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    किसान दिवस

    Publish Date: दिसम्बर 23, 2021

    प्रोफेसर बलदेव राज काम्बोज जी, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,
    विशिष्ट अतिथिगण, प्रबन्धक मण्डल के सदस्य, जिला के प्रशासनिक अधिकारीगण, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण एवं वैज्ञानिकगण, प्रेस व मीडिया के बन्धुगण, प्रदेशभर से आए सम्मानित किसान भाइयो एवं बहनों।
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    मुझे आज किसान दिवस के अवसर पर आप सब लोगों के बीच आकर अपार प्रसन्नता हो रही है। मैं देश और प्रदेश के सभी किसान भाईयो को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। यह दिन देश में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जा रहा है। मैं चौ. चरण सिंह करे श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए नमन करता हूँ।
    चौधरी चरण सिंह एक साधारण किसान परिवार में जन्मे और भारत के प्रधानमंत्री बने। वे बचपन से ही किसानों के प्रति सांमती और सरकार के शोषण से परिचित थे। चौधरी साहब ने 28 जुलाई 1979 के भारत के 5वें प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उसी दिन इस देश के करोड़ों किसानों, दलितों और पिछड़ों में हर्ष की लहर दौड़ गई। किसानों को देश की सत्ता में भागीदारी का अहसास हुआ।
    33वें स्वतन्त्रता दिवस यानि 15 अगस्त 1979 को राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए चौ0 चरण सिंह ने कहा था-‘‘राष्ट्र तभी सम्पन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का विकास होगा तथा ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में हिजाफा होगा। चौ. चरण सिंह एक कुशल पखर राजनितिज्ञ वक्ता के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होनें ’इण्डियाज इकोनोमिक पोलिसी: गान्धीयन ब्ल्यू प्रिन्ट’ नाम की किताब लिखी जिसमें भारतीय अर्थ व्यवस्था में समस्याओं का गान्धीवादी नीति से समाधान सुझाया था।
    चौ. चरण सिंह जी राष्ट्रयिता महात्मा गांधी जी, स्वामी दयानन्द व सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारों से प्रभावित थे। इसलिए उन्होनें जीवन पर्यन्त ग्रामीण क्षेत्र व किसानों के कल्याण की वकालत की। उनके किसानों व ग्रामीणों के विकास के लिए कृषि क्षेत्र में किए गए योगदान को स्मरणीय बनाने के लिए हरियाणा कृषि विष्वविद्यालय, हिसार का नाम चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विष्वविद्यालय किया गया है ।
    आज से 2 दिन पश्चात 25 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपयी जी की जयंती है। मैं इस अवसर पर उन्हें भी अपनी ओर से नमन करता हूं। वाजपेयी जी के दिल में किसानों के प्रति बहुत ही आदर व स्नेह था और सदा किसानों के उत्थान के बारे में सोचते थे। उन्होंने किसानों को विज्ञान के साथ जोड़ने पर बल दिया और जय जवान, जय किसान के नारे को आगे बढ़ाते हुए जय जवान जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया।
    देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसी नारे में जय अनुसंधान को जोड़ते हुए रिसर्च एण्ड डेवलमैंट पर जोर दिया है। विशेषकर कृषि के क्षेत्र में सतत् विकास के लिए विकास और अनुसंधान की नई योजनाएं शुरू की है ताकि किसानों की आय में गुणात्मक हिजाफा हो। कोविड के समय जब जी0डी0पी0 में गिरावट आई थी उस समय कृृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत से भी अधिक की वृधि हुई थी । इसके साथ- साथ सबसे अधिक रोजगार भी कृृषि क्षेत्र से ही सृृजन हुआ है। इसी के महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, परम्परागत कृषि योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी कईं योजनाएं लागू कर कृृषि विकास को आगे बढ़ाया है। ताकि इस क्षेत्र में और अधिक विकास हो और खेती में नवीवीकरण आए तथा युवाओं को रोजगार मिलें।
    केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए 2021-22 के बजट में 1,31,531 करोड़ रूपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है, जो एक रिकॉर्ड है। साढ़े 19 लाख किसानों का हरियाणा में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत विगत दो साल में तीन हजार करोड़ रूपए की राशि प्रदान की गई है।
    हरियाणा सरकार ने भी केन्द्रीय योजनाओं के साथ-साथ किसान कल्याण की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया है। प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सिचाईं योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, आत्मा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन को सफल रूप से क्रियान्वित कर खाद्य उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि की है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के उदेश्य से प्रदेश में सायल हैल्थ कार्डयोजना शुरू की गई है । इस योजना के तहत 26605 किसानों को सायल हैल्थ कार्ड भी जारी किए जा चुके है। इन्हीं योजनाओं की बदौलत हरियाणा कृषि में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हुआ है। खरीफ सीजन में हरियाणा ने 60 लाख टन से भी अधिक धान का उत्पादन कर कुल केन्द्रिय पूल का 17 प्रतिशत से भी अधिक उत्पादन केन्द्र में दिया है।
    हरियाणा प्रदेश प्रारम्भ से ही किसानों एवं वीरों की भूमि रहा है। हरियाणा प्रदेश अस्तित्व में आने के समय अपनी खाद्यान्न जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाता था जबकि आज यह राष्ट्रीय खाद्यान्न भण्डारण में योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। इस समय खाद्यान्न उत्पादन में पंजाब के बाद दूसरे स्थान पर है। बाजरा एवं राया (सरसों) के उत्पादन तथा बासमती चावल के निर्यात में राज्य प्रथम स्थान पर है। दुग्ध उत्पादन में हरियाणा का देश में दूसरा स्थान है। प्रदेश में इस समय 1140 ग्राम प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति का दुग्ध उत्पादन हो रहा है।
