गुरूग्राम विश्वविद्यालय, दीक्षांत समारोह
आदरणीय विधायक श्री —
आदरणीय विधायक श्री —
गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री डॉ. मार्कण्डेय आहूजा जी,–
उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनन्द मोहन शरण जी-
हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण गुरूग्राम के चेयरमैन डा. के.के खण्डेलवाल जी-
कुलपतिगण, कुलसचिवगण, सभी सम्मानित प्राध्यापकगण एवं अध्यापकगण, प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताआंे, प्यारे छात्रों तथा पत्रकार एवं छायाकार बंधुओं।
भारतीय अध्यात्म व गुरूज्ञान परम्परा के महान गुरू ‘‘गुरू द्रोणाचार्य की ऐतिहासिक धरा पर स्थापित गुरूग्राम विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के सुअवसर पर उपस्थित होकर मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
सर्वप्रथम मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले युवाओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनांए देता हूं। आपकी इस यात्रा में आपके माता-पिता, शिक्षक और जिन साथियों ने आपको सहयोग दिया, उन सभी को भी मैं साधुवाद देता हूं। मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व की अनुभूति है कि आज विश्वविद्यालय के 270 विद्यार्थी दीक्षांत समारोह में अपनी उपाधियों से विभुषित हो रहे हैं। यह किसी भी नए विश्वविद्यालय के गर्व की बात है।
इस विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा जी व उनकी पूरी टीम तथा विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है । इस उपलब्धि के लिए मैं विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं देता हूं।
प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताओं, विद्यार्थियो हम को सब इस बात पर गर्व है कि वर्तमान की आवश्यकताओं और विश्व व्यवस्था को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागु की गई है।
यह शिक्षा नीति बंद कमरों में तैयार नहीं की गई बल्कि हजारों शिक्षाविदों के साथ एक लंबे विचार-विमर्श के पश्चात तैयार की गई है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन से ही शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का संकल्प पूरा होगा और एक नए युग की शुरूआत होगी।
हरियाणा में तो इसको लागू करने के लिए आधारभूत ढांचा पहले ही तैयार किया जा चुका है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2025 तक ही इस नीति को पूरी तरह से लागू किया जाना सम्भव है।
हमारे कई विश्वविद्यालयों ने तो पहले से ही कई कार्यक्रम लागु कर दिए है। इसलिए मैं विश्वविद्यालय प्रशासन व शिक्षकों को बधाई देता हूँ।
आज विश्व में कई देश कौशलता के क्षेत्र में हमसे कहीं आगे हैं। इग्लैंड की 61 प्रतिशत, जर्मनी में 70 प्रतिशत, जापान में 75 प्रतिशत तथा साउथ कोरिया में 91 प्रतिशत लोग किसी न किसी कार्य में कुशल हैं। जब कि भारत में केवल 4 प्रतिशत लोग ही कुशल कारीगर हैं। इसके लिए हमें कौशल शिक्षा को बढ़ावा देना है। महिलाओं में कौशलता प्राप्त करने की प्रतिभा पुरूषों से ज्यादा है इसलिए महिलाओं को विभिन्न कोर्सों, डिग्रीयों व कार्यक्रमों में दाखिला देकर अधिक से अधिक कुशल बनाना है। केवल मात्र कौशलता से ही देश से ही बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों को स्किल्ड और रिस्किल्ड की प्रणाली पर काम करना होगा।
भारत युवाओं का देश है यहां कि 65 प्रतिशत आबादी 35 से कम लोगों की है। इसलिए ही पूरा विश्व आप की तरफ देख रहा है। आज आप लोग सिर्फ एक उपाधि-धारी शिक्षित युवा नहीं बल्कि भारत की इस नई महती भूमिका के वास्तविक शिल्पकार हैं। आपकी शक्ति, कैशल शिक्षा, दृढ़ निश्चय ही विश्व में भारत की पहचान बना सकता है। हमने पिछले कुछ वर्षों में विश्व में अपनी विचार- अनुसंधान, सृजन और नेतृत्व की क्षमता को साबित किया है ।
मेरा पूरा विश्वास है कि आप समाज और राष्ट्र की सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे । प्रिय उपाधि प्राप्तकर्ताओं, विद्यार्थियो आपके प्रत्येक कार्य से भारत प्रभावित होता है। आपकी सफलता भारत की सफलता है।
