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इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन, चण्डीगढ़

Publish Date: मार्च 18, 2023

1. श्री निवास रेड्डी, प्रधान, इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन
2. श्री बलविन्द्र सिंह जम्मू, महासचिव, इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन
3. श्री एस.एन सिन्हा, पूर्व प्रधान, इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन
4. श्री अमर देवलापल्ली, नेशनल मीडिया एडवाईजर, मुख्यमंत्री आंध्र प्रदेश
5. श्री बलबीर सिंह झंडू, इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन, पंजाब संभाग
उपस्थित सभी पदाधिकारी, सदस्यगण व पत्रकार एवं छायाकार बन्धुओं।
अपनी लेखनी के माध्यम से देश व समाज की सेवा कर रहे पत्रकारों के इस कार्यक्रम में आकर मुझे अत्यंत ही खुशी का अनुभव हो रहा है। इस अवसर पर मैं आप सबको बधाई देता हूं।
मुझे यह देखकर खुशी होती है कि पत्रकार संगठन जहां एक ओर पत्रकारों के काम की परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय हैं, वहां दूसरी ओर उनके व्यावसायिक स्तर को प्रगतिशील बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं।
प्रजातंत्र में प्रैस की भूमिका से सभी भलीभांति परिचित हैं। प्रैस को प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश की आजादी से पहले और आजादी के बाद भी प्रैस ने भारत को आजाद करवाने व राष्ट्र-निर्माण में अपनी उपयोगिता को पूरी शक्ति के साथ प्रमाणित किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले पत्रकारिता एक मिशन था और आज यह एक व्यवसाय बन गया है। इस पहलू को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता।
स्वतंत्र और निःस्वार्थ सेवा से कार्य करने वाला प्रैस तन्त्र समाज और देश की प्रगति की राह में आने वाली रूकावटों के विरूद्ध सबसे अधिक लड़ाई लड़ता है और पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने में असामाजिक तत्व, देशविरोधी संगठन, गैंग, माफिया व देश और समाज की प्रगति के दुश्मन बड़ी चुनौती बन गए हैं।
सामरिक क्षेत्र से सम्बन्धित रिपोर्टिंग करने में तो पत्रकरों को जान हथेली पर रख कर कार्य करना होता है। पत्रकारों पर हमले व हत्याओं की खबरें भी सुनने को मिलती है। ऐसी घटनाओं से पार पाने के लिए पत्रकारों का समावेशी सोच के साथ आपस मे संगठित होना होगा और एक पेशेवर के रूप में एक दूसरे के हितों के लिए भी काम करना होगा। इससे सरकार व प्रशासनिक व्यवस्था भी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मानकर और पत्रकारिता जगत मे कार्य कर रहे लोगों के लिए संवदेनशील होगी।
जैसा कि मैंने पहले भी जिक्र किया है कि भौतिकवाद के इस युग में पत्रकारिता एक व्यवसाय के रूप में उभरा है। इस दौर में भी आपने नैतिक और मानवीय मूल्यों का भौतिकवाद से संतुलन बना कर कार्य करना है।
मैं प्रैस की आजादी का भी पूरी तरह से पक्षधर हूँ लेकिन आजादी का मतलब तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, दूसरों को ब्लैकमेल करना, चरित्र हनन करना, सनसनी फैलाना नहीं है। आपने पत्रकारिता को एक स्वच्छ व्यवसाय के रूप में अपनाना है। सोशल मीडिया, प्रिन्ट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया के इस युग में अनेकों युवा इस व्यवसाय में भविष्य तलाश रहे हैं। आपने आने वाली पीढ़ी के सामने आदर्श स्थापित करना है कि राष्ट्र, समाज की प्राथमिकता को ध्यान में रखकर किस प्रकार से पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ना है।
पीत पत्रकारिता से बचें क्योंकि पीत पत्रकारिता देश व प्रजातन्त्र के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
