Close

    आयुर्वेद के चिकित्सक अब ब्रांड अंबेसडर बनकर पूरे विश्व तक पहुंचाएंगे भारत की प्राचीन आयुर्वेद पद्धति को:बंडारू दत्तात्रेय

    Publish Date: अप्रैल 18, 2025
    9

    श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में 126 विद्यार्थियों स्नातक व स्नातकोत्तर की दी उपाधि, 26 उपाधि धारकों को स्वर्ण पदक देकर किया सम्मानित,पदम् भूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से नवाजा, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह की स्मारिका का किया विमोचन
    चंडीगढ़, 18 अप्रैल, 2025: । हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सक अब पूरे विश्व में भारत की प्राचीन आयुर्वेद पद्धति को पहुंचाएंगे। इस प्राचीन आयुर्वेद पद्धति की आज पूरे विश्व के स्वास्थ्य जगत में मांग है। इतना ही नहीं आने वाले समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है।
    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शुक्रवार को श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय के 9 करोड़ 50 लाख की लागत से निर्मित ऑडिटोरियम हॉल का शुभारंभ किया। इसके उपरांत राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय,आयुष विभाग भारत सरकार के सचिव पदम श्री वैद्य राजेश कोटेचा, शासी निकाय राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली के अध्यक्ष पद्म भूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा, श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान ने दीपशिखा प्रज्वलित करके विधिवत रूप से प्रथम दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया। इस दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की उपस्थिति में 126 विद्यार्थियों को स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्री देकर सम्मानित किया। इनमें से 26 उपाधि धारकों को स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया है। इस दीक्षांत समारोह में शासी निकाय राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं गोल्ड पदम् भूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से नवाजा गया। इस दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन किया।
    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक है। वे हिंदू धर्म में चिकित्सा के देवता और आयुर्वेद के प्रवर्तक बताए गए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, धन्वंतरी भगवान विष्णु के अवतार हैं और समुद्र मंथन के दौरान क्षीर सागर से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके चार हाथों में शंख, चक्र, औषधि और अमृत कलश थे। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल में इसी पद्धति द्वारा इलाज किया जाता था, लेकिन विज्ञान के विकास और चिकित्सा पद्धतियों में हुए अनुसंधान से आयुर्वेद का प्रचलन कम हो गया। पूर्व में इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ है, तब से इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति को महत्व मिलना शुरू हुआ है। केन्द्र सरकार ने आयुष विभाग को लगभग चार हजार करोड़ रूपये आवंटित करके पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को सुदृढ़ करने का बीड़ा उठाया है।
    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्राचीन चिकित्सा पद्धति के उत्थान के लिए कुरुक्षेत्र में देश का पहला श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय स्थापित किया। विश्वविद्यालय ने लगभग सौ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है, जो इसके भविष्य के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस भूमि पर शीघ्र ही आधुनिक भवनों, शिक्षण सुविधाओं, और अनुसंधान केंद्रों का निर्माण शुरू होगा। पंचकूला में लगभग 270 करोड़ रुपये की लागत से 250 बिस्तरों वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना की जा रहीं है, जिसमें ओ.पी.डी. शुरू कर दी गई हैं। इस संस्थान में 100 बिस्तर आयुर्वेदिक उपचार के लिए तथा 150 बिस्तर प्राकृतिक चिकित्सा के लिए रखे गए हैं। छात्रों को आयुर्वेद की शिक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में बी.ए.एम.एस. की कक्षाएं भी शुरू की गई हैं। इस संस्थान का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है।
    उन्होंने कहा कि गांव पटीकरा, जिला नारनौल में बाबा खेता नाथ सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए तीस बी.ए.एम.एस. सीटों के तीसरे बैच के लिए दाखिले दिये गये हैं। कोरोना काल के दौरान आयुर्वेद के महत्व को दोबारा बल मिला और इसका प्रयोग बढ़ा है। इस महामारी के दौरान लोगों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के आशाजनक व अविश्वसनीय परिणाम देखने को मिले। आयुर्वेद द्वारा इलाज ने अपनी सार्थकता को प्रमाणित किया और लोगों को इससे स्वास्थ्य लाभ मिला। आयुर्वेद ने लोगों को इस भयंकर महामारी से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि भारतीय योग का प्रचार विश्व भर में हुआ है। अब 150 देशों में योग के कार्यक्रम को आयोजित कर मनाया जाता है।
    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय ने पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पढ़ाने का जो मॉडल अपनाया है, वह अनुकरणीय है। यहां के शोध कार्यों ने आयुर्वेद, योग और होम्योपैथी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। आयुर्वेदिक औषधियों की प्रभावशीलता पर किए गए शोध कार्यों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनेक कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। यह आपकी प्रतिभा और विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रमाण है।
    पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद पद्धति को आगे बढ़ाने का काम किया। जिसके चलते वर्ष 2014 के बाद देश में 10वां विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। इस आयुर्वेद के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है, इस दीक्षांत समारोह में मेडल व डिग्री हासिल करने वाले अधिकतर विद्यार्थियों को सरकारी नौकरियां मिल चुकी है। सरकार के आयुष पोर्टल पर 43 हजार से ज्यादा पब्लिकेशन देखे जा सकते है। आज विश्व में 50 प्रतिशत लोग आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करवाने में विश्वास रखते है। पदम भूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा ने कहा कि डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सकों को अब समाज में जाकर शुद्ध रूप से आयुर्वेद पद्धति से लोगों का इलाज करना चाहिए। इस पद्धति का फायदा कोरोना काल में लोगों को देखने को मिला है।
    श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान ने मेहमानों का स्वागत किया और कुलसचिव प्रोफेसर विजेन्द्र सिंह तोमर ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. रणधीर सिंह, भाजपा के जिला अध्यक्ष तजेन्द्र सिंह गोल्डी, जिप चेयरमैन कंवलजीत कौर, नप थानेसर चेयरमैन माफी ढांडा, चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, निदेशक डा. प्रीतम सिंह आदि शिक्षक व अधिकारीगण मौजूद रहे।