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    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

    Publish Date: जुलाई 6, 2024

    चंडीगढ़, 6 जुलाई – हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शनिवार को राजभवन में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी एक कट्टर राष्ट्रवादी, उच्च कोटि के वकील और एक उत्कृष्ट बुद्धिजीवी थे, जिन्होंने भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के चंगुल से मुक्ति दिलाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

    राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि डॉ. मुखर्जी राष्ट्रीय एकता और अखंडता तथा सभी के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध थे और किसी भी समुदाय के तुष्टीकरण के सख्त खिलाफ थे। उनहोंने कहा कि एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान के दृढ़ विश्वासी और समर्थक डॉ. मुखर्जी ने कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

    उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (बीजेएस) का गठन भारतीय शासन मॉडल को पेश करने के लिए किया था, जो न केवल हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचार में निहित है, बल्कि ग्रामीण भारत के समग्र सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ विकेन्द्रीकृत भी है। राज्यपाल ने कहा कि यही डॉ. मुखर्जी का विजन था जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र से सभी का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित कर रहे है। हम उनके विजन और आदर्शों का अनुसरण करें तथा उन्हें अपने जीवन में अपनाएं, यही हमारी डॉ. मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

    उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी 1934 में 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने। राष्ट्र की सेवा करने की उनकी तीव्र इच्छा के कारण ही उन्होंने जीवन की विलासिता को त्याग दिया तथा मां भारती के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि वे वास्तव में एक महान आत्मा थे।
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