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    अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस

    आइए हम सब मिलकर नशाखोरी का प्रतिकार करें

    नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या वैश्विक स्तर पर भयानक रूप से फैल चुकी है। इस वर्ष के विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस का विषय पीपुल फर्स्ट – कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम बढ़ाएं पूरी तरह उपयुक्त है। यह एक कटु वास्तविकता है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक व सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इससे निश्चित रूप से उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक कष्ट और आघात पहुंचता है। वे आवश्यक मदद से भी वंचित रह जाते हैं। इससे उनका और उनके परिवारों का जीवन दयनीय और कठिन बन जाता है, इसलिए, नशीली दवाओं से छुटकारा पाने की नीतियों के लिए एक जन-केंद्रित सोच की आवश्यकता है, जो मानव अधिकारों और करुणा पर लक्ष्यित हों। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के पीड़ितों की सामाजिक और भावनात्मक उपचार के साथ मदद करना और साथ ही नशीली दवाओं और अवैध तस्करी के बढ़ते जाल के बारे में प्रभावी कदम उठाना एक बड़ा और मुश्किल कार्य है। अपने देश को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों और एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
    इस वर्ष का विश्व ड्रग दिवस, मादक पदार्थों का उपयोग करने वाले लोगों और उनके परिवारों पर लगने वाले कलंक और भेदभाव के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने और ड्रग्स का उपयोग करने वाले लोगों में एड्स और हेपेटाइटिस महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इन रोगों के रोकथाम कार्यक्रमों का विस्तार करने और उन्हें मजबूत करने पर केंद्रित है। इनमें ड्रग्स का उपयोग करने वाले सभी लोगों के लिए साक्ष्य-आधारित, स्वैच्छिक सेवाओं को बढ़ावा देना; नशीली दवाओं के उपयोग के विकारों, उपलब्ध उपचारों और शीघ्र हस्तक्षेप और सहायता के महत्व के बारे में शिक्षित करना; नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों जैसे समुदाय-आधारित उपचार और सेवाओं के लिए कारावास के विकल्पों की समर्थन; भाषा और व्यवहार को बढ़ावा देकर नशे से जुड़े कलंक और भेदभाव का मुकाबला करना शामिल है।
    आइए, एक बार वैश्विक स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग की भयावहता पर एक नजर डालें। यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट-2022 के अनुसार, 2020 में दुनिया भर में 15-64 आयु वर्ग के लगभग 28.40 करोड़ लोग नशीली दवाओं का उपयोग कर रहे थे, जो पिछले दशक की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक है। इस रिपोर्ट के अनुसार और अधिक युवा अधिक मादक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, कई देशों में इनका उपयोग पिछली पीढ़ी की तुलना में बढ़ गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 1.12 करोड़ लोग ड्रग्स के इंजेक्शन का उपयोग कर रहे थे। इस संख्या का लगभग आधा हेपेटाइटिस सी से पीड़ित था, 14 लाख एचआईवी से ग्रस्त थे, और 12 लाख ऐसे हैं जो दोनों समस्याओं से पीड़ित थे। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नशीली दवाएं एक गंभीर समस्या है, जो दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।
    2018 के दौरान एम्स नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) गाजियाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि भारत में मादक पदार्थों के उपयोग और रूझान के अनुसार, 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों में शराब, भांग, अफीम, इनहेलेंट, कोकीन, और कई प्रकार के उत्तेजक (एटीएस) और मतिभ्रम दवाओं का सेवन 6.06 प्रतिशत है जबकि 18 से 75 वर्ष की आयु के 24.71 प्रतिशत वयस्क इसमे लिप्त पाए गए। नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और उन्हें नशीली दवाओं के दलदल से बाहर निकालने में मदद करने की सामूहिक जिम्मेदारी हम सब की है। यदि प्रत्येक हितधारक इस संबंध में किए जा रहे सरकारी प्रयासों में सहयोग करें तो इनसे मुकाबला करना आसान हो जाएगा।
    सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत भारत सरकार नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR) के अनुसार एक योजना लागू कर रही है, जिसके अंगर्गत निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, कौशल विकास के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। नशीली दवाओं के व्यसन से पीड़ितों के लिए विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण और आजीविका में सहयोग हेतु 2020-21 के दौरान NAPDDR के तहत 285590 लाभार्थी थे। अधिकांश लाभार्थी आंध्र प्रदेश (15295), दिल्ली (17019), हरियाणा (6940), हिमाचल प्रदेश (12619), मध्य प्रदेश (28929), पंजाब (9555), राजस्थान (22103), तेलंगाना (6620), उत्तर प्रदेश से थे। (16503) और पश्चिम बंगाल (7639) से थे।
    इसी तरह, नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) अगस्त 2020 में शुरू किया गया था, जिसके तहत महिलाओं, बच्चों, शैक्षणिक संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों आदि जैसे हितधारकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मादक पदार्थों के उपयोग से प्रभावित हो सकते हैं। अब तक जमीनी स्तर पर की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 12 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचा जा चुका है। चार हजार से अधिक युवा मंडल, नेहरू युवा केंद्र (एनवाईके) और एनएसएस स्वयंसेवक, युवा मंडल भी नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़े हुए हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों और आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, महिला मंडलों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से एक बड़े समुदाय तक पहुंचने में 2.05 करोड़ से अधिक महिलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत देश भर में अब तक 1.19 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों और युवाओं को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में शिक्षित करने के लिए गतिविधियां आयोजित की गई हैं।
