जल संरक्षण प्रबन्धन एवं महा जल मेला, राष्ट्रीय सम्मेेेेेेेलन
श्री गोपाल आर्य जी, राष्ट्रीय संयोजक, पर्यावरण विभाग, आरएसएस
डा0 वसंथा लक्ष्मी रवि कुमार, चैयरपर्सन, वीएलसी ट्रस्ट एवं अनुसंधान केन्द्र
उपस्थित सभी महानुभाव, भाईयों-बहनों, मीडिया के बंधुओं!
मैं वीएलसी ट्रस्ट एंड रिसर्च सेंटर की चैयरपर्सन डा0 वसंथा लक्ष्मी और उनकी पूरी टीम को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बाईस प्रदेशों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली जल चेतना यात्रा के आयोजन के लिए तहे दिल से धन्यवाद देता हूं।
आज जल संरक्षण की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है – यह एक अति महत्वपूर्ण सवाल है। क्या हमनें जल के सदुपयोग के लिए उच्चतम आचरण का त्याग कर दिया है। जिस प्रकार से जल का स्तर गिर रहा है, उसके बारे में हमारा प्रयास कितना सार्थक और कारगर साबित हो रहा है, यह एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने है। जल प्रदूषण भी एक विकट समस्या का रूप ले चुका है।
भाईयों और बहनों!
कृषि में जल के सदुपयोग को लेकर हमारे मन में कोई दुविधा नहीं है परन्तु जिस प्रकार से जल का दुरूपयोग हो रहा है, वह हमारे लिए निश्चित रूप से चिन्ता का विषय है। इसके लिए हमें पानी के अनुकूल फसलों को उगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने की जरूरत है जिसमें पानी का ईष्टतम उपयोग हो।
जल सुरक्षा हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत में जल सुरक्षा के मुद्दों के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन की महत्वकांक्षी योजना के कदम उठा रही है। इसके साथ ही कृषि के लिए कुशल सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए हैं। भूजल प्रबंधन और जल निकायों के कायाकल्प के लिए अटल भूजल जल संरक्षण योजना भी कारगर कदम साबित होगी।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी के नेतृत्व में हरियाणा सरकार भी स्थायी जल सुरक्षा के क्षेत्र में अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। इन कार्यक्रमों में मेरा पानी, मेरी विरासत पहल के तहत किसानों का एक बड़ा हिस्सा जल-गहन धान की खेती से कम पानी-गहन खेती की ओर स्थानांतरित हो गया है, जिससे भारी मात्रा में पानी की बचत हुई है।
प्रदेश सरकार ने राज्य में भूजल के व्यापक प्रबंधन और विकास के लिए हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण और हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण भी स्थापित किया है। हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण राज्य में आठ हजार से अधिक पारंपरिक जल निकायों के कायाकल्प के मिशन पर काम कर रहा है, जो स्थानीय समुदायों के साथ-साथ पूरे राज्य में भूजल पुनर्भरण के लिए एक बड़ा कदम होगा।
मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने अब तक उद्योग, बुनियादी ढांचे और खनन के क्षेत्रों के लगभग चौदह सौ बत्तीस आवेदकों को वर्षा जल संचयन और गैर-पीने योग्य उपयोग के लिए उपचारित अपशिष्ट जल के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करके जल संरक्षण और भूजल के पुनर्भरण की शर्त के साथ अनुमति प्रदान की है और राजस्व के रूप में पैसठ करोड़ रुपए जमा करवा दिए हैं।
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने सिंचाई और जल संसाधन विभाग को जल संरक्षण योजनाओं, जल निकायों और अभिनव परियोजनाओं के लिए उनसठ करोड़ पचहतर लाख रूपए कीे मंजूरी दी है और शिक्षा विभाग को हरियाणा राज्य के स्कूलों में वर्षा जल संचयन संरचनाओं के लिए मंजूरी दी है।
यहां यह बताना उचित होगा कि गन्ने की फसल में काफी अधिक मात्रा में पानी का प्रयोग होता है और इस फसल के लिए सूक्ष्म सिंचाई को अपनाने बारे अधिक किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सहकारिता विभाग और माइकाडा के बीच समन्वय प्रयास किए गए। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुखों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए कि अगले पांच सालों में गन्ने में सूक्ष्म सिंचाई को शत-प्रतिशत अपनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश की सभी सहकारी एवं निजी चीनी मिलों में स्टाल लगाकर किसानों को गन्ने में सूक्ष्म सिंचाई अपनाने के लिए जागरूक किया जाए।
यहां यह भी बताया जाता है कि हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तालाबों में बहने वाले अपशिष्ट जल को Constructed Wetland Technologies के माध्यम से उपचारित किया जा रहा है, ताकि इन जीर्णोंद्धार किए गए तालाबों के जल का उपयोग मछली पालन, मवेशियों के उपयोग के साथ-साथ सूक्ष्म सिंचाई के लिए किया जा सके। प्राधिकरण ने अतिप्रवाहित तालाबों सहित सभी प्रदूषित तालाबों के जीर्णोंद्धार की कार्य योजना तैयार की है।
मिशन अमृत सरोवर के अनुसार बारह सौ चौहतर तालाबों को अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत चिन्हित किया गया है, जिसमें बारह सौ इकत्तीस ग्रामीण व तैतालीस शहरी तालाब शामिल है। कुल बारह सौ चौहतर में से दो सौ सतानवे तालाबों के जीर्णोंद्धार का कार्य पूर्ण हो चुका है, इसके अतिरिक्त मनरेगा योजना के तहत तैरह सौ पचास चिन्हित तालाबों का जीर्णोंद्धार किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें से सात सौ छब्बीस तालाबों का जीर्णोंद्धार किया जा चुका है और शेष बचे तालाबों के कार्य पंद्रह अगस्त दो हजार तेईस तक संपन्न हो जाने की संभावना है।
अब तक दो हजार आठ सौ तैरह गांवों के पांच हजार चार सौ अठानवे तालाब विभिन्न चरणों के तहत विभिन्न योजनाओं में अगले तीन वर्षों के लिए चिन्हित किय जा चुके हैं। इनमें से पांच सौ सतारह गांवों में ग्यारह सौ दो तालाबों को हरियाणा जल संसाधन के द्वारा चिन्हित किया जा चुका है।
अब तक संपन्न किए जा चुके तालाबों में लगभग चौंतीस प्रतिशत तक जल धारण क्षमता में वृद्धि हुई है, इसके अतिरिक्त निरंतर गिरते जा रहे भूजल स्तर में सुधार व तालाबों के आसपास का वातावरण स्वच्छ बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
मुझे विश्वास है कि हरियाणा प्रदेश अपने लोगों के लिए जल सुरक्षा प्राप्त करने में नवाचारों और जमीनी कार्यान्वयन में एक प्रकाशस्तंभ बनेगा। जल धन पहल सहयोगी पहलों के लिए बड़े पैमाने पर सरकारों, निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों, मीडिया और जनता को विभिन्न प्लेटफार्मों पर प्रेरित करेगी और साथ लाएगी।
मुझे उम्मीद है कि यह पहल सभी हितधारकों को सभी के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के महान लक्ष्य की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
मैं पुनः सभी प्रतिभागियों से अनुरोध करता हूं कि जल धन यात्रा के माध्यम से हम पानी को बचाने, पानी के विवेकपूर्ण उपयोग करने और बरसात के पानी को संरक्षित करने तथा उपयोग किए हुए पानी को रीसाईकिल और रीयूज कर जल संरक्षण के प्रति जन सामान्य को निरन्तर जागरूक करते रहेंगें।
जय हिन्द।