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    श्री वामन अवतार पूजा महोत्सव, अम्बाला

    Publish Date: सितम्बर 6, 2022

    श्री रतन लाल कटारिया जी, सांसद, अम्बाला क्षेत्र
    श्री असीम गोयल जी, विधायक, अम्बाला
    सुश्री कविता गोदिंयाल जी,
    प0 पवन गोदिंयाल जी,
    श्री नरेश अग्रवाल जी, प्रधान एवं मेला सयोजक
    श्री अरविन्द अग्रवाल जी
    उपस्थित श्रद्धालुगण, भाईयो व बहनो!
    आज श्री वामन भगवान जी से जुड़े इस ‘श्री वामन अवतार पूजा कार्यक्रम‘ में पहूॅंच कर स्वयं को बहुत ही धन्य महसुस कर रहा हूॅं। इसके लिए मैं अयोजकों का धन्यवाद करता हूॅं और आप सभी प्रदेशवासी, श्रद्धालु भाई-बहनों को वामन द्वादशी मेले की शुकामनाएं एवं बधाई देता हूॅ।
    नमः शांग धनुर्याण पाठ्ये वामनाय च।
    यज्ञभुव फलदा त्रेच वामनाय नमो नमः।।
    जो व्यक्ति भक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक वामन भगवान की पूजा करते हैं, वामन भगवान उनको सभी कष्टों से उसी प्रकार मुक्ति दिलाते हैं जैसे उन्होंने देवताओं को राजा बलि के कष्ट से मुक्त किया था।
    भाईयो-बहनों!
    श्री वामन भगवान को विष्णु जी के पांचवे अवतार हैं। विष्णु भगवान के आशीर्वाद से वामन भगवान का जन्म हुआ। जब दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मां अदिति बहुत दुखी हुईं। उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु भगवान की आराधना की थी।
    इससे प्रसन्न होकर विष्णु भगवान प्रकट होकर बोले- देवी! चिंता मत करो। मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया राज्य दिलाऊंगा। समय आने पर उन्होंने मां अदिति के गर्भ से वामन के रूप में अवतार लिया। उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे।
    एक दिन उन्हें पता चला कि राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेध यज्ञ करा रहा है। यह जानकर वामन वहां पहुंचे। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बैठाकर उनका सत्कार किया और अंत में उनसे भेंट मांगने के लिए कहा।
    इस पर वामन चुप रहे। लेकिन जब बलि उनके पीछे पड़ गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर ‘तीन पग‘ भूमि भेंट में मांगी। बलि ने उनसे और अधिक मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर ‘तीन पग‘ भूमि देने का संकल्प ले लिया। संकल्प पूरा होते ही वामन का आकार बढ़ने लगा और वे वामन से विराट हो गए।
    उन्होंने एक पग से पृथ्वी और दूसरे से स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। वह बोला- प्रभु! सम्पत्ति का स्वामी सम्पत्ति से बड़ा होता है। तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दें। सब कुछ गंवा चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन प्रसन्न हो गए। उन्होंने ऐसा ही किया और बाद में उसे पाताल का अधिपति बना दिया और देवताओं को उनके भय से मुक्ति दिलाई थी।
    इसी प्रकार समय-समय पर मानवता को असुरों, राक्षकों से मुक्ति दिलाने के लिए महान आत्माओं ने जन्म लिया था। आज देश में उन्ही महात्माओं और महापुरूषों के जीवन परिचय से वर्तमान पीढ़ी को ओत-प्रोत करने के लिए उत्सव और त्योहार का आयोजन किया जाता है। इसलिए भारत वर्ष को त्योहार, उत्सवों व मेलों का देश कहा जाता है।
    यहां विभिन्न ऋतुओं, मौसमों, शहीदों, ऋषियों, महात्माओं व वीर शहीदों के जन्म दिवस पर उन्हें याद करने के लिए त्यौहार व उत्सव मनाए जाते है। जिस प्रकार दक्षिण भारत में महामहम, उगादी, हम्पी उत्सव, पोंगल, करागा तथा ओणम मनाए जाते हैं। उसी प्रकार उत्तर भारत में रक्षाबंधन, वैसाखी, पुर्णिमा, दशहरा, दीपावली, होली, गुरूपूर्व आदि मनाए जाते हैं।
    बहुत से त्योहार क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा, दिवाली, दशहरा पूरे देश में बड़े उत्साह व उल्लास से मनाए जाते हैं। इन सबका मकसद एक ही है देश की संस्कृति सभ्यता को समृद्ध करना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना।
    हमारे हरियाणा में सबसे बड़ा त्योहार हम गीता महोत्सव के रूप में मनाते हैं। जिसमें विभिन्न देशों के लोग आते हैं। मैंने आज ही इस महोत्सव के लिए हमारे राष्ट्रपति श्री मति द्रोपदी मुर्मू जी व उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड जी को आमंत्रित किया है।
    सनातन धर्म सभा बधाई की पात्र है कि संस्था लगभग 130 वर्षों से श्री वामन भगवान पूजा उत्सव का आयोजन करती आ रही है। यह उत्सव राज्य स्तरीय उत्सव है। इस उत्सव में हरियाणा ही नहीं उत्तर भारत से श्रद्धालु वामन भगवान के दरबार में माथा टेकने आते हंै। भक्तों की ऐसी मनोकामना है कि जो भी वामन भगवान के दरबार में श्रद्धा पूर्वक सिर नवाता है उसकी अन्न, धन, व संतान की सभी मनोकामनंाए पूर्ण होती हंै।
    मेरा मानना है कि वामन द्वादशी का पावन उत्सव देश व प्रदेश वासियों के लिए बहुत शुभ व फलदायी है, जो देश में शांति, सद्भाव, प्रगति, खुशहाली लेकर आया है।
    एक बार फिर मैं आप सभी को इस पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
    जय हिन्द!