    हरियाणा राज्य में मादक पदार्थों की लत को जड़ से समाप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (1985 का केन्द्रीय अधिनियम-61) के अंगर्गत नियम अधिसूचित किये गये है। ये नियम हरियाणा नशामुक्ति केन्द्र नियम-2010 कहे जाते हैं। इन नियमों के नियम-6 के अंतर्गत प्रावधान अनुसार अनुज्ञप्ति प्राप्त करके ही हरियाणा राज्य में नशामुक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा सकता है। फिलहाल हरियाणा राज्य में स्वास्थ्य विभाग, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की प्रदेश व जिला स्तरीय संस्थाए, हरियाणा राज्य बाल परिषद् की संस्थाए एवं स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा 104 नशामुक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। इसके इलावा पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी, रोहतक तथा मेडिकल कॉलेजो में स्थापित नशा मुक्ति एवं परामर्श केन्द्रों के माध्यम से भी इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे है।
    शराबखोरी और मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राज्य पुरस्कार योजना के तहत योजना के उद्देश्यों को लागू करने के लिए राज्य पुरस्कारों को मान्यता देने के दृष्टिकोण से शुरू किया गया था। ये पुरस्कार हर साल सबसे प्रभावी या उत्कृष्ट सेवाओं के लिए व्यक्तिगत और संस्थानों द्वारा दुरूपयोग की रोकथाम में किए सराहनीय कार्य हेतू दिए जाते हैं। 15 अगस्त 2020 को शुरू किए गए नशा मुक्त भारत अभियान में भारत के 272 जिलों को शामिल किया गया था जिनमे 10 जिले हरियाणा के थे।
    नशीली दवाओं के दुरुपयोग की चुनौती से निपटने और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है, यह देखकर वास्तव में प्रसन्नता होती है। हालांकि, नशीली दवाओं की समस्या के हर पहलू से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों के बारे में आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, हमारे लोगों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से रोकने और उन्हें बचाने के लिए सभी हितधारकों को और अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को अवैध दवा आपूर्ति श्रृंखला, मादक द्रव्य आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए, विशेष रूप से बड़े शहरों और सीमावर्ती क्षेत्रों में मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में एक प्रभावी निगरानी बढ़ाने के लिए पुलिस बलों सहित केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय महत्वपूर्ण है।
    अक्सर हम संपन्न, संभ्रांत और मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों को पब में प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करते हुए पकड़े जाने के बारे में पढ़ते और सुनते हैं, इसके लिए लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सख्त किया जाना चाहिए और ऐसी संस्थाओं का लाइसेंस रद्द करने में तेजी लाई जानी चाहिए। साथ ही, मैं नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे की जांच में समाज के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका देखता हूं। समाज को इस प्रकार के मादक पदार्थों और आपूर्तिकर्ताओं का बहिष्कार करना चाहिए। एक सामाजिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जहां नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार लोगों का उचित पुनर्वास किया जाना चाहिए और नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। माता-पिता को भी सलाह दी जानी चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करें और उन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से दूर रखें। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ हमारी लड़ाई में मजबूत पारिवारिक मूल्य हमारे लिए शक्तिशाली अस्त्र होंगे।
    इसी तरह, हमें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और उनके नतीजों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक डिजिटल सामग्री चाहिए। हम पाठ्य पुस्तकों और फिल्मों में संबंधित अध्यायों के साथ-साथ जनता को नशीली दवाओं के जाल में पड़ने के विरुद्ध जागरूक कर सकते हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग की जांच करने की ही नहीं बल्कि इसके पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाने की सोच आवश्यक है, उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करने के बजाय, हमें उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए ताकि वे अपनी गलतियों का एहसास कर सकें और सामान्य जीवन में लौट सकें। यह हमारे लिए इस अवसर पर आगे बढ़ने और स्वस्थ, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे को समाप्त करने का सही समय है!
    विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाना केवल तभी सार्थक हो सकता है जब एक जागरूक समाज के रूप में हम सब एक साथ मिल कर इस बुराई के विरुद्ध सामूहिक प्रयास करें। सामाजिक संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं व पंचायती राज तथा स्थानीय निकायों के सहयोग से नशे पर काबू पाया जा सकता है। नशे से जुड़े किसी भी पदार्थ का उपयोग शौक के रूप में भी नही करना चाहिए। हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना चाहिए। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमे हर प्रकार के नशे जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए। नशा मुक्ति के लिए सबसे जरुरी यह है, कि हम स्वयं इसके प्रति जागरूक बनें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने तथा अपने समाज के सभी लोगो को इस समस्या से मुक्त कराएं ।
    (लेखक हरियाणा के राज्यपाल हैं। व्यक्त किए गए विचार नितांत व्यक्तिगत हैं।)

    • Author : माननीय राज्यपाल, हरियाणा बंडारू दत्तात्रेय
    • Subject : अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस
    • Language : Hindi
    • Year : 2023