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    ‘‘राज्य शिक्षक सम्मान समारोह‘‘, पंचकूला

    Publish Date: सितम्बर 5, 2022

    आदरणीय श्री कंवर पाल जी, शिक्षा मंत्री, हरियाणा सरकार
    श्री महावीर सिंह जी, अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग
    डा. अंशज सिंह जी, निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग, हरियाणा
    श्री राजीव रतन जी, निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा

    उपस्थित सम्मानित शिक्षकगण, अधिकारीगण, देवीयों और सज्जनों, मीडिया बन्धुओं!

    मैं शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत गौरव का अनुभव कर रहा हूँ। सर्वप्रथम मैं आप सभी को इस शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
    आज पूरा देश सुप्रसिद्ध राजनयिक, महान विद्वान और एक आदर्श शिक्षक तथा देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को याद कर रहा है। मैं आज सम्मानित होने वाले सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी ने एक शिक्षक के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहतर कार्य किया है।
    यह विदित है कि शिक्षित एवं स्वस्थ बच्चे देश का भविष्य हैं। देश के इस भावी कर्णधार भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए आज यहां से आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत एक नई स्कूल स्वास्थ्य योजना ‘‘सेहत‘‘ (ैबीववस म्कनबंजपवद भ्ंतलंदंष्े भ्मंसजी – ज्तमंजउमदजद्ध शुरू की गई है। इस योजना के अन्र्तगत आगामी शैक्षणिक सत्र से साल में दो बार पच्चीस लाख स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। जांच में एकत्रित किए गए डेटा को ई-उपचार पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जिससे किसी भी स्थान पर बच्चे का डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड उपलब्ध होगा। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रदेश में आठ हजार आठ सौ छिहतर (8,876) शिक्षकों को स्वास्थ्य और कल्याण एम्बेस्डर के रूप में प्रशिक्षित किया है। मैं इस योजना के लागु होने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी, शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल जी व सभी स्कूली छात्रों के साथ-साथ प्रदेशी की जनता को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूॅ। मुझे आशा है कि आप लोग जहां समाज में शिक्षा की लौ को तेज कर रहे है वहीं बच्चों के बेहतर स्वास्थ के लिए शुरू की गई इस योजना के क्रियानवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगें।
    डा0 राधा कृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक प्रख्यात शिक्षाविद, आदर्श शिक्षक और महान दार्शनिक थे। डा0 राधाकृष्ण ने 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में देश की सेवा की। वे 1952 में भारत के उपराष्ट्रपति बने और 1962 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए।
    विश्व के जाने-माने दार्शनिक बर्टेड रसेल तो डॉ. राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनने पर अपनी प्रतिक्रिया रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा था ‘‘यह विश्व के दर्शन शास्त्र व शिक्षाविदों का सम्मान है कि महान भारतीय गणराज्य ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को राष्ट्रपति के रूप में चुना। एक दार्शनिक होने के नाते मैं अत्यंत खुश हूं।
    डॉ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। डाॅ. राधाकृष्णन के विचार आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं और उनके विचारों पर चलकर सफलता के मार्ग तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि आजादी तब तक सच्ची नहीं होती, जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो।
    देवियों और सज्जनों!
    अध्यापक समाज के ऐसा शिल्पकार व मार्गदर्शक है, जो देश के भविष्य की कर्णधार पीढ़ी के दिलो-दिमाग में सच्चाई, समानता, सौहार्द्र, ईमानदारी, मानवीय मूल्यों, राष्ट्रीय व भारतीय संस्कृति एवं समृद्ध परम्पराओं की अमिट छाप बना सकता है। बच्चों को बेहतर ढंग से तराशने का काम कर सकता है। शिक्षक एक मजबूत राष्ट्र के लिए फव्वारे के रूप में काम करता है, जो अपना ज्ञान चारों ओर फैलाता है।
    अध्यापक हमेशा ज्ञान गंगा को प्रवाहित करते रहते हैं। यह ज्ञान गंगा अविरल प्रवाहित रहे इसके लिए आपको हमेशा नए अनुसंधान व विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सभी बदलाव तथा नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
    शिक्षक को विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर बढ़ाने के साथ-साथ मनोबल बढ़ाने की टिप्स भी देनी होगी ताकि वे आम जीवन में होने वाली समस्याओं का सरलता से समाधान खोज सकें। यह तभी संभव होगा जब हमारे शिक्षक उसी के अनुरूप खुद को तैयार करेंगे।

