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    ‘‘विश्व वैष्णव सम्मेलन‘‘, कुरूक्षेत्र

    Publish Date: अगस्त 25, 2022

    आदरणीय भक्ति सुन्दर सन्यासी महाराज जी
    आदरणीय श्री सुभाष सुधा जी, विधायक, कुरूक्षेत्र
    आदरणीय श्री नायब सिंह सैनी जी, सांसद, कुरूक्षेत्र
    आदरणीय भक्ति विचार विष्णु महाराज जी
    आदरणीय भक्ति गौरव गिरी महाराज जी
    आदरणीय भक्ति तिलक निसकिंचन महाराज जी
    आदरणीय भक्ति सरबासवा गोबिन्दा महाराज जी
    आदरणीय भक्ति दीपक श्रीधर महाराज जी
    आदरणीय भक्ति बैभव आश्रम महाराज जी
    आदरणीय भक्ति रक्षक हरिशीकेश महाराज जी
    उपस्थित पदाधिकारिगण, महानुभाव, श्रद्धालुगण, भाईयों-बहनों और मीडिया के बन्धुओं!

    सबसे पहले मैं स्वामी श्रील भक्तिसिद्धान्त प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती के अवसर पर देश-प्रदेशवासियांे तथा सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ और जयंती अवसर पर ‘‘विश्व वैष्णव सम्मेलन‘‘ के आयोजन के लिए श्री व्यास गोड़िया मठ को हार्दिक बधाई देता हूँ।
    मैं आज स्वामी श्रीमद भक्तिसिद्धांत प्रभुपाद के 150वीं जयंती कार्यक्रम में शामिल होकर अत्यंत ही गर्व और गौरव महसूस कर रहा हूं।
    भारतीय संस्कृति में विभिन्न सम्प्रदायों, ऋषियों, मुनियों, मठों, मंदिरों व सन्त महात्माओं का एक सम्मानीय स्थान है और इन सभी समुदायों व विभुतियों ने समय-समय पर देश व समाज को नई दिशा दी है, जिससे मानव को अलौकिक दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है और मानव जीवन के विकास में निरंतरता आई है। वैष्णव सम्प्रदाय की इस विचारधारा को बढ़ाने में गोड़िया मठ ने अपनी जिम्मेवारी निभाई है। इसके लिए मठ के सभी श्रद्धालुगण बधाई के पात्र हैं।
    कुरूक्षेत्र की इस पवित्र भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने मानव कल्याण के लिए गीता का उपदेश देकर समस्त संसार में अपनी आभा को बिखेरा तथा भगवान विष्णु की सदाचारी, सर्वाेच्च, दीप्तिमान, अतुल्य, बद्री, दक्ष तथा चरित्रवान नामकरण परम्परा को आगे बढ़ाया।
    मैं भगवान विष्णु तथा भगवान श्री कृष्ण को नमन् करते हुए इस पवित्र भूमि कुरूक्षेत्र को नत-मस्तक होता हूं। अपने उपदेशों में भगवान श्री कृष्ण ने कहा भी है-
    यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
    स यत्प्रमाणं कुरूते लोकस्तदनुवर्तते।।
    अर्थात् श्रेष्ठ पुरूष जैसा आचरण करते हैं, अन्य पुरूष भी वैसा ही आचरण करते हैं। वह पुरूष जो कुछ प्रमाण करता है, समस्त मुनष्य-समुदाय उसी के अनुसार व्यवहार व सदाचार करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रेष्ठ आचरण का ही विश्व को गीता का संदेश दिया है इसी लिए आज वे मानवता के आदर्श हैं।
    वैष्णव सम्प्रदाय भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालो का सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक भगवान श्री कृष्ण जी हैं। ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज इन छः गुणों से सम्पन्न होने के कारण ही श्री कृष्ण जी को भगवान माना गया है। श्री कृष्ण जी शास्त्रों में विष्णु का अवतार माने जाते हैं। मत्स्यपुराण में भगवान विष्णु के दस (10) अवतार माने गए हैं। कुरूक्षेत्र धर्मक्षेेत्र की अड़तालिस (48) कोस की इस पावन भूमि में सभी दस (10) अवतारों के स्थानक है। ये हम सब के लिए गर्व का विषय यानि कुरूक्षेत्र की यह धरा पूरे विश्व में अलौकिक दिव्य प्रकाश की जननी है।
    भगवान विष्णु जी व भगवान श्री कृष्ण के आदर्श व उपदेशों का अपने जीवन में अनुशरण कर भक्तिसिद्धांत स्वामी प्रभुपाद ने भागवत् संदेश को देश-विदेश में जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया ।
    भक्तिसिद्धांत स्वामी प्रभुपाद विशूद्ध रूप से कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक थे, जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण भावना व श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीया संप्रदाय के आचार्यो की वाणी व शिक्षाओं को पश्चिमी जगत में पहुंचाने का काम किया।
    स्वामी श्रीमद् भक्तिसिद्धांत ने प्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर के निकट 6 फरवरी 1874 उड़ीया परिवार में जन्म लेकर श्रीमद् भगवतगीता का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय और पश्चिमी इतिहास, दर्शन शास्त्र और धर्म शिक्षा में स्वतंत्र रूप से अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया और रॉयल लाइब्रेरी तक पहुंच प्राप्त की।