प्रिय उपाधि प्राप्त कर्ताओं आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आप सभी संकल्प ले कि शिक्षा से अर्जित ज्ञान व कौशलता का उपयोग न केवल नौकरी पाने के लिए बल्कि नौकरी देने के लिए करेंगे। आप नौकरी पाने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनें। इसके लिए आपको उद्यमिता के क्षेत्र में उतरना होगा। सरकार आपके साथ है। केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अपने स्टार्ट-अप स्थापित कर सकते हैं। सरकार इसके लिए उसे 5 करोड़ रूपये का बहुत कम ब्याज सरलता से उपलब्ध करवाती है।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए ‘स्टार्ट अप इंडिया’ अभियान की भी शुरूआत की गई, जिसका लक्ष्य रोजगार सृजन एवं उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए बैकिंग फाइनांस को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं आदि को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना है। ‘मेक इन इंडिया’ व ‘स्टार्टअप’ को सहयोग प्रदान करने के लिए ‘स्किल इंडिया’ भारत का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सरकार की इन नीतियों का लाभ उठाकर आप सफलता की कहानी लिखे और आगे बढ़ें।
‘भारतीय ज्ञान परंपरा के महान गुरु द्रोणाचार्य की भूमि से आप लोगों से मुखातिब होते हुए मैं स्वयं भी रोमांचित हूं। हरियाणा की यह भूमि ना केवल वीरों की भूमि है बल्कि यह अध्यात्म और ज्ञान की भी धरती है। इसी धरती पर गीता जैसा विश्व का सर्वश्रेष्ठ दर्शन उत्पन्न हुआ। भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया जो वर्तमान में हर क्षेत्र में प्रासंगिक है। गीता का हर एक श्लोक समस्त मानव सभ्यता के लिए पथ प्रदर्शक है ।
विश्व में आपको अपनी व देश की पहचान बनाने के लिए आधुनिक, रोजगारोन्मुखी शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ना होगा, जो हमारी संस्कृति का मूल तत्व है, क्योंकि नैतिक शिक्षा के बिना आधुनिक का कोई अर्थ नहीं है। जैसा की कहा गया है धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया लेकिन चरित्र गया तो सब कुछ गया। मनुष्य का चरित्रवान होना जरूरी है। चरित्र नैतिक शिक्षा से कायम रह सकता है।
अपनी धरती की आजादी के लिए मुगलों से लोहा लेने वाले अमर बलिदानी राजा हसन खां मेवाती तथा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी राव तुलाराम जी की जन्मदात्री इस धरती को प्रणाम करते हुए मैं यह विश्वास व्यक्त करता हूं कि इस मातृभूमि के प्रताप और गुरुग्राम विश्वविद्यालय के शिक्षकों से मिले ज्ञान एवं प्रेरणा के सामर्थ्य से आप सभी मानव सभ्यता के कल्याण के व्यापक उद्देश्य को प्राप्त करेंगे ।
आपको जो उपाधियां आज मिल रही हैं वे मात्र कागज की डिग्रियां नहीं हैं, यह आपके साथ साथ हमारे राष्ट्र की प्रगति का दस्तावेज हैं । दीक्षांत समारोह का यह शुभ दिन आपके लिए अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर विचार करने का भी दिन है। आप देश का वर्तमान और भविष्य दोनों हैं। मैं आप सभी से आशा करता हूँ कि आप अपने परिवार, संस्थान, राज्य, राष्ट्र और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को बड़ी लगन और निष्ठा के साथ निभाते हुए, इन सबका नाम सिर्फ देश में नहीं बल्कि दुनिया में रोशन करेंगे। आप जहाँ भी जाएंगें इस विश्वविद्यालय का नाम, इस प्रदेश का नाम आपके साथ जुड़ा रहेगा । आप विश्वविद्यालय के नाम को भूलेंगे नहीं बल्कि नाम को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
दीक्षांत समारोह के माध्यम से मेरी विश्वविद्यालय के शिक्षकों व पदाधिकारियों से अपील है कि वे स्थानीय मांग व वर्तमान की आवश्यकताओं पर आधारित कौशल प्रशिक्षण के ज्यादा से ज्यादा कोर्स शुरू करें।
इसके साथ-साथ सरकार व प्रशासन से समन्वय कर ग्रामीण स्तर पर कलस्टर स्थापित कर गरीब वर्ग के युवाओं को प्रशिक्षण दें। इसके लिए लोकल मार्केट अनुसार प्लम्बर, डेरी, हथकरघा व कृषि आधारित कार्यों पर जोर देने की आवश्यकता है। श्री विश्वकर्मा विश्वविद्यालय देश का ऐसा अनूठा विश्वविद्यालय है जो ‘लोकल फार वोकल‘ के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू कर देश में अपनी पहचान कायम कर सकता है।
मैं इस दीक्षांत समारोह में पधारे सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं। मैं आशा करता हूं कि भारत में कौशलता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने में आप सभी का निरन्तर सहयोग मिलता रहेगा।
अन्त में मैं कुलपति व उनकी पूरी टीम को विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह के सफल आयोजन की बधाई देता हूँ। सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं शिक्षणगण, कर्मचारीगण व विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
जयहिन्द! जय हरियाणा।