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    जिला झज्जर के गुरुकुल एवं संग्रहालय का दौरा कार्यक्रम

    Publish Date: जून 28, 2023

    उपस्थित ब्रहमचारीगण, जिले के अधिकारीगण, गणमान्य महानुभाव, प्रशिक्षकगण और मेरे प्यारे बच्चों, अभिभावकगण, पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं।
    मुझे गर्व है कि मुझे आज जिला झज्जर के प्राचीन एवं पावन गुरुकुल महाविद्यालय एवं पुरातत्व संग्रहालय में आने का और प्राचीन धरोहर की बहुमूल्य वस्तुओं के बारे में जानकारी तथा देखने का सौभाग्य मिला है।
    सबसे पहले में इस पावन स्थल पर स्वामी दयानंद सरस्वती जी के इलावा गुरुकुल के संस्थापक और संचालक रहे स्वामी श्रद्धानंद जी, स्वामी शीतलानंद जी, स्वामी परमानन्द, स्वामी ब्रम्हानंद और आचार्य भगवान देव जी को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करूंगा तथा आप सब से विशेषकर युवाओं से अनुरोध करुंगा कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर और उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाकर समाज को नयी दिशा देने के लिए आगे आये।
    आज मैं उस महान दानवीर पंडित विशम्भर जी को भी नमन करना चाहूंगा जिन्होंनेे वर्ष 1916 में अपनी 138 बीघा भूमि दान देकर स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा गुरुकुल झज्जर की आधारशिला रखवाई। निःसंदेह ऐसे महान लोगों से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की प्रगति में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
    गुरुकुल में स्वामी दयानंद सरस्वती जी के विचारों और सिद्धांतों के साथ आर्य समाज का प्रचार करना, गायों की सेवा के लिए गौशालाओं की स्थापना के साथ साथ ब्रहमचार्य शिक्षण शिविर लगा कर नवयुवको को चरित्रवान बनाना, चिकित्सा के द्वारा रोगियों की सेवा करना, कुरीतियों का निवारण करना जैसे अनेकों समाज सुधारक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जोकि सरहानीय कार्य है।
    हम सब जानते है कि गुरूकुल को वैदिक शिक्षा व भारतीय संस्कृति के प्राण कहे जाने वाले सुसंस्कारों का प्रचार प्रसार और बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया जाता है। यह हम सब के लिए बड़े गर्व की बात है कि गुरुकुल, झज्जर से स्नातक किए हुए विद्यार्थी देश प्रदेश में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि में संस्कृत और इतिहास के अध्यापक, प्रवक्ता, विभागाध्यक्ष आदि बनते रहे है और अब भी है। राजनीति और प्रशासनिक दृष्टि से भी गुरूकुल के स्नातक विधायक, सांसद मन्त्री और आई०पी०एस० अधिवक्ता आदि भी बने है।
    हमें वास्तव में वर्तमान चुनौतियों जैसे भ्रष्टाचार, कन्याभ्रूण हत्या, साम्प्रदायिकता, आतंकवाद आदि के खिलाफ लड़ने के लिए सक्षम नागरिक बनना है तो हमें गुरूकुलों की शरण में जाना होगा। ताकि हम अपने टूटते पारम्परिक मूल्यों, माता-पिता व बुजुर्गों की अवहेलना तथा समाज में अभिशाप बन चुकी अनेको बुराईयों को वरदान मंे बदल सके।
    अंत में मैं सभी को एक बार फिर धन्यवाद देता हूँ और सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि यह गुरूकुल भारतीय समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

    जयहिन्द !