    प्रभुपाद जी महाराज ने हिन्दी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी व अन्य भाषाओं के माध्यम से वैदिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार का कार्य किया। 1918 से श्रीमद् भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद ने एक धर्मार्थ व परोपकारी सगंठन के रूप में गोड़िया मठ का कायाकल्प किया। बाद में इसका नाम बदल का गोड़िया मिशन कर दिया गया।
    आज गोड़िया मिशन भारत सहित विश्व के सैंकड़ों देशों में मठों-मन्दिरों के माध्यम से श्रीमद् भगवतगीता की शिक्षाओं, उपदेशों व भारतीय दर्शन के प्रचार-प्रसार में लगा है।
    अपने संक्षिप्त जीवन काल के दौरान, श्रीमद् भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद ने देश और विदेश में मंदिरों के साथ-साथ चौंसठ (64) मठों (मंदिर) की स्थापना की। उन्होंने दुनिया में भागवत संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपने पहले वैष्णव अखबार और पांच पत्रिकाओं के प्रकाशन के साथ-साथ संस्कृत, बंगाली, हिंदी, उड़ीया और अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की।
    आज के इस पावन पवित्र अवसर पर जब हम श्री भक्ति सिद्धांत प्रभुपाद जी की 150वीं जयन्ती मना रहे है। इस मौके पर श्री परमहंस योगानन्द जी को याद किए बिना नहीं रह सकते। उन्होंने भारतीय योग, दर्शन एवं श्रीमद्भगवत गीता के प्रचार-प्रसार के लिए Yogda Satsang Society of India, Self Realization Fellowship का गठन कर आने वाली पीढ़ीयों को अध्यात्म की ओर आकर्षित करने के लिए प्रेरित किया।
    उन्होंने अपनी “The Divine Romance”पुस्तक में लिखा है कि आप एक सपने के रूप में पृथ्वी पर चल रहे हैं। हमारी दुनिया एक सपने के भीतर एक सपना है; आपको यह महसूस करना चाहिए कि ईश्वर को पाना ही एकमात्र लक्ष्य है, एकमात्र उद्देश्य, जिसके लिए आप यहां हैं। केवल उसके लिए आप मौजूद हैं। वह तुम्हें खोजना होगा। यह श्रीमद ्भगवतगीता के अध्ययन से ही संभव है। उन्होंने अपनी श्रीमद् भगवतगीता पुस्तक में ‘‘God Talks With Arjun ‘‘ के माध्यम से भारतीय दर्शन, मानवीय गुणों और भारतीय शिक्षा व संस्कारों का वर्णन कर वर्तमान पीढ़ी को संस्कारिक मुल्यवान शिक्षा देने का प्रयास किया है।
    हमारे पूर्व आचार्यों व वैष्णव सम्प्रदाय की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार और भारतीय दर्शन के विकास के कारण ही आज विश्व में विकसित देश नैतिक शिक्षा के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। आज विश्वभर में हजारों की संख्या में गुरूकूल व स्कूलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के अनुरूप भारतीय जीवन दर्शन की मूल्य आधारित शिक्षा दी जाती है।
    भाईयों-बहनों!
    हमारे ऋषि मुनियों, संत महात्माओं व स्वामी प्रभुपाद जैसी हस्तियों की शिक्षाओं से प्रेरणा पाकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। इस नई शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति के अनुरूप मिशन नालंदा, मिशन तक्षशिला संचालित करने का प्रावधान किया गया है। इन प्राचीन विश्विद्यालयों की तर्ज पर शिक्षा पाकर देश की युवा पीढ़ी चरित्रवान बनेंगी और पुरूषार्थ से लबरेज बनेगी।
    यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि गोडिया मठ व मिशन की भांति आज देश के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा स्वामी प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। आजादी के अमृत महोत्सव काल में ऐसी महान आत्माओं के जन्म दिवसों पर भव्य व गरिमामयी कार्यक्रम आयोजित किया जाना प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है।
    मुझे आशा है कि गोड़िया मठ सदैव स्वामी प्रभुपाद जी व अन्य महात्माओं, महापुरूषों की विचारधारा को निरन्तर आगे बढाएगा। इसी के साथ साथ एक बार फिर मैं अपनी ओर से गोडिया मठ के सभी श्रद्धालु भाई- बहनों, साधकों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हॅू। अन्त में मैं यह कहते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूॅं कि
    ’श्रद्धावान् लभते ज्ञानम् ।
    अर्थात श्रद्धालु जन ही ज्ञान को प्राप्त करते हैं । इसलिए व्यक्ति को प्रत्येक कार्य श्रद्धा से करना चाहिए।
    जय हिन्द!