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    सूर्यकवि पंडित लख्मी चंद जी की प्रतिमा अनावरण समारोह, सुपवा, रोहतक

    Publish Date: अप्रैल 28, 2022

    आदरणीय श्री अरविन्द शर्मा जी, सांसद, रोहतक
    आदरणीय श्री रमेश कौशिक जी, सांसद, सोनीपत
    आदरणीय श्री गजेन्द्र चौहान जी, कुलपति, पीएलसी, सुपवा, रोहतक
    आदरणीया प्रो0 अनीता सक्सेना जी, कुलपति, च्ळप्डै,रोहतक
    प्रो0 राजबीर सिंह जी, कुलपति, एमडीयू, रोहतक
    श्री मनीष ग्रोवर जी, पूर्व मंत्री हरियाणा
    आदरणीय श्री विष्णु जी, उपस्थित अधिकारीगण, प्रोफेसर साहेबान, सभी कर्मचारीगण, प्रिय छात्रों, भाइयों -बहनों, पत्रकार एवं छायाकार बंधुओं!
    पंडित लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स, रोहतक में पहुंच कर मैं बहुत ही प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं।
    सबसे पहले मैं, महान कवि, भारतीय संस्कृति के संवाहक पंडित लख्मी चंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को अपनी सांग व गाथा शैली के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
    उनके पौत्र श्री विष्णु जी भी यहां उपस्थित हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं। विष्णु जी पंडित लख्मी चंद जी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
    पंडित लख्मी चंद जी को रागनी और सांग की हरियाणवी संगीत शैली के ‘‘सूर्य कवि’’ का सम्मान दिया गया है। हरियाणवी साहित्य में योगदान के लिए साहित्यकारों को हर साल हरियाणा कला परिषद, पंडित लख्मी चंद पुरस्कार प्रदान करती है, इससे साहित्यकारों का हौंसला बढ़ता है। पंडित लख्मी चंद की लोकप्रिय रचनाओं में राजा हरिश्चंदर, सेठ ताराचंद, हीर रांझा, राजा गोपीचंद, मीरा बाई और भगत पूरनमल की गाथाएं व सांग शामिल हैं।
    इन सभी रचनाएं में भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। पंडित लख्मी चंद जी के सांग रूपी साहित्य में मानवीय व सामाजिक मूल्यों का बेजोड़ समावेश है। यह साहित्य आज भी वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रासंगिक है।
    भारतीय संस्कृति सामाजिक और नैतिक मूल्यों के कारण ही समृद्ध है। इन्हीं मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने में पंडित लख्मी चंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे आज आपका विश्वविद्यालय और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
    मैं आप सभी को विश्वविद्यालय परिसर में इस महान व्यक्ति की प्रतिमा के अनावरण अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    पिछले कुछ वर्षों में पीएलसी सुपवा, रोहतक हरियाणवी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने से एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बनाए गए कलात्मक उत्पादों में हरियाणवी परंपराओं की अच्छी छाप देखने को मिली है। विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘लोकल फॉर वोकल‘ के विचार को आगे बढ़ाया है।
    अपने थोड़े से ही काल में ही विश्वविद्यालय ने विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रतिभाएं दी है। विश्वविद्यालय के प्रयासों की बदौलत आज बॉलीबुड तक भी हरियाणवी संस्कृति का डंका बज रहा है।
    अब श्री गजेन्द्र चौहान जी ने कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला है, इससे विश्वविद्यालय और प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।
    साथियों ! आज के समय में डिजिटल प्रणाली, टेक्नोलॉजी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व रोजगारोन्मुखी शिक्षा के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
    विश्वविद्यालयों को नई प्रौद्योगिकियों और युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। आज इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईटोटी), ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा ऐसे उभरते क्षेत्र हैं जहां पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए विश्वविद्यालय अपनी फैकल्टी में नई टैक्नोलिजी का प्रयोग कर छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में खड़े होने के लिए तैयार करें।
    विश्वविद्यालयों से छात्रों में उद्यमशीलता के कौशल को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय में इनक्यूबेशन सेंटर, इनोवेशन सेंटर, कैरियर कौन्सिलिंग सेंटर व आधुनिक लेब स्थापित कर पूर्व छात्रों का सहयोग लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों को उद्यमिता के क्षेत्र के लिए तैयार करने पर विशेष फोकस करना है।

    विश्वविद्यालयों में रिसर्च/अनुसंधान व नवाचार गतिविधियों से संबधित सभी सुविधाओं को बढ़ाना होगा। इसके साथ-साथ छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए फील्ड में ले जाया जाए जहां प्रदर्शनी, कार्यशाला आदि में शामिल होकर छात्रों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा।
    मेरा सुझाव है कि पीएलसी सुपवा जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों को भी अब एक थिंक टैंक की भूमिका निभानी चाहिए और उन मुद्दों के बारे में एक पेशेवर और उद्देश्यपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए जो देश में उच्च शिक्षा के मानकों को और सुदृढ़ करें। इससे अध्यापकों और छात्रों को सीखने-सीखाने के अवसर मिलेगें।
    विश्वविद्यालयों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग सहित समाज के कमजोर वर्ग व ग्रामीण पृष्ठ भूमि से आने वाले छात्रों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों ने कोरोना महामारी में दो बहुमूल्य वर्ष खो दिये हैं। विश्वविद्यालय को विशेष कक्षाएं संचालित करके उन वर्षों को कवर करने की भी योजना बनानी चाहिए।
    हमें हमारी नई पीढ़ी के लिए गुणवत्ता की शिक्षा से संबधित सभी नए साधनों का प्रयोग करना है। यही तभी हो सकता है जब हम देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में तैयार की गई नई शिक्षा नीति को शत-प्रतिशत लागू कर पाएं। इस शिक्षा नीति से देश को नई दिशा मिलेगी और युवा पीढ़ी का भविष्य स्वर्णिम होगा। मेरा विश्वास है कि आप सभी युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर देश को आत्म निर्भर बनाने में अपना योगदान देगें।
    एक बार फिर मैं कुलपति श्री गजेन्द्र चौहान जी और उनकी पूरी टीम का धन्यवाद करता हूं। साथ ही विश्वविद्यालय और छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं।
    धन्यवाद जयहिन्द!