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    राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय शुक्रवार को राज भवन में कृषि विशेषज्ञों से बातचीत करते हुए। राज्यपाल ने कृषि विशेषज्ञों को सम्मानित किया

    Publish Date: जून 3, 2022

    चण्डीगढ़ 03 जून। फसलों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों व कींटों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक नई टैक्नोलाजी से तैयार कम खर्च वाली कीट नियन्त्रण तकनीक को किसानों तक पहुचांए तो यह कृषि उत्पादन बढ़ाने के क्षे़त्र में एक बड़ा कदम होगा। साथ ही किसानों की आय बढ़ेगी। यह बात हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को उनसे मिलने आए पंजाब सरकार के सलाहकार श्री बी.पी.आचार्य ;सेवानिवृत आई.ए.एस और बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक श्री मार्कण्डेय गोरान्तला से बातचीत में कही। इस अवसर पर कृषि विभाग हरियाणा के अधिकारी भी उपस्थित रहें।
    राज्यपाल ने कहा कि फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को पेस्टिसाइड व अन्य हानिकारक दवाओं का विकल्प ईजाद करना होगा। इस दिशा में वैज्ञानिकों ने सराहनीय कार्य भी किया है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होनें यह भी कहा कि वैज्ञानिक कृषि क्षेत्र से जुड़ी नई तकनीकियों का किसानों तक पहुॅंचाए और उनके फायदों के बारे में भी बताए ताकि किसान उनकों अपनाकर कृषि उत्पादन व अपनी आय बढ़ा सकें।
    इस मुलाकात में श्री बी.पी.आचार्य जो पंजाब सरकार के सलाहकार हैं ने बताया कि कपास की फसल को कीटों से विशेष कर ‘‘पिंकबॉलवर्म‘‘ कीट से बचाव के लिए हैदराबाद की जीनोम वैली स्थित ए.टी.जी.सी कम्पनी के सहयोग से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कीट प्रबन्ध के लिए पेस्ट तैयार की गई है जिसके प्रयोग करने से पिंकबॉलवर्म के मेल कीट पौधों से दूर रहते है। यह पेस्ट एक प्रकार से कपास के पौधों के लिए वैक्सीन का काम करती है। यह पेस्ट कीट परिवार नियोजन के उद्देश्य से तैयार की गई है। कपास की पूरी फसल के दौरान यह तीन बार एक एक माह के अन्तराल में एक एकड़ में 500 स्थानों पर लगाए जाते हैं। तीन बार इस पेस्ट का प्रयोग करने से इस पर मात्र 3000 रू तक का खर्च आता है जोकि पेस्टिसाईड के खर्च से तीन से चार गुणा कम है।
    इस अवसर पर कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक डा0 मार्कण्डेय गोरान्तला ने बताया कि इस पेस्ट के प्रयोग से कपास के उत्पादन में गुणात्मक वृ़िद्ध होगी और यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे इस कपास उत्पादे किसानों तक पहुंचाएं और इसके लिए केन्द्र सरकार भी सहयोग के लिए तैयार है।
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