष कर सावन मास को पर्वो के मास के रूप में जाना जाता है। इस मास में विभिन्न राज्यों में दर्जनों त्यौहार मनाएं जाते है जैसे केरल में ओणम, हिमाचल प्रदेश में मिजन मेला, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश में बोनालु आदि ये सभी त्यौहार पुरी में भगवान जगन्ननाथ रथ यात्रा से शुरू होते है।
    उत्तर भारत में इस मास का तीज उत्सव एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। भारतीय संस्कृति में हरियाली तीज का अपना महत्व है। हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। श्रावण मास त्यौहारों के शुभारम्भ का मास होता है।
    यह उत्सव विशेष रूप से महिलाओं का उत्सव है। वृक्षों पर झूले पड़ जाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाते हैं। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत महत्व रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
    भाईयों – बहनों !
    कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों वर्षो की साधना के पश्चात भगवान शिव से मिली थी। यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया फिर भी माता को पति के रूप में शिव प्राप्त न हो सके। 108वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हो सके। तभी से तीज व्रत का आरम्भ हुआ और त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।
    हरियाली तीज के दिन सुहागन स्त्रियां हरे रंग का श्रृंगार करती है। इसके पीछे धार्मिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी सम्मिलित है। हरा रंग खुशहाली, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दे।
    हरियाणा सरकार द्वारा तीज त्योहारों व उत्सवों में और मिठास घोलने तथा त्योहारी संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न अवसरों का बड़े आयोजन किए जाते है और ये उत्सव राज्य स्तर पर मनाएं जाते है।
    इसी उद्देश्य से इस वर्ष शिक्षा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने व विकसित करने के लिए बजट में 20 हजार करोड़ से भी अधिक का प्रावधान किया है। खेल और शिक्षा विभाग से समन्वय कर संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें केन्द्र सरकार का विशेष सहयोग मिल रहा है। प्रदेश में कुरूक्षेत्र को एक मुख्य पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय से 100 करोड़ से भी अधिक की राशि की स्वीकृति प्राप्त हुई है । इसमें से सतत्तर करोड़ सतासी लाख रू0 की राशि, सूचना केंद्र, गैजिबो, पार्किंग, साईने बोर्डो, बेंचों, प्रकाश व्यवस्था, शौचालयों, और घाटे के सौन्दर्यकरण व निर्माण इत्यादि पर खर्च की जा रही है।
    इसी प्रकार से बावन करोड़ बत्तीस लाख रू0 की एक डी0पी0आर0 (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) सरस्वती उद्गम स्थल ‘‘आदि बद्री‘‘ के विकास हेतू मामला पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा गया है। जिसकी शीघ्र ही स्वीकृति मिलने की सम्भावना है।
    इसके साथ-साथ पंचकूला को टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने के लिए टिकरताल, मोरनी हिल्स को साहसिक खेल गतिविधियॉं जैसे पैरासेलिंग, पैरामोटर और जैट स्कूटर जैसी ऐरो स्पोर्ट्स और वॉटर स्पोर्ट्स जैसी गतिविधयां व्यावसायिक रूप से शुरू की गई है ।
    इसके अतिरिक्त कृष्णा सर्किट परियोजना-प्प् की सतानवें करोड़ रूपये की क्च्त् भारत सरकार को स्वीकृति हेतू भेजी जा चुकी है।
    इस प्रकार से आने वाले समय में हरियाणा एक सांस्कृति, आध्यात्मिक पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित होगा जहां प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटक पहुचेंगें। देश में उत्सव संस्कृति को बढ़ावा देकर ही पर्यटक संस्कृति को बढ़ाया जा सकता है। इसलिए मेरी आप सभी से अपील है कि आप पूरे जोश, उत्साह के साथ मिलजुल कर त्योहारों को मनाएं जिससे अन्य देशों में देश की संस्कृति का प्रचार प्रसार होगा। एक बार फिर मै आपको और सभी प्रदेश वासियों को तीज-उत्सव की शुभकामनाएॅं देता हॅॅॅू।
    जय हिन्द!