तकनीक और कौशल देश के विकास के लिए जरूरी -दत्तात्रेय
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में “तकनीकी और कौशल शिक्षा की परिवर्तनकारी गतिशीलता” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
देश- दुनिया के 87 विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने हिंदी में प्रस्तुत किए शोध पत्र
चंडीगढ़, 14 जून —- हरियाणा के महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि तकनीक और कौशल देश को विकास को लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं। तकनीक का यह ज्ञान विद्यार्थियों को हिंदी में भी मिलना चाहिए। हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व है। महामहिम राज्यपाल शुक्रवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ऑनलाइन माध्यम से मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। “तकनीकी और कौशल शिक्षा की परिवर्तनकारी गतिशीलता” विषय पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन फ्रांस, ओमान और नेपाल सहित विभिन्न देशों के कुल 87 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सभी शोध पत्र हिंदी में लिखे गए हैं।
महामहिम राज्यपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में देश-विदेश से जुड़े विद्वानों को हिंदी में शोध पत्र प्रस्तुत करने पर बधाई दी और भविष्य में और अधिक शोध के लिए प्रोत्साहित किया। इस भव्य आयोजन के लिए उन्होंने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के नवाचारी कुलपति डॉ. राज नेहरू को बधाई देते हुए कहा कि यह बड़ा प्रयास है। भविष्य में इसके सुखद परिणाम सामने आंएगे। महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय जी ने कहा हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तैयार हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में यह बड़ा गंभीर और महत्वाकांक्षी प्रयास है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प हिंदी में भी मिलना चाहिए। कुलपति डॉ. राज नेहरू के इस प्रयास को जितना सराहना की जाए उतनी कम है। इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व भर के विद्वानों को इंजीनियरिंग, साइंस, ह्यूमैनिटीज, मैनेजमेंट और एग्रीकल्चर के क्षेत्र में हो रहे नए एवं अभिनव प्रयोगों के विषय में जानने का शुभ अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देश को विकसित भारत बनाने का दृढ़ लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने में कौशल बहुत बड़ा महामंत्र है और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय कौशल की अनुपम प्रयोगशाला है। महामहिम राज्यपाल ने इस सम्मेलन की संयोजक कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा, अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ और डीन प्रोफेसर ऋषिपाल को बधाई दी।