अटल काव्यांजलि कार्यक्रम, एन.डी.एम.सी. कनवैंशन हाल, नई दिल्ली
आदरणीय श्री आर.के.सिन्हा जी, पूर्व सांसद एवं अध्यक्ष, नीरज स्मृति न्यास
श्री रविन्द्र सिन्हा जी,
देशभर से आए सम्मानित कविजन साहेबान
उपस्थित अतिथिगण, श्रोताओं, भाईयों और बहनों !
मैं देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत माता के सच्चे सपूत भारत रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती की पूर्व संध्या पर आजादी के अमृत काल में आयोजित अटल काव्यांजलि के आयोजन में शामिल होकर बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
इस आयोजन में शामिल सभी सम्मानीय कविजनों का हार्दिक स्वागत करता हूं और इस भव्य आयोजन के लिए नीरज समृति न्यास के अध्यक्ष श्री आर के सिन्हा जी वह इनकी पूरी टीम को साधुवाद देता हूं।
देश के वीर शहीदों के नाम अटल जी की कविता हैः
दो वर्षों तक सड़े जेल में उनकी याद करें ।
जो फांसी पर चढ़े खेल में उनकी याद करें ।।
आज जरूरत है ऐसे कवि पाठ की जिससे हर भारतवासी का सीना चैड़ा हो और सभी देशसेवा के लिए समर्पित हों। नीरज स्मृति न्यास द्वारा आज अटल जी की जयंती की पूर्व संध्या पर काव्यांजलि कार्यक्रम आयोजित कर गरिमामय ढंग से उन्हें याद किया जा रहा है। ऐसे कार्यक्रमों से वर्तमान पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति का जज्बा पैदा होता है।
मैं देश के महान सपूत श्रद्धेय अटल जी को नमन करता हूं और श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। हमारे महापुरुषों को जयंती व पुण्यतिथि पर याद करना वर्तमान पीढ़ी को उनके आदर्शों व जीवन चरित्र से अवगत करवाना है ताकि हम सब उनके आदर्शों व जीवन मूल्यों को जीवन में उतार कर देश के नवनिर्माण में अपना योगदान दें।
आदरणीय वाजपेयी जी ने अपने पूरे जीवन में शांति, सह-अस्तित्व, करुणा, समानता, न्याय और बंधुत्व के आदर्शों का पालन किया। अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि, लेखक, पत्रकार, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी व बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह एक सच्चे राष्ट्रवादी थे और हमेशा राष्ट्रीय हित के लिए दलगत राजनीति से ऊँचे विचार रखते थे। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से जीवन के हर पहलु को छुआ जिससे उनका समृ़द्ध कवि हृदय परिलक्षित होता है।
भाईयों बहनों !
वे चाहे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में वे राष्ट्र हित के लिए सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। इसीलिए उन्हें भारतीय राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता है।
वाजपेयी जी ने 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और बलरामपुर से निर्वाचित हुए। उसके बाद राजनीति के क्षेत्र में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संसद में उनकी जीवंत और अर्थमयी तर्क-वितर्क और चर्चा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि ‘‘वाजपेयी जी एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेगें‘‘। 1980 में, वे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष बने।
राष्ट्रीय हित के मामलों में वे हमेशा आत्मविश्वास से भरे रहते थे। शायद यही एकमात्र कारण था कि जब 1998 में पोखरण-द्वितीय आयोजित किया गया था, तब वह अमेरिका और अन्य विकसित देशों के प्रतिबंधों के बावजूद कभी विचलित नहीं हुए। श्री वाजपेयी जी सदैव सुशासन के पैरोकार रहे हैं। कल पूरा देश उनके जन्म दिन को सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सुशासन के माध्यम से वाजपेयी जी के दृष्टिकोण को तार्किक निष्कर्ष पर ले जा रहे हैं ताकि कोई भी पीछे न रहे और आत्मनिर्भर भारत का सपना जल्द से जल्द साकार हो सके।
आज देश आजादी के 75 वर्षों को आजादी के अमृत काल के रूप में मना रहा है। वाजपेयी जी का ‘सुशासन मंत्र‘ – जो अखंडता पर आधारित है, जाति, धर्म, लिंग, विचारधारा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की विविधता के साथ आगे बढ़ते हुए गरीब, पिछड़ों, वंचितों व अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को समान अवसर प्रदान कर रहा है।
मैं महसूस करता हूं कि जनता, नेताओं, नौकरशाहों और साहित्यकारों में देश के प्रति समर्पण और समाज के प्रति सम्मान होना चाहिए। यही महान कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। स्वच्छ राजनीति, स्वच्छ प्रशासन और स्वच्छ प्रेरणादायी साहित्य रचना से ही भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना साकार होगा।
मैं एक बार फिर सभी सम्मानीय कविजनों का स्वागत करते हुए नीरज स्मृति न्यास के अध्यक्ष श्री आर.के.सिन्हा जी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मुझे अटल जी की याद में आयोजित काव्यांजलि कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर प्रदान किया।
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
जय हिन्द!