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    हरियाणा निवास में आयोजित दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन

    Publish Date: मई 15, 2022

    चण्डीगढ़,15 मई। शिक्षा जगत से जुड़े सभी शिक्षाविद, अधिकारी सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रतिभाशाली युवा धन के आभाव में उच्च शिक्षा से वंचित न रहे और लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दें। यह बात हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने रविवार को हरियाणा निवास में आयोजित दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन के समापन अवसर पर कही।
    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि विश्वविद्यालयों को छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रयोग करने, शौध, नवाचार व रोजगार के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसके लिए संशाधन जुटाने की जिम्मेवारी विश्वविद्यालयों की है। विश्वविद्यालय अपने परिसरों में प्लेसमैंट सेल, इन्क्यूबेशन सेंटर, इनोवेशन सेंटर व स्किल डेवलपमैंट सेंटर स्थापित कर छात्रों को स्वरोजगार के लिए तैयार करें ताकि दूसरों के लिए भी रोजगार सृजन करने में सक्ष्म हों। विश्वविद्यालय गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध करवाएं इसके लिए विदेशी विश्वविद्यालयों से एमओयू साईन करें। जिससे विश्वविद्यालयों का ग्रेड बढ़े। उन्होंने कहा कि भारत के छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए 51 हजार करोड़ रूपये की राशि खर्च करते हैं। इस राशि को देश में बचाने के लिए हमें गुणवत्ता की शिक्षा की ढांचागत सुविधाएं तैयार करनी होंगी।
    उन्होंने कहा कि नवीनतम प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन आदि से जोड़कर छात्रों को तैयार करना होगा। वर्तमान में इन क्षेत्रों मंे रोजगार के अपार संभावनाएं हैं।
    श्री दत्तात्रेय कहा कि राष्ट्र का सर्वागींण विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों में नैतिक मूल्यों की एक बड़ी भूमिका है, जिसके लिए हमें अपने बच्चों को व्यावहारिक व नैतिक शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। शिक्षा प्रणाली में हमें देश के समृद्ध मूल्यों, नैतिकता को बनाए रखना है, ताकि युवा वर्ग हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास से अवगत हो और मानवीय मूल्यों का अपने जीवन में समावेश करें।

    उन्होंने कार्यशाला में शामिल कार्यसूचि के विषय प्लेसमेंट, स्वरोजगार, उद्यमिता और ऊष्मायन, प्रशासन, परीक्षाएं, शिक्षण इन सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श को प्रभावी रूप देने की अपील की।
    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल सीखने की जगह हैं बल्कि एक ऐसी जगह जहां छात्र एक समावेशी और आत्म निर्भर भारत बनाने के लिए तैयार हों।
    उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक अभिभावक की भूमिका भी निभाते हैं। माता-पिता के रूप में हम अपने बच्चों के भविष्य के बारे में बहुत चिंतित हैं, ऐसे ही विश्वविद्यालयों को भी अपने छात्रों के लिए एक मित्र, मार्गदर्शक, आलोचक, दार्शनिक, अभिभावक और संरक्षक की भूमिका निभानी चाहिए। शिक्षा में यदि कहीं कमी रह जाए तो हमें उनके लिए नियमित ट्यूटोरियल कक्षाओं की व्यवस्था करने की जरूरत है। विश्वविद्यालय अध्यापकों के रिफ्रेश कोर्स भी करवाएं।
    उन्होंने कहा कि हमें समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों, विशेषकर हमारे ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों व लड़कियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा।
    राज्यपाल श्री दत्तात्रेय कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारत का एक नया भविष्य बनाने के लिए अचूक मंत्र दिया है। इस मंत्र को मूर्तरूप देने के लिए तंत्र को मजबूत करना है।
    उन्होंने संस्कृत के श्लोक बोलते हुए कहा किः
    शनैः पन्थाः शनैः कन्था शनैः पर्वतमस्तके।
    शनैः विद्या शनैः वित्तं पञ्चौतानि शनैः शनैः ॥
    यानि धैर्य के साथ रास्ता तय करना, धीरे-धीरे चादर सीलना और धीरे-धीरे पहाड़ चढ़ना चाहिए। विद्यार्जन और धनोपार्जन भी धीरे-धीरे करना चाहिए। अर्थात पूरे अध्ययन के साथ अर्जित की गई विद्या ही फलदायक होती है। इसलिए अध्यापकों, प्रध्यायकों को चाहिए कि विद्यार्थियों को हर प्रकार की शिक्षा की बारीकी बताएं। इस सम्मेलन में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने अपने-अपने शैक्षणिक व विकासात्मक गतिविधियों के बारे में बताया।
    इस अवसर पर हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद अध्यक्ष प्रो बी के कुठियाला, अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्चतर शिक्षा विभाग श्री आनंद मोहन शरण, महानिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग श्री राजीव रत्न जी व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण उपस्थित रहे।