श्री बाबू परमानंद
बाबू परमानंद का जन्म 10 अगस्त 1932 को ग्राम सरोर, तहसील आर0एस0पुरा, जिला जम्मू में हुआ था। उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए और एलएलबी अलीगढ़ विश्वविद्यालय से किया। वह 1962 में रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के लिए चुने गए। इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से पांच बार विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1967 में समाज कल्याण और परिवहन मंत्री और 1972 में स्थानीय निकाय, आवास निगम मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें 1980 में जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। उन्हें वित्त और बिजली मंत्री के रूप में 1982 में डॉ फारूक अब्दुल्ला के मंत्रालय में नियुक्त किया गया था। वह 18 जनवरी 1990 तक जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के सदस्य बने रहे। इसके बाद, उन्हें महामहिम जीसी द्वारा राज्यपाल, जम्मू-कश्मीर के सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। 1991 में सक्सेना और जनरल (सेवानिवृत्त) श्री के.वी. कृष्णा राव. उन्होंने 19 जून 2000 से 1 जुलाई 2004 तक हरियाणा के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। बाबू परमानंद ने ग्रामीण लोगों के हितों को बढ़ावा देने और दलितों के लिए साहित्य निर्माण में बहुत रुचि ली। वह 10 वर्षों की अवधि के लिए भारतीय दलित साहित्य अकादमी जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 12 वर्षों की अवधि के लिए जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड, जम्मू ग्रामीण बैंक, अनुसूचित जातिध्अनुसूचित जनजाति निगम और खादी बोर्ड के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। उन्हें डॉ. बी.आर. दलितों के लिए उनकी विशिष्ट सेवा के लिए 1991-92 में राष्ट्रीय भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार वे एक पत्रिका ‘‘द डिप्रेस्ड की आवाज‘‘ के प्रधान संपादक रहे और इस प्रकाशन में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अपनी कलम के माध्यम से जोरदार आवाज उठाई। 24 अप्रैल 2008 को उनका निधन हो गया।