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    राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय राजभवन में सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर नमन करते हुए

    Publish Date: जनवरी 3, 2023

    चण्डीगढ़ 03 जनवरीः- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि जिस देश व समाज में नारी की पूजा की जाती है वहां देवताओं का वास होता है। वही देश और समाज तरक्की करता है। यह बात आज उन्होंने राजभवन में सावित्रीबाई फुले की जयंती अवसर पर उनको नमन करते हुए कही। श्री दत्तात्रेय ने सावित्रीबाइ फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित किए।
    उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ अस्पृश्यता, आधिपत्य, जातिवादी व्यवस्था, समाज विरोधी व यथास्थितिवादी ताकतों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़कर महिलाओं की शिक्षा के लिए क्रान्तिकारी अभियान शुरू किया। जिसकी बदौलत महिलाओं को चुल्हा चौका से आगे बढ़ने का अवसर मिला।
    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने समाज के कमजोर वर्गों विशेष रूप से पिछड़े, अनुसूचित जातियों और जनजातियों की लड़कियों को शिक्षा की चोखट तक पहुंचाया। उन्होंने उनके लिए स्कूल खोले और ऐसे समय में लाखों लोगों के जीवन में शिक्षा के रूप में आशा की किरण जगाई जब स्कूलों में जाना तो दूर की बात जबकि कोसों तक स्कूल ही नहीं थे।
    श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का भारतीय समाज में महिलाओं के समग्र सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। सावित्रीबाई फुले, जो नारी शक्ति की प्रतीक हैं और नारी सशक्तिकरण की महान क्रांति की अग्रदूत बनी। नारी सशक्तिकरण का विषय अब केंद्र और राज्य सरकारों का मुख्य केंद्र बन गया है। इसका श्रेय भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को जाता है। आज देश उनकी जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन कर रहा है।
    उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए दिखाए गए मार्ग का अनुसरण सभी को अपने सच्चे मन आत्मा और भावना से करना चाहिए। उन्होंने हर तरह से महिलाओं के लिए समानता की लड़ाई लड़ी। सामाजिक सुधारों की उनकी दृष्टि शिक्षा और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ी हुई है। आज लड़कियों के प्रति हमारी सोच बदल गई है। पहले कन्या को बोझ के रूप में देखा जाता था लेकिन अब महालक्ष्मी के रूप में। यह एक अच्छा शगुन है। हम समावेशी विकास के लक्ष्य को साकार करने के लिए सावित्रीबाई फुले की कल्पना के अनुसार महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए कड़ी मेहनत करें।
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