    देवीयों और सज्जनों!
    शिक्षक को बच्चों की शिक्षा व देखभाल के लिए एक मां की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। एक सामान्य शिक्षक सिर्फ व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाता है। अच्छे शिक्षक विस्तार से पढ़ाते हैं, जबकि जबकि श्रेष्ठ शिक्षक छात्रों को प्रभाभी तरीके से सीखाने का कार्य करते हैं। मुझे अपने भौतिकी के अध्यापक श्री रामैया गारू और तेलुगू शिक्षक स्वर्गीय श्री शेषचार्य आज भी याद हैं। वे आदर्श शिक्षक थे, जिनके शब्दों ने छात्रों के दिल और दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी है। आज शिक्षक-छात्र के लगाव व रिश्ते में समृद्धता तथा सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता मंे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। यह नीति देश की युवा पीढ़ी के लिए ‘‘गेम चेंजर‘‘ होगी।
    नई शिक्षा नीति जहां युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोलेगी, वहीं वर्तमान मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता के शिक्षक तैयार करने में कारगर होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को देश में सफलतापूर्वक रूप से लागू करने में विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। जिसकी पूरी जिम्मेवारी आप लोगों पर है।
    समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा मिशन के लिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा। हमारे शिक्षक इस महान कायापलट के वाहक होंगे। वर्तमान में इस बात की जरूरत है कि शिक्षकों को गतिशील और बहुमुखी प्रतिभाशाली कौशलयुक्त युवा तैयार करने हैं ताकि वे उत्कृष्टता प्राप्त कर रोजगार ढूंढ़ने वाले नहीं बल्कि रोजगार पैदा करने वाले बनें। इसके लिए शिक्षकों को वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। वे विश्व स्तरीय और डिजिटल शिक्षा के मोड्स से स्वयं भी अपडेट रहे और छात्रों में भी स्मार्टनैस पैदा करें, जिससे छात्र नई प्रोद्यौगिकी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें।
    शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू करने में विशेष रूप से शिक्षण संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य की सरकार ने तो इस पर प्रभावी रूप से कार्य किया है। यहां तक शिक्षा नीति को 2025 तक पूरी तरह लागु करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल व उनकी कैबिनेट की टीम व प्रशासनिक अधिकारियों की टीम को बधाई देता हूं।

    देवियों और सज्जनों!
    हम ग्रामीण, पिछड़े वर्ग व अनुसुचित जाति के युवाओं व विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ा हुआ देखते हैं। हमें ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध करवानी होगी। शिक्षा का अर्थ केवल बच्चों के दिमाग को प्रज्वलित करना ही नहीं बल्कि उनके दिलों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ना भी है, जिसे केवल शिक्षक ही सुनिश्चित कर सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में शिक्षा की नई तकनीकें आने से भी गुगल कभी भी गुरू की जगह नहीं ले सकता।
    हमें यह भी याद रखना होगा कि आज हम संचार के नए युग में जी रहे हैं। कोविड-19 महामारी ने हमें आॅनलाइन शिक्षण के महत्व का एहसास कराया है। शिक्षकों को कंप्यूटर क्रांति का अधिक से अधिक उपयोग कर विद्यार्थियों से जुड़ना होगा।
    मुझे बहुत ही प्रसन्नता होती है जब मैं विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में जाता हूं तो वहां देखता हूं कि हर दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा की डिग्रीयां प्राप्त करने वाली अधिकतर लड़कियां होती हैं। पिछले दिनों कई शिक्षा बोर्डों का रिजल्ट देखने को मिला। चाहे सी.बी.एस.ई.हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड हो या आई.सी.एस.ई बोर्ड व सी.आई.एस.ई. बोर्ड हो, हर परीक्षा में लड़कियों ने बाजी मारी है। यहां तक कि यूी.पी.एस.ई. तक की प्रतियोगी परीक्षाओं में लड़कियां आगे आई हैं। मैं एक बार फिर लड़कियों व महिलाओं को शुभकामनाएं देता हूं जो शिक्षा के साथ-साथ खेल, सेना, कारपोरेट जगत व स्टार्ट-अप के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही है।
    केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की अनेक योजनाएं शुरू की गई है। इन योजनाओं के क्रियांवयन के लिए हरियाणा प्रदेश में इस वर्ष दो हजार करोड़ रुपए राशि से भी अधिक का प्रावधान किया गया है। इसी तरह से केन्द्र सरकार द्वारा देश में महिला कल्याण के लिए चालू वित्त वर्ष में एक लाख ईकत्तर हजार करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान किया है।
    शिक्षण कोई नौकरी नहीं बल्कि एक ऐसा धर्म है जिससे समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है। हमारे शिक्षक इस महान धर्म के प्रवर्तक हैं! मुझे विश्वास है कि शिक्षक के त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ-साथ सरकारों का समर्थन देश को एक नए युग में ले जाएगा। एक नया भारत जो समावेशी होगा जहां कोई भी वंचित व पिछड़ा नहीं होगा। भारतवर्ष को फिर से विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त होगा।
    आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसलिए शिक्षक विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं से अवगत करवाकर अधिक से अधिक अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों से जोडं़े।
    अन्त में एक बार फिर मैं आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

    जयहिन्द!