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    चौ0 रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद का तृतीय दीक्षांत समारोह

    Publish Date: अप्रैल 11, 2023

    श्री रमेश कौशिक जी, सांसद, सोनीपत
    श्री कृष्ण मिड्डा जी, विधायक, जींद
    श्री अमरजीत ढांडा जी, विधायक, जुलाना
    डा0 रणपाल सिंह जी, कुलपति, चौ0 रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद
    प्रो0 दिनेश कुमार जी, कुलपति, गुरूग्राम विश्वविद्यालय
    प्रो0 सुदेश जी, कुलपति, बीपीएस, खानपुर
    प्रो0 एस.के सिंहा जी, डीन अकादमीक अफेयर्स
    प्रो0 श्रीमती लवलीन मोहन जी, कुलसचिव, चौ0 रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद
    उपस्थित शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, महानुभाव, प्रिय छात्रों व मीडिया के बंधुओं!
    इस विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में नवीन उर्जा से सरोबार नई पीढ़ी के बीच आकर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। तृतीय दीक्षान्त समारोह विश्वविद्यालय परिवार के लिए बड़े आत्मसम्मान और गौरव का विषय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना चौबीस जुलाई दो हजार चौदह में हुई थी। मैं पूरे विश्वविद्यालय परिवार को इस अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हॅूँ।
    जुलाई दो हजार चौदह से पहले यहां कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय का क्षेत्रीय केन्द्र था जो अगस्त दो हजार सात में बना था। उससे भी पहले यहां राजकीय महाविद्यालय था। आज जिस विकसित हरियाणा को हम देख रहे हैं उसे बनाने में यहां के ऐसे महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की बड़ी भूमिका रही है। उनके ही अथक प्रयासों का परिणाम है कि आज हरियाणा में पुरुषों की साक्षरता दर चौरासी प्रतिशत से अधिक है व महिलाओं की साक्षरता छियासठ प्रतिशत है। इस तरह उन्नीस सौ ईकतहर में एक चौथाई साक्षर आबादी वाला राज्य अब तीन-चौथाई से भी ज्यादा प्रतिशत पढ़े-लिखे लोगों का प्रदेश है।
    चौ0 रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में वाणिज्य, प्रबंधन, मानविकी, भौतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, शिक्षा, भारतीय अध्ययन, कानून, कम्प्यूटर विज्ञान और योग विज्ञान सहित प्रमुख विषयों को कवर करने वाले ईक्कीस स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। बहुत कम समय मेें, विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों का एक केन्द्र बन गया है जो हर साल शिक्षा, राज्य प्रशासन और उद्योगों के विशेषज्ञों को आकर्षित करता है।
    चौ0 रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-दो हजार बीस के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रमों की शुरूआत की है। विश्वविद्यालय ने दो स्नातक कोर्स शुरू किए हैं, जिनमें एक ठठ। से शुरू होते हैं और व्यवसाय के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान व कौशल प्रदान करता है। दूसरा कोर्स ठण्ब्वउण् है जो कई आयात और निर्यात विकल्पांे की प्रस्तृत करता है। विश्वविद्यालय में वर्तमान समय में ‘संचार कौशल’ व ष्ळैज्ष् में तीन महीने का कोर्स सर्टिफिकेट सहित व ‘फोटोग्राफी एंड फिल्म मेकिंग में छः महीने का कोर्स और ‘गाइडेन्स व काउंसलिंग’ में एक साल का कोर्स उपलब्ध है।
    मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय ने अपनी अकादमिक उपलब्धियों के साथ-साथ रिसर्च और इनोवेशन में भी काफी काम किया है तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। विश्वविद्यालय की सैंट्रल लाईब्रेरी में सोलह हजार पुस्तकों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकों का भंडार है। सूचना प्रोद्यौगिकी की गति को बढ़ावा देने के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा चौबीसों घंटे प्रदान करवाई जाती है।
    आज यहां उपस्थित युवाओं में भी मुझे भारत के उज्ज्वल भविष्य की तस्वीर दिखाई दे रही है। युवा वर्ग देश का भविष्य होने के साथ-साथ हमारे देश के विकास का महत्वपूर्ण कारक है। भारत में युवाओं की संख्या अन्य देशों से अधिक है। हमारी लगभग पैसठ प्रतिशत जनसंख्या की आयु पैतीस वर्ष से कम है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। यहां के लगभग साठ करोड़ लोग पच्चीस से तीस वर्ष के हैं। यह स्थिति वर्ष दो हजार पैतालीस तक बनी रहेगी। अपनी बड़ी युवा जनसंख्या के साथ भारत की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाई पर जा सकती है।
    युवा देश की उर्जा हैं तथा इन्हें देश की उन्नति हेतु कार्य करने को प्रेरित किया जाना अति आवश्यक है। सरकार का पूरा ध्यान युवाओं के माध्यम से विकास लाने पर केन्द्रित है। उसके अनुसार युवा देश के विकास के लिए अपना सक्रिय योगदान प्रदान करें न कि केवल उसका एक हिस्सा बनकर रह जाएँ। शिक्षण संस्थानों का भी कर्त्तव्य है कि वे देश की इस अपार ऊर्जा को सही राह दिखाते हुए वर्तमान युग की जरूरतों के अनुकूल दक्षता प्रदान करें।
    इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-दो हजार बीस लागू की गई है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी के कुशल नेतृत्व में हरियाणा ने इसे वर्ष दो हजार तीस तक पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में काफी तेजी से काम हो रहा है।
    जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मनुष्य के पास सभी जीवों में श्रेष्ठ चेतना है और वह अपनी बुद्धि के द्वारा चेतना का विकास करते हुए निरंतर प्रगति करता है। इसलिए हमारी शिक्षा प्रणाली का मूल उद्देश्य इस चेतना को अपनी बु़ि़द्ध द्वारा संस्कारित और परिष्कृत करने से है।
    इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय मूल्य और संस्कृति दुनिया में सर्वश्रेष्ठ रहे हैं और आज का भारत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आत्मविश्वास, स्वाभिमान और स्वदेशी की भावना से अपने मूल्यों और संस्कृति के प्रति ओत-प्रोत हैं। हम केवल क्लर्क पैदा करने वाले विदेशी मैकाले के दौर को पीछे छोड़ आए हैं। हमने अपनी नई शिक्षा नीति में स्वदेशी जड़ों को सार्वभौमिक वातावरण के अनुसार मजबूती से स्थापित कर अपने युवाओं के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया है।
    वास्तव में, असली शिक्षा और विद्या वह होती है जो हमारी चेतना को निर्मल बनाती है, हमारे चरित्र को शुद्ध करती है, नैतिकता और आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ाती है, राष्ट्र सेवा और मानवमात्र की सेवा के प्रति तीव्रता के साथ उन्मुख करती है।
    इस भावना के साकारात्मक परिणाम भी समाज में देखने को मिल रहे हैं। आज विद्यार्थियों के मन में पिछले दशकों की तुलना में भारतीय मूल्यों और संस्कृति के साथ ही स्वदेशी तकनीक को अपनाने की भावना बलवती होती जा रही है।
    यह शिक्षा नीति एक महायज्ञ है जिससे नए देश की नींव रखी जाएगी। इससे पूर्व हमारी शिक्षा व्यवस्था में ‘‘क्या सोचना है‘‘ पर ध्यान केंद्रित रहा। नई शिक्षा नीति में ‘‘कैसे सोचना है‘‘ पर बल दिया गया है। इस शिक्षा नीति से एक नया ग्लोबल स्टैंडर्ड तय हो रहा है और उस हिसाब से भारत की शिक्षा नीति में बदलाव किया जाना बहुत जरूरी था।

