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    कौशलता प्रदर्शनी व कार्यशाला, पानीपत

    Publish Date: अक्टूबर 31, 2022

    डा0 बिश्वजीत साहा जी, निदेशक, कौशल शिक्षा, सी.बी.एस.ई.
    सुश्री शिवानी कन्दौला जी प्राचार्या, एस.डी विद्या मंदिर, पानीपत
    सम्मानित शिक्षकगण, विभिन्न कम्पनियों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि, महानुभाव, प्रिय छात्रों, मीडिया के बंधुओं!
    आज एक ऐसे विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जो समय की जरूरत है। मैं इस कार्यशाला में पहुंचकर बहुत ही खुशी महसूस कर रहा हुं। साथ ही साथ इस आयोजन के लिए आयोजकों और आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    प्राचीन काल में भारत वर्ष हुनर और कला में दक्ष था। देश में बने विभिन्न शैलियों, वास्तुकलाओं में बने प्राचीन मंदिर, नालंदा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय इसका प्रमाण हैं। ये हुनर और कला गांव स्तर पर होती थी। किसी भी मनुष्य को जीवन की आवश्यकताओं के लिए शहर नहीं आना पड़ता था। हर प्रकार का व्यवसाय गांव में परम्परागत रूप से होता था। देश में लंबे समय तक विदेशी शासन के चलते धीरे-धीरे यह हुनर लुप्त प्राय सा हो गया। अंग्रेजी शासन में भारत में विदेशों में बना विदेशी समान आयात होने लगा। इस प्रकार से हमारा हुनर व कौशल भी बीते जमाने की बात होने लगा।
    आज सर्वविदित है कि कौशल और हुनर के बिना कोई भी देश प्रगति नही कर सकता। जिस देश के पास कौशल है वहां व्यापार, रोजगार आदि की कोई समस्या नहीं हो सकती। आज के वैश्विक परिवेश में कौशलता में महत्व को समझते हुए केन्द्र सरकार ने कौशलता को आगे बढ़ने का बीड़ा उठाया है।
    मुझे पता चला है कि सी.बी.एस.ई ने कौशलता के लिए देश में जागरूकता अभियान चलाया हुआ है। युवा इस कार्यक्रम की ओर आकर्षित हो कर रूचि दिखा रहें हैं। हमारे युवा कुशल होंगे तो वे अपना रोजगार करने के साथ दूसरे युवाओं को भी रोजगार दे पाएगंे।
    भाईयों-बहनों!
    हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार भारत के कुल कार्यबल का अढ़ाई प्रतिशत हिस्सा ही औपचारिक कौशल प्राप्त है। जबकि यही आंकड़ा ब्रिटेन में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत, अमेरिका में 52 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत तथा दक्षिण कोरिया में 96 प्रतिशत है। आज हमारे देश में खाली पड़ी रिक्तियों का भी सही कारण है कि हमारे पास कौशल व प्रशिक्षण की कमी है। आज देश में लगभग 8 प्रतिशत युवा ही औपचारिक या अनौपचारिक रूप से कौशल युक्त हैं।
    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कौशलता के महत्व को समझते हुए कौशल विकास उद्यमिता मंत्रालय का गठन कर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए। केन्द्र सरकार द्वारा देश में केवल कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के लिए 3000 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान किया गया। इसके साथ राज्य और अन्य मंत्रालयों को कौशलता व प्रशिक्षण पर खर्च करने के विशेष अधिकार भी दिए गए हैं। प्रधानमंत्री जी ने कौशलता से जुड़े हर विभाग और विश्वविद्यालयों व संस्थानों के लिए कौशल प्रशिक्षण का लक्ष्य तय किया, जिसकी बदौलत आज देश कौशल अभियान सफलता पूर्वक चल रहा है।
    इस समय देश में अढ़ाई हजार कौशल भारत केन्द्र तथा लगभग 1500 प्रशिक्षण केन्द्र हैं, जहां तीन दर्जन से भी अधिक ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें परिवहन, भंडारण, कपड़ा-वस्त्र, शिक्षा, कौशल विकास, हथकरघा, हस्तशिल्प, ऑटो, ऑटो घटक, निजी सुरक्षा सेवाएं, खाद्य प्रसंस्करण, घरेलू मदद, पर्यटन, आतिथ्य और यात्रा, रत्न, आभूषण, सौंदर्य, कल्याण, बैंकिंग, डिजिटल मोड्स, वित्तीय सेवाओं, बीमा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, मीडिया और मनोरंजन आदि क्षेत्र शामिल हैं। केन्द्र सरकार का प्रयास है कि भारत शीघ्र ही कौशल का हब बन पाएगा। इन विभिन्न कार्यक्रमों के तहत वर्तमान सरकार के कार्यकाल में लगभग साढ़े 6 करोड़ से भी अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।
    खुशी की बात है कि 22 अक्तुबर को धनतेरस पर्व पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 10 लाख युवाओं के लिए भर्ती अभियान की शुरूआत की है। उसी दिन 75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे भी गए हैं। केन्द्र सरकार दिसम्बर 2023 तक 10 लाख युवाओं को रोजगार देगी।
    हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भविष्य की जरूरतों, रोजगार व प्रशिक्षण के अनुरूप तैयार की गई है। प्रारम्भिक स्तर में ही व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से कौशलता की कमी पूरी करने के लिए प्रभावी प्रयास किए गए हैं। दस जमा दो की शिक्षा पूरी करने से पहले प्रत्येक छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रम पूरा करेगा। व्यवसायिक व प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से 2025 तक, 2.23 करोड़ नए रोजगार सृजित होंगे। हमारे युवा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रियल टाइम एनालिटिक्स, 5जी आदि के क्षेत्र में काम करने में कौशलता से लैस होंगे। इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर दिया है।
    चूंकि कौशल से रोजगार का रास्ता निकलता है। कौशल युवाओं के लिए अपनी आजीविका अर्जित करने और उनकी आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन है। कौशलता के क्षेत्र में हरियाणा ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए केन्द्र की सहायता से 1100 करोड़ रू से अधिक की राशि से पलवल में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय भी स्थापित किया है। यह देश का अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है।
    मित्रों!
    केवल सेवा क्षेत्र ही विकास और रोजगार की आशा का एकमात्र अग्रदूत नहीं हो सकता है। सेवा क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। विनिर्माण क्षेत्र में अधिक से अधिक कौशल संचालित रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है। IoT, AI, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA), एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी, ब्लॉकचैन, साइबर सिक्योरिटी और स्पेस टेक्नोलॉजी को भी स्कूल, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ने की जरूरत है, तभी हमारे विद्यार्थी कौशलयुक्त हो पाएगें और इनके लिए रोजगार पाने व स्थापित करने की अपार संभावनाएं होंगी।
    सी.बी.एस.ई द्वारा आज पूरे देश भर में कौशलता से संबंधित प्रदर्शनी व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना युवाहित व देशहित में बड़ा कदम है। मैं आज के इस आयोजन के लिए आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई देता हुं। मुझे विश्वास है कि ये कार्यशाला युवाओं के भविष्य को उज्जवल बनाने में बेहतर सार्थक सिद्ध होगी। पुनः आप सभी का धन्यवाद।
    जय हिन्द!