महर्षि दयानंद सरस्वती ऐसे युग पुरूष थे, जिन्होंने सामाजिक कुरीति उन्मूलन, स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन, सामाजिक समरसता के लिए काम कर समाज सुधार की नई क्रान्ति का सूत्रपात किया -राज्यपाल
चण्डीगढ़, 26 फरवरी। महर्षि दयानंद सरस्वती ऐसे युग पुरूष थे, जिन्होंने सामाजिक कुरीति उन्मूलन, स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन, सामाजिक समरसता के लिए काम कर समाज सुधार की नई क्रान्ति का सूत्रपात किया। उन्होंने देश में स्वराज्य तथा आजादी की भावना को सुदृढ़ किया। ऐसे महान विभूति, राष्ट्र भक्त महर्षि दयानंद के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए युवा शक्ति को समर्पित भावना से करना होगा। ये आह्वान हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित विद्वत सम्मेलन में किया। राज्यपाल-कुलाधिपति महर्षि दयानंद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विद्वत-सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि स्वामी दयानंद ने वैदिक शिक्षा को प्रमुखता दी। आज जरूरत है कि मदवि के शोधार्थी भी वेदों पर शोध कर समाहित ज्ञान से पूरे विश्व को आलोकित करें।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा, रोजगारोन्मुखी शिक्षा तथा वैज्ञानिक सोच पर विशेष बल दिया गया है। ये सारे मूल तत्त्व स्वामी दयानंद के शिक्षा-दर्शन को परिलक्षित करते हैं। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय मानव-निर्माण का केन्द्र बने, ऐसी संकल्प भावना शिक्षकों और छात्रों में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभूमि तथा मातृभाषा के प्रति प्रेम की भावना विद्यार्थियों में जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। जिससे छात्रों में अनुशासन तथा चरित्र निर्माण होगा। उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह तथा उनकी टीम को महर्षि दयानंद जयंती पर प्रेरणादायी कार्यक्रम के लिए बधाई दी।
मदवि के टैगोर सभागार में आयोजित विद्वत सम्मेलन में प्रतिष्ठित आर्य समाजी तथा सीकर के सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने स्वामी दयानंद को महामानव बताते हुए कहा कि स्वामी दयानंद ने स्वदेशी की भावना को राष्ट्र में सुदृढ़ किया। उन्होंने अंधविश्वास, पाखंड तथा अज्ञानता के खिलाफ समाज में अलख जगाई।
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने महर्षि दयानंद सरस्वती को समग्र क्रांति का पुरोधा बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद के शिक्षा दर्शन में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी गई। जरूरत है कि विश्वविद्यालयों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाए।
विद्वत सम्मेलन में बीज वक्तव्य गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पूर्व कुलपति डा. सुरेन्द्र कुमार ने दिया। महर्षि दयानंद सरस्वती के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए स्वामी दयानंद को नवजागरण का प्रतीक पुरुष बताया।
रोहतक लोक सभा सांसद डा. अरविन्द शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद के शिक्षा दर्शन से प्रेरणा लेते हुए चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हरियाणा के पूर्व मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा भाव की विशेष जरूरत है।
मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी दयानंद का जीवन तथा कार्य प्रेरणादायी है। उन्होंने बताया कि मदवि में वैदिक अध्ययन केन्द्र, महर्षि दयानंद सरस्वती शोध पीठ तथा योग अध्ययन केन्द्र की स्थापना कर महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों तथा दर्शन को प्रचारित-प्रसारित कर रहा है।
विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. शरणजीत कौर, रजिस्ट्रार प्रो. गुलशन लाल तनेजा, कुलपति के सलाहकार प्रो. ए.के. राजन, पं बीडीएस स्वास्थ्य विज्ञान विवि की कुलपति प्रो. अनिता सक्सेना, पं लख्मी चंद सुपवा के वीसी गजेन्द्र चौहान, बीएमयू के कुलपति प्रो. आरके यादव समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कैप्शन-1- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में महर्षि दयानंद जयंती के अवसर पर आयोजित विद्वत सम्मेलन में बोलते हुए।