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    Emergency is Darkest Period in the Indian History

    चंडीगढ, 25 जून- हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की यादों को ताजा करते हुए बताया कि जब 26 जून को सुबह लोगों को पता चला कि देश में सरकार द्वारा आपातकाल लगा दिया गया है, जिससे सारे देश में अफरा तफरी का माहोल हो गया था। उन्होंने बताया कि उस दौरान मैं आरएसएस का प्रचारक था। आपातकाल के नाम पर देश में बहुत से लोगों को गिरफ्तार किया गया, बड़े-बड़े नेताओं को अटल बिहारी वाजपेय, मोरारजी देसाई, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीस और बहुत से नेताओं को मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट MISA के तहत गिरफ्तार किया गया।

    उन्होंने बताया कि 26 जून को सुबह जब मैं दौरा करने के लिए निकला तो मैंने पाया कि हमारे कार्यालय पर पुलिस वाले तलाशी करने के लिए आ रहे थे, मैं वहां से चला गया लेकिन मुझे पता नहीं था कि कहां जाना है यदि किसी संघ के कार्यकर्ता के घर पर जाता तो वहां भी पुलिस की निगरानी लगाई गई थी। ऐसी स्थिति में मुझे सूचना मिली कि सभी लोगों को भूमिगत रहकर काम करना पड़ेगा। इसलिए मैने तय किया कि मैं कुर्ता पजामा न पहनकर पेंट-शर्ट पहन लू, तभी मैंने तुरंत भूपक रेड्डी नाम के वकील की पेंट-शर्ट पहन ली और दूसरे प्रदेश में चला गया। वहां जाकर पता चला कि सारे देश में नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। सारे देश में सेंसरशिप लगाई गई है, कोई भी टीवी और समाचार पत्र में सरकार के अलावा कोई दूसरी खबर नहीं दे सकता था। पूरा देश एक जेल के रूप में बांध दिया गया था।

    उन्होंने बताया कि साधारण परिस्थितियों में गांव-गांव जाकर संगठन निर्माण का कार्य करते थे। फिर हमने कुछ जगह चिन्हित कर ली थी, जहां मैं अपना नाम बदल कर रहने लगा था। मैंने अपना नाम शैलेंद्र रख लिया था। सेंसरशिप लगने के कारण अखबारों में टीवी में कोई भी सही खबर नहीं आती थी देश वह प्रदेश में क्या चल रहा है, कुछ भी पता नहीं लगता था। इसलिए लोक संघर्ष समिति के नाम पर एक आंदोलन छेड़ा गया था। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में तब हमें दिल्ली से हैदराबाद समाचार प्राप्त होता था। दिल्ली से एक सर्कुलर आता था, जिसे प्रिंट कर सारे प्रदेशों में भेजना और सारे कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना तथा सामाजिक कार्यकर्ता को भी भेजना होता था। इस दौरान मुझे गिरफ्तार कर आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिला की चंचलगुडा जेल में डाल दिया। जेल में मुझसे बार-बार पूछा गया कि यह बुलेटिन आपको कैसे और कहां से आता है, इसे कौन भेजता है तथा इसके लिए पैसे कहां से आते हैं। इसी बारे में डीएसपी मुझे बार-बार सवाल पूछता था। उनके डराने धमकाने के बाद बाद भी मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया। मुझे इलेक्ट्रिक शॉक देने की धमकी दी गई लेकिन मैंने कुछ भी बताने से मना कर दिया।

    राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि मैं बहुत गरीब परिवार से था। मेरी माता जी श्रीमती ईश्वरम्मा उस्मानगंज में प्याज बेचती थी। इमरजेंसी के दौरान मेरे बड़े भाई मानिक प्रभु का देहांत हो गया था। उस समय मुझे जेल से पैरोल दिया गया था, अंतिम संस्कार में भाग लेने के बाद मुझे फिर से जेल में डाल दिया गया। मुझे जेल से बाहर लाने के लिए मेरे मामा अंजप्पा उनके दोस्त हमारे हैदराबाद के मेयर लक्ष्मी नारायण और मेरे मामा के मित्र एक विधायक थे जिनका नाम एल नारायण था। वे सभी मेरी माता जी के पास आकर बोले कि हम आपके लड़के को बाहर निकालेंगे। आप इतनी कठिनाई सह रही है। आप अपने लड़के के पास जाकर एक अंडरटेकिंग ले, उस अंडरटेकिंग में कहना कि मेरे से गलती हो गई है और मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा। तब मेरी माता जी ने उनसे सवाल किया कि मेरे लड़के ने क्या गलती करी है ? मेरा बेटा देश व समाज के लिए काम कर रहा है। मेरी माता जी ने उनसे पूछा क्या मेरे लड़के ने चोरी की है ? क्या किसी लड़की को उठाकर ले गया या कुछ और गलत काम किया है ? मुझे नहीं लगता कि वह ऐसी कोई अंडरटेकिंग देगा। ऐसी मेरी मां की भावना थी।

    उन्होंने बताया कि मेरी माता जी मुझसे जेल में मुलाकात के लिए आई, मेरी माता जी ने मुझे बताया कि मेरे मामा ने एक अंडरटेकिंग लाने के लिए कहा है तब मैंने उनसे पूछा कि आपने उन्हें क्या जवाब दिया तब मेरी मां ने बताया कि मैं उन्हें बोल दिया कि मेरा लड़का ऐसा नहीं करेगा यह सुनकर मुझे बहुत ही खुशी हुई। बाहर एक सीआईडी अधिकारी बैठता था वह अधिकारी भी हमारी बात गौर से सुन रहा था। उसने वह समाचार सरकार को भेज दिया।
    उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधान के अनुसार जिन्होंने देश को चलना था, उन्हीं लोगों ने देश को जेल बना दिया था। मेरी मां सहित मेरे परिवार के लोगों को बहुत तकलीफ दी गई। प्रजातंत्र में जो हमारे फंडामेंटल राइट्स को खत्म करके प्रजातंत्र को अंधकार में डाल दिया गया, आपातकाल का वह मंजर हम कभी नहीं भूल सकते हैं।

    उन्होंने बताया कि उस समय इंडियन एक्सप्रेस के प्रमुख स्वर्गीय गोयनका जी के प्रति में श्रद्धाअर्पण करना चाहता हूं उन्होंने इमरजेंसी में इंडियन एक्सप्रेस और हमारे तेलुगु में आंध्र प्रभा समाचार पत्र में जो काम किया है। उन्होंने बहुत ही हिम्मत और साहस से जो समाचार पत्र भेजा वह मुझे बहुत अच्छा लगा। ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट के कुछ बड़े वकीलों ने भी बहुत संघर्ष किया।

    उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करने के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया था, यह नहीं होना चाहिए। प्रजातंत्र में सबको समान रूप से अधिकार हैं, चाहे गरीबों हो, अमीर हो, मंत्री हो या अन्य आम नागरिक हो। सबको बराबर का अधिकार होना चाहिए। संविधान की रक्षा करना और स्वतंत्रता को उत्कृष्ट करते हुए आचरण करना चाहिए। मैंने भी एक साल बहुत तकलीफ उठाई। मैं एक साल तक जेल में रहा। जेल में सभी पार्टी के लोग थे। हमने जेल में बहुत कुछ सीखा। हमारी लोक संघर्ष समिति नेतृत्वकर्ता जय प्रकाश नारायण जिन्होंने निस्वार्थ भावना से संघर्ष किया। मुझे वही सब लोग अभी भी ध्यान आते रहते हैं। ऐसी इमरजेंसी दोबारा कभी न लगे। इमरजेंसी के बारे में मैं इतना ही कहूंगा “Emergency is Darkest Period in the Indian History”.

    • Author : बंडारू दत्तात्रेय
    • Subject : Emergency is Darkest Period in the Indian History
    • Language : hindi
    • Year : 2024