    मैं यहां बताना चाहता हूं कि बीते अनेक वर्षों से देश की शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। इसका परिणाम यह हुआ कि समाज में जिज्ञासा और कल्पना शक्ति को आगे बढ़ाने की बजाए भेड़चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारत का विद्यार्थी चाहे वह नर्सरी कक्षा में हो या ही कालेज में, अब वैज्ञानिक के तरीके से पढ़ेगा, तेजी से बदलते हुए समय और जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा और वह राष्ट्र निर्माण में भी रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
    हमारी शिक्षा नीति से अपना पैशन फालो करने वाले छात्रों को बहुत अधिक लाभ होगा। इससे छात्रों के भीतर की Imagination] Creative Thinking को बहुत अधिक बढ़ावा मिलेगा व शिक्षा में उत्साह की भावना विद्यमान रहेगी।

    हमारी प्राचीन शिक्षा और प्राचीन शिक्षा केन्द्र इन्हीं आशयों को लेकर चलते थे। अपने विद्यार्थियों को शिक्षा के इन्हीं लक्ष्यों की ओर उन्मुख करते थे, तभी भारत वर्ष ‘विश्वगुरु’ कहलाता था। यहाँ के नालन्दा, तक्षशिला-जैसे विद्या केन्द्रों में दुनिया भर से छात्र अध्ययन के लिए अपने जीवन के निर्माण के लिए आते थे और ज्ञान के प्रकाश को लेकर अपने देश और समाज के पुनर्निर्माण के लिए वापस जाते थे। नई शिक्षा नीति की बदौलत हम भारत का प्राचीन वैभव फिर से लेकर आएंगे।
    हरियाणा के राज्यपाल और प्रदेश के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होने के नाते मुझे सभी विश्वविद्यालयों में जाने का अवसर प्राप्त होता है और आज मुझे हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने वाले जींद जैसे ग्रामीण आंचल के इन विद्यार्थियों के बीच आने का मौका मिला।
    इन सभी विद्यार्थियों में मुझे महान वैज्ञानिकों प्रो0 जगदीश चंद्र बसु, डा0 चंद्रशेखर वेंकटरमन, डा0 हरगोविंद खुराना, डा0 होमी जहांगीर भाभा, डा0 विक्रम साराभाई, डा0 ए.पी.जे अब्दुल कलाम और विश्व की Google और Microsoft जैसी प्रख्यात कंपनियों के CEO’s सुंदर पिचाई और सत्य नाडेला और Word Bank के चैयरमेन के लिए Nominated अजयपाल सिंह बंगा की छवि दिखाई देती है और मुझे पूरा विश्वास है कि वे इन महापुरूषों से भी अधिक ऊंचाईयां प्राप्त कर जींद और हरियाणा और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगे। आपको केवल इन्हें अपनी बुद्धि और ज्ञान के द्वारा तराशने की जरूरत है।
    अन्त मंे मैं इस ऐतिहासिक दिवस पर आज उपाधियां हासिल करने वाले सभी विद्यार्थियों को पुनः बधाई देता हूं तथा आपके शानदार उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। आप दृढ़ आत्मविश्वास, पक्के इरादे और सत्त परिश्रम के साथ आगे बढ़ें, सफलता निश्चत रूप से आपके चरण चूमेगी।
    मुझे विश्वास है कि आप वैश्वीकरण के इस युग मंे सफल विश्व नागरिक बनकर उभरेंगे। मेरा आशीर्वाद और शुभकामनाएं हर कदम पर आप के साथ रहेंगे। मैं गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा प्रदान करने के मिशन में चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय की सफलता और इसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
    जयहिन्द!