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    श्रीराम कथा, कुरूक्षेत्र

    Publish Date: नवम्बर 20, 2022

    संत प्रवर परम श्रद्धेय श्री मोरारी बापू जी
    श्रद्धेय गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज
    आयोजक मण्डल के सभी सम्मानित पदाधिकारी, सदस्यगण उपस्थित श्रद्धालु भाईयों-बहनों व मीडिया के बंधुओं!
    सबसे पहले मैं गीतास्थली कुरूक्षेत्र में परम श्रद्धेय श्री मोरारी बापू जी का हार्दिक स्वागत एंव अभिनंदन करता हूं। साथ ही सभी साधकों, श्रद्धालु, भाई-बहनों तथा सभी प्रदेशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई देता हूं।
    आजादी के अमृत काल में आयोजित मानवमात्र को संस्कारित करने वाली रामकथा में आकर मुझे असीम शांति व सुख का अनुभव हो रहा है। ऐसे धार्मिक आयोजनों से समाज में सुख, शांति व समरसता आती है। रामकथा सुनकर सकारात्मक विचार आते हैं और लोग नकारात्मकता से बाहर आते हैं। इस प्रकार रामकथा विश्व के कल्याण का सूत्र है। धार्मिक आयोजनों से मन में स्वच्छता और संतुष्टि मिलती है, जो शांतिमय जीवन के लिए बेहद जरूरी है। व्यक्ति के जीवन में शांति है तो समृद्धि है।
    जब देश व प्रदेश के लोग कुरूक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की आभा से सराबोर हैं। आज कुरूक्षेत्र में भारतीय सनातन संस्कृति के दो महान प्रेरणादायक शास्त्रों का संगम हुआ है। हम सबका सौभाग्य है कि हम श्री मोरारी बापू जी की पावन वाणी से हम कथा सुन रहे हैं।

    तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के माध्यम से श्रीराम के चरित्र को प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को स्थापित किया, क्योंकि सामाजिक मूल्य व्यक्ति के हित और स्वार्थ से ऊपर होते हैं। श्रीराम ने भी सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए उन्हें अपने जीवन में उतारा। शबरी की भक्ति को पूरा करने के लिए उनके झूठे बेर खाकर भगवान श्री राम सामाजिक समरसता के प्रतीक बने। श्री राम ने अपने शासन काल में संपूर्ण प्रजा के सुख, शांति, समृद्धि, समानता, कल्याण भी भावना से राम राज्य की स्थापना की।
    श्रीराम का चरित्र लोकमानस का आदर्श चरित्र है। वे हमारे दैनिक जीवन के प्रेरणा-स्रोत हैं। वे आदर्श व्यक्ति हैं, महानायक हैं, वे ईश्वर के अवतार हैं, दीनानाथ हैं।
    श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम और आदर्श के प्रतिष्ठापक हैं। इस भारतभूमि के वे इतिहास ही नहीं, वर्तमान और भविष्य भी हैं। राम सृष्टि के कण-कण में विद्यमान हैं। वे अन्न और जल के समान सुलभ हैं। वर्तमान राजनैतिक आपाधापी, सामाजिक अस्थिरता और भौतिक आकर्षण के समय में श्रीराम के साहस और आदर्श का स्मरण होते ही एक आदर्श समाज की संरचना हृदय-पटल पर चित्रित हो जाती है।

    समाज की वर्तमान स्थिति में श्रीराम कथा प्रकाश स्तम्भ की तरह जीवन की राह दिखलती है। समाज में अनेक प्रकार की विकृतियां और कुरीतियां हैं। आज का रावण दस नहीं, असंख्य चेहरों में जी रहा है। ऐसे में श्रीराम कथा ही देश व समाज का सहारा है। इस कथा के आयोजन के लिए मैं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का धन्यवाद करता हूं और श्री मोरारी बापू जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं जिन्होंने देश में ही नहीं विदेशों में भी श्रीराम कथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति का परचम फहराया है।
    अंत में आप सबको इस पावन अवसर पर पुनः हार्दिक शुभकामनाएं।
    जय हिन्द!