    यह सब वैज्ञानिकों द्वारा अधिक उत्पादन वाली फसलों की किस्मों, नवप्रवर्तनशील किसानों के कठिन परिश्रम तथा संशोधित तकनीकों के कारण सम्भव हो पाया है। वैज्ञानिकों की मेहनत को सार्थक बनाने में किसानों की भी अहम भूमिका है। प्रदेश के किसानों ने भी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई अनुसंधान तकनीकों को अपने खेत में अपनाया जिसके कारण आज हम इस मुकाम तक पहुंचने में सफल हुए। इसके लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, प्रदेश के किसान एवं विद्यार्थी बधाई के पात्र हैं।
    आज कम खर्च में अधिक उत्पादन व किसान की आय बढ़ाना हमारे समक्ष एक अहम् मुद््दा है। हमें अपनी कृषि में लचीलापन लाने की भी आवश्यकता है जो कृृषि में बड़े स्तर पर नवीनीकरण द्वारा और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के सुधार खासकर मृदा एवं जल में संशोधन द्वारा सम्भव है।
    मैं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से आह्वान करता हूॅं कि वे ऐसी किस्में विकसित करें जिनमें पानी का कम-से-कम प्रयोग हो और उत्पादन अधिक हो। भारत सरकार एवं हरियाणा सरकार जल सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देने को प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य है – ‘हर खेत को पानी’। ‘हर बूंद से अधिकाधिक फसल’ यह हमारा मूल मंत्र होना चाहिए जिससे हर कृषक को जल संरक्षण का महत्त्व ज्ञात हो।
    किसान भाइयों से मेरा अनुरोध है कि आप बागवानी, सब्जियों की काश्त, डेयरी फार्मिंग, मुर्गीपालन, सुअर पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन तथा खुम्बी उत्पादन को अपनाएं। इसके लिए सरकार आपको हर तरह की सुविधाएं व रियायतें दे रही है।
    किसान भाईयों आप सभी कम पानी में उगने वाली फसले उगाएं तथा पारम्परिक व आरगैनिक खेती की तरफ रूझान पैदा करें जिसमें पैस्टिसाईड और रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग न करना पड़े । इसके लिए फसल चक्र भी अपनाना होगा।
    राज्य सरकार ने प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अगले 3 सालों में 1 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक व प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। इसके लिए किसानों को नर्सरी से सब्जियों की पौध व फलदार कलमी पौधे उपलब्ध कराने व उनकी पैदावार की ऑनलाइन बिक्री के लिए पोर्टल भी
    शुरू किया है। कृृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत सब्सिडी पर पौध भी उपलब्ध करवाई जा रही है। इस दिशा में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के परिसर व कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
    हरियाणा प्रदेश में महिलाओं का कृषि क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। वे किसान भाइयों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर हर कृषि कार्य में सहयोग देती हैं परन्तु निर्णय लेने, योजना बनाने व सम्पत्ति में उनकी भागीदारी बहुत कम है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया गया है।
    हमें अपने किसानों के उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में लाना होगा और इसके लिए उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाना होगा जिससे कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में हमारे देश के उत्पादों की मांग बढ़े। इसके लिए विश्वविद््यालयों में इन्क्यूबेशन सैन्टर स्थापित करने होगें।
    चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार एशिया का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय है। यह भारत में कृषि अनुसंधान में अग्रणी विश्वविद्यालय है जिसका 1960 और 1970 में देश में हरित क्रांति व सफेद क्रांति में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इस विश्वविद्यालय ने अपनी उपलब्धि के आधार पर समय-समय पर अनेकों अवार्ड प्राप्त किए हैं। यह विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान व विस्तार क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहा है।
    इस विश्वविद्यालय ने बहुत उल्लेखनीय काम किये हैं वर्तमान में भी विश्वविद्यालय किसानों की प्रगति के लिए अनेक योजनाओं पर काम कर रहा है जैसे पिछले दिनों ई-ट्रैक्टर तैयार करना, सचल मिट्टी व पानी जॉंच प्रयोगशाला, सचल बीज वितरण वाहन, सीड हब व मक्का निकालने वाली मशीन बनाना शामिल है।
    यह हम सबके लिए गर्व की बात है कि आपके विश्वविद्यालय में 20 देशों के छात्र गुणवत्तापूर्ण की शिक्षा प्राप्त कर रहे है । यह और भी खुशी की बात है कि विश्व के 22 विश्वविद्यालय शोध और विकास के कार्यो में विश्वविद्यालय का सहयोग कर रहे है।
    यह विश्वविद्यालय के लिए और भी हर्ष का विषय है कि अनुसंधान, शिक्षा और अन्य गतिविधियों पर दूसरे विश्वविद्यालयों में एम0ओ0यू कर अपने उत्पादों व अनुसन्धानों को पैंटेट करवा रहा है जिससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का लोकल से ग्लोबल का सपना साकार होगा।
    मैं आशा करता हूँ कि वैज्ञानिक नई-नई किस्मों व तकनीकों को विकसित करके किसानों की समस्याओं का समाधान करेंगे तथा उन्हें आर्थिक खुशहाली की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।
    मुझे विश्वास है कि इस किसान दिवस पर हमारे वैज्ञानिक और किसान कृषि से जुड़ी सभी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करके ऐसे सुझाव देंगे जो कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए ‘मील का पत्थर’ साबित होंगे।
    अन्त में, मैं किसान दिवस पर किसानों के हितैषी चौधरी चरण सिंह जी को उनके जयंती पर श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ। देश की प्रगति में चार चांद लगाने वाले सभी वैज्ञानिकों व किसानों को शुभकामनाएं देता हूँ।
    ।। जय हिन्द, जय हरियाणा जय किसान ।।