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    ओम नमो भगवते वासुदेवाय! श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव, रेवाड़ी

    Publish Date: सितम्बर 20, 2022

    आदरणीया विश्व विख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता श्री जया किशोरी जी
    आदरणीय श्री राजीव जैन जी, अध्यक्ष, हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन
    श्री दुर्गादत्त गोयल जी, प्रदेश महामंत्री, हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन
    श्री रिपुदमन गुप्ता जी, जिला महासचिव, हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन
    हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारीगण, श्रद्धालु भाई व बहनों तथा मीडिया बंधुओं! 
    मानवमात्र को जीवन की सच्ची राह दिखाने वाले और पंचम वेद कहे जाने वाले श्रीमद्भागवत का श्रवण करने के लिए आयोजित इस श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में मैं सभी श्रद्धालुगण को शुभकामनाएं देता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वह सभी के जीवन को ज्ञान के आलोक से जगमगाएं।
    इस आयोजन के लिए हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन बधाई का पात्र है। ऐसे आयोजनों से ही मानव संस्कृति के लिए श्रीमद्भागवत के महत्व का प्रतिपादन होता है और भारतीय संस्कृति समृद्ध होती है।
    अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन के इस महोत्सव में श्रीमद्भागवत ज्ञान का प्रसार विश्व विख्यात आध्यात्मिक वक्ता एवं कथावाचक श्री जया किशोरी जी के मुखारविंद से हो रहा है। आप प्रखर ज्ञानी एवं यशस्वी कथा वाचक हैं।
    विश्व में भौतिकता के प्रभाव के चलते युवा पीढ़ी का जीवन तनाव ग्रस्त है। इसी को देखते हुए आप कथा वाचन के साथ-साथ आज की युवा पीढ़ी को अध्यात्म की ओर प्रेरित कर उनका मार्ग दर्शन कर रही हैं। इससे लाखो छात्रों में आशा की किरण जगी है। इतना ही नहीं युवा पीढ़ी को तनाव प्रबंधन का ज्ञान हुआ है, जो वर्तमान में नितान्त जरूरी है।
    इससे युवा पीढ़ी हर क्षेत्र में बेहतर करने के लिए तैयार होगी, जिससे युवा राष्ट्र की तरक्की में अपना महती योगदान देगें। इस कार्य हेतु मेरी अनंत शुभकामनाएं श्री जया किशोरी जी को समर्पित है। आपकी प्रखर बुद्धि का ही परिणाम है आपने बहुत कम उम्र में अध्यात्म और श्रीमद्भागवत को जानकर मानवता को जगाने का काम किया है।

    योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
    सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

    भगवान श्रीकृष्ण कहते हंै कि अर्जुन सफलता और असफलता की आशक्ति को त्याग कर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म करो। यही समता की भावना अध्यात्म व योग कहलाती है। आज हम सभी ने समता भावना के मार्ग पर चल कर विश्व को समभाव का संदेश देना है तभी हम विश्व में फिर से विश्वगुरू कहला पाएगें।
    श्रीमद्भागवत ही एक पुराण है, जिसे जीवन में अपनाकर प्राणी मात्र का कल्याण सम्भव है। यही भगवत्स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञान रूपी अन्धकार से पार पाना चाहते हैं उनके लिए आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है।
    भाईयों-बहनों!
    जहां भगवान का नाम नियमित रूप से लिया जाता है। वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। जीवन को कर्मशील बनाने के लिए श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करना जरूरी है। आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परम आनन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है।
    मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो सृष्टि की सारी शक्ति समाहित होकर मनुष्य को और शक्तिशाली बनाती हैै और सारे कार्य सफल होते हैं। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। इसलिए हमें स्वयं निर्णय करना होता कि हमें किस राह पर चलना है।
    छल और छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल जब जिस मानव जीवन में आ जाए उसे भगवान भी ग्रहण नहीं करते। निर्मल मन प्रभु को स्वीकार्य है। व्यक्ति को सांसारिक भौतिक सुखों का त्याग कर ईश्वर का भजन करना चाहिए। ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो, भगवान की लीला का कोई पार नहीं है। यही भागवत का सार है।
    प्रिय श्रद्धालु भाई-बहनों!
    भागवत कथा के श्रवण से मानव के भीतर का साधु जागृत होता है और ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ता है। भागवत में शरीर को आत्मा का वस्त्र कहा गया है। जीव चेतन स्वरूपी है, इसीलिए उसे बहते पानी की तरह होना चाहिए। चलते रहो, रूको मत, हम स्वरूप से चेतन हैं- इसीलिए प्रेम, करूणा, दया यही जीवन के वास्तविक भाव हैं।
    आज संसार में भौतिकवाद का बोल-बाला है। इसलिए आज सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि हम सब अपनी संस्कृति के जीवन मूल्यों और शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं और स्वयं इनका अनुसरण करें। आज तो हमारे लिए और खुशी की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृृत्व में तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मूल्य आधारित शिक्षा नीति तैयार की गई है, जिसमें योग और अध्यात्म को स्थान दिया गया है। जब अध्यात्म और नैतिक व संवैधानिक मूल्यों का हमारी युवा पीढ़ी को ज्ञान होगा तो देश में भ्रष्टाचार व्यभिचार के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों का खात्मा होगा और एक आदर्श समाज की स्थापना होगी।
    इस दृष्टि से श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का आयोजन बहुत ही प्रासंगिक है। मैं पुनः आप सबको और विशेष रूप से हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन को बधाई देता हूँ कि आप समाज में श्रीमद्भागवत के उपदेशों के माध्यम से खुशबू भरना चाहते हैं। आपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय और मानव के लिए फलदायी है। अंत में मैं पुनः आपका आभारी हूं कि आपने मुझे इस पावन समारोह में आमंत्रित कर पुण्य का भागी बनने का अवसर प्रदान किया।
    जयहिन्द!