आज सोशल मीडिया का युग है इसलिए प्रैस शब्द का अर्थ और व्यापक हो गया है। प्रैस में सोशल मीडिया के प्रभावों और दुष्प्रभावों का भी नकारा नहीं जा सकता। इस समय भारत में सोशल मीडिया के लगभग सत्तर करोड़ से भी अधिक युजर्स हैं यानि कुल जनसंख्या का पचास प्रतिशत से भी अधिक लोग सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं और यह भी सही है नब्बे प्रतिशत सूचनाएं सोशल मीडिया के माध्यम से आमजन को प्राप्त हो रही हैं। ऐसे में हम सबके सामने तथ्य और तथ्यहीन सूचनाओं की प्रमाणिकता की चुनौती भी है। सोशल मीडिया के इस युग में मेन-स्ट्रीम की मीडिया की जिम्मेवारी और बढ़ी है।
मुझे खुशी है कि आपका संगठन प्रैस की आज़ादी कायम रखने, पत्रकारों के हितों की रक्षा और पत्रकारिता के उच्च मानदंडों के अनुसार कार्य करने के लिए कटिबद्ध है।
जैसा कि मुझे बताया गया है इस कार्यक्रम में पत्रकारों की कठिनाईयों, सेवा शर्ताें में बदलाव, आदि पर विस्तार से चर्चा की गई है। मुझे यह भी बताया गया है कि आपका संगठन देश के प्रमुख राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में फैला है और इसके काफी सदस्य हैं।
प्रिय साथियों! प्रजातंत्र में प्रैस सरकार एवं लोगों के मध्य एक सेतु का महत्वपूर्ण कार्य करती है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास तथा कल्याण योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने तथा जन-साधारण की समस्याएं सरकार तक पहुंचाने का कार्य भी करती है।
केन्द्र और राज्य सरकार ने भी आपको काम करने के लिए अच्छा वातावरण देने की कोशिश की है। हरियाणा सरकार साठ वर्ष की जीवन अवधि व पत्रकारिता में बीस वर्ष का अनुभव रखने वाले मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों के लिए दस हजार रूपये प्रतिमाह पैन्शन प्रदान कर रही है। इसके साथ प्रैस मान्यता के नियमों में भी ढील दी गई है ताकि मेन स्ट्रीम में कार्य करने वाले मीडियाकर्मी सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकंे।
मुझे इस बात की भी खुशी है कि हरियाणा सरकार ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों का सामूहिक बीमा करवाया हुआ है। इसके अंतर्गत पत्रकारों को पांच लाख से लेकर बीस लाख रूपए तक का बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इसके अलावा मीडिया कल्याण कोष की भी स्थापना की गई है।
मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए राज्य परिवहन की सभी बसों जिसमें वोल्वो भी शामिल है के लिए वर्ष में चार हजार किलोमीटर तक निःशुल्क यात्रा की सुविधा दी गई है। इसके साथ-साथ राज्य सरकार मेडिकल एमरजैंसी के समय में तथा दिवंगत होने वाले और बीमार पत्रकारों एवं उनके परिवारों को तत्काल तौर पर ढाई लाख रूपए की आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है।
मेरा मानना है कि प्रैस और पत्रकार बन्धु जो सरकार की त्रुटियों और गलतियों को रेखांकित करते हैं, वे सरकार के सच्चे मित्र व हितैषी हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस प्रकार के महत्वपूर्ण काम को प्रैस और आप सब पत्रकार बन्धु अंजाम देते हैं, उसके दृष्टिगत आप सब सर्वत्र सम्मान के पात्र हैं। लेकिन इसके साथ ही आपकी जिम्मेदारियां भी उतनी ही ज्यादा हैं। इसलिए प्रैस को बिना किसी लाग-लपेट के निर्भय होकर अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए।
पत्रकारिता के लिए प्रचलित ‘‘आचार संहिता’’ का पालन करना भी प्रत्येक पत्रकार के प्रमुख कर्त्तव्यों में से एक है। आशा है कि आप सब अपनी दायित्वपूर्ण पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र सेवा के महान कार्य को समर्पित भावना से करते रहंेगे।
अंत में मैं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए इण्डियन जर्नलिस्ट यूनियन को पुनः बधाई देता हूं और आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। इस गरिमामय कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करता हूँ।
जय